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शुक्रवार, अक्तूबर 14, 2016

"रावण कभी नहीं मरता" {चर्चा अंक- 2495}

मित्रों 
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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बालकविता 

"रावण ने आतंक मचाया" 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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जो है एक शीश को ढोता। 
बुद्धिमान वह कितना होता।।
   बलशाली था और महान था।
यह दशानन ज्ञानवान था... 
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दौड़ना कैसे शुरू करें। 

(How to Start Running) 

 दौड़ना तो हर कोई चाहता है परन्तु सभी लोग लाज शर्म के कारण और कोई क्या कहेगा, इन सब बातों की परवाह करने के कारण दौड़ नहीं पाते हैं। दौड़ना चाहते भी हैं तो कुछ न कुछ बात उनको रोक ही देती है, और दौड़ने के पहले […] Continue reading... The post दौड़ना कैसे शुरू करें... 
कल्पतरु पर Vivek 
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श्री राम पुनियानी से लम्बा साक्षात्कार 

राम पुनियानी सिर्फ अमन कथा वाचक नहीं हैं। वह कई रूपों में नफरत की राजनीति के खिलाफ काम करते हैं। लेख लिखते हैं। किताबें लिखते हैं। फिल्में बनाते हैं। इनकी रचनाएं कई भाषाओं में अनुवाद होकर लोगों तक पहुंच रही हैं। कार्यशालाएं करते हैं। मानवाधिकार उल्लंघन, साम्प्रदायिक हिंसा, आतंकी घटनाओं के लिए बनी कई नागरिक जांच समितियों के प्रमुख सदस्य रहे हैं। उनके इन कामों को समय समय पर सम्मान भी मिला है। हम उनकी कुछ महत्वपूर्ण किताबों की सूची यहां दे रहे हैं...
Randhir Singh Suman 
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रावण कभी नहीं मरता 

देहात पर राजीव कुमार झा 
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दिल का घरौंदा पुख़्ता कराया नहीं कभी 

गो सर पे मेरे कोई था साया नहीं कभी 
यह शम्स फिर भी मुझको सताया नहीं कभी... 
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ 
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” से बन जाता षटकोण!
षड्दर्शनषड्दृष्टिकोण! 
षट्-विद्याओं को धारणकर,
बन जाओ अर्जुन और द्रोण... 
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तप-तप कर हो गई अपर्णा, जिनके हित नगराज कुमारी , 
कहाँ तुम्हारे पुण्य-चरण ,मैं कहाँ ,जनम की भटकी-हारी... 
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लोग हों-न-हों, मैं इस बात को लेकर शर्मिंदा हूँ 
हैवानियत है जहाँ, मैं उस दौर का वाशिंदा हूँ | 

जमाने को बदल सकूं, ऐसी मेरी हैसियत नहीं 
खुद को बदलून कैसे, अपने उसूलों में बंधा हूँ ...
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मेरी जिकुड़ी म ब्वे कुयड़ी सिलौं की 

उत्तराखण्ड के इतिहास को केन्द्र में रखकर रचनात्मक साहित्य सृजन में जुटे डॉक्टर शोभाराम शर्मा की कोशिशें इस मायने में उल्लेखनीय है कि गाथाओं, किंवदतियों, लोककथाओं और मिथों में छुपे उत्तराखण्ड के इतिहास को वे लगातार उदघाटित करते रहना चाहते हैं। उनकी डायरी के पन्‍नों में झांके तो उनके विषय क्षेत्रों से वाकिफ हो सकते हैं । 1950 के दशक में उन्‍होंने कुछ गढ़वाली लोकगीतों के हिन्दी काव्यानुवाद भी किए जो अभी तक कहीं प्रकाशित नहीं हुए हैं। यहां प्रस्‍तुत हैं उनकी उस पुरानी डायरी का एक पन्‍ना... 
लिखो यहां वहां पर विजय गौड़ 
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Wi-Fi से जुड़े 

कुछ नामों की जानकारी जरूर ले लें 

वाई-फाई से जुड़े कुछ नाम होते हैं जैसे WEP, WPA, WPA2, WPA-Personal और WPA-Enterprise यें सभी आम व्यक्ति की समझ से परे होती हैं। तो आज इनके बारे में जान लेते हैं... 
Mukesh Sharma 
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बन आग टूट पड़े करें बरबाद दुश्मन को 

अपनी अपनी बोल रहे होकर सब बेहाल 
आओ मिलकर हम सभी बदले वतन का हाल 
बन आग टूट पड़े करें बरबाद दुश्मन को 
है काफी इक चिंगारी जलाने को मशाल 
Ocean of Bliss पर 
Rekha Joshi 
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क्या दोष तुम्हें दूँ तुम ही कहो.. 

क्या दोष तुम्हें दूँ तुम ही कहो.. 
इस रिश्ते की बुनियाद हिलाने की 
शुरुआत तो मैंने की थी.. 
SB's Blog पर 
Sonit Bopche 
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4 टिप्‍पणियां:

  1. हमेशा की तरह एक सुन्दर चर्चा। आभारी है 'उलूक' सूत्र 'हत्यारे की जाति का
    डी एन ए' को चर्चा में देख कर ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति.'देहात' से मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत अच्छी रही चर्चा ,मुझे सम्मिलित करने हेतु आभार !

    जवाब देंहटाएं

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