फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, नवंबर 04, 2016

"मंजिल देखी केवल हमने" (चर्चा मंच अकं-2516)

मित्रों 
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

--

दोहावली  

"अमन हो गया गोल"  

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

Image result for वीर जवान शहीद
अमर शहीदों का कभीमत करना अपमान।
किया इन्होंने देशहितअपना तन बलिदान।।
--
गुलदस्ते में अमन केअमन हो गया गोल।
माली अपने चमन मेंछिड़क रहा विषघोल... 
--
--

समय बलवान 

श्रीयुत रमेश कुमार सूरी जी एक ‘just an awareness msg’ फेस बुक पर डाला है इस विचारोत्तेजक लेख को स.महेंद्रसिंह जी ने शब्दश: ‘मेरे विचार’ शीर्षक से पुन: प्रकाशित करके आज के हमारे बदलते सामाजिक परिवेश को दर्पण दिखाया है. हम क्या थे और क्या हो गए हैं... 
जाले पर 
पुरुषोत्तम पाण्डेय 
--

हायकु 

*छाये बादल* 
*चहका उपवन * 
*नेह बरसा !!* 
सु-मन (Suman Kapoor) 
--

मंजिल देखी केवल हमने 

कहाँ से पूरे होंगे वे सपने, कहाँ से आएंगे वे अपने? 
थके-थके नैनों से अब तक, राह निहारी केवल हमने... 
Lovely life पर 
Sriram Roy 
--
--

बीते हुए दुःख की दवा सुनकर 

मन को क्लेश होता है 

बड़े मुर्गे की तर्ज पर छोटा भी बांग लगाता है। 
एक खरबूजे को देख दूसरा भी रंग बदलता है।। 
एक कुत्ता कोई चीज देखे तो सौ कुत्ते उसे ही देखते हैं। 
बड़े पंछी के जैसे ही छोटे-छोटे पंछी भी गाने लगते हैं... 
--

खतरनाक समय है ये 

ओह ! 
सच बोलना कितना खतरनाक है 
खतरनाक समय है ये 
सुना था इमरजेंसी में लागू थीं यही धाराएं 
तो क्या सच की धार से नहीं कटेगा झूठ इस बार ? 
तो क्या फिर सलीब पर लटकेगा कोई मसीह ? 
तो क्या सिले जायेंगे लब बिना किसी गुनाह के ? 
सच में खतरनाक समय है ये 
जहाँ अभिव्यक्ति भी नहीं उठा पाती... 
vandana gupta 
--
--

एक ग़ज़ल / गीतिका 

अवाम में सभी जन हैं इताब पहने हुए 
सहिष्णुता सभी की इजतिराब पहने हुए... 
कालीपद "प्रसाद" 
--

शाइरी काफ़ी नहीं सूरत बदलने के लिए 

मंज़िले उल्फ़त तो है अरमाँ पिघलने के लिए 
है नहीं गर कुछ तो बस इक राह चलने के लिए 
बन्द कर आँखें इसी उम्मीद में बैठा हूँ मैं 
कोई तो जज़्बा मचल उट्ठे निकलने के लिए... 
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ 
--
--

जब पाँच बजे 

आसमान तारों से भर गया 

पंद्रह दिन के अपने टूर में गुवाहाटी दार्जिलिंग और सिक्किम गये थे। लिखना तो सभी के बारे में है पर कुछ यादें ज्यादा याद आती हैं और उन्हें लिखने की इच्छा हो जाती है। ये यात्रा वृतांत थोड़ा बेतरतीब लगेगा पर उम्मीद है आपको अच्छी सैर भी करा देगा... 
कासे कहूँ? पर kavita verma 
--
--

राजीव यादव की 

सरकारी हत्या का प्रयास 

आजादी के बाद से आज तक के इतिहास में पहली बार भोपाल कारागार से आठ कथित सिमी कार्यकर्ता कैदियों को निकाल कर दस किलोमीटर दूर ईटी गांव में ले जाकर फर्जी मुठभेड़ दिखाकर हत्या कर दी उस मुठभेड़ को सही साबित करने के लिए आश्चर्यजनक परिस्थितियों में जेल वार्डन रमाशंकर यादव की हत्या कर दी जाती हैं यह सभी कार्य राजनीतिक नेतृत्व के सम्भव नहीं है ♉ दिल्ली में सीबीआई वरिष्ठ अधिकारी बंसल को गिरफ्तार करती है और उस घटना में पहले बंसल की बेटी और पत्नी आत्महत्या कर लेती है और बाद में बंसल और उनका पुत्र भी आत्महत्या कर लेता है ... 
Randhir Singh Suman 
--
--

आ जाओ या बुला लो

इन्ही रूई के फाहों सम 
कि पिघल न जाऊँ गुजरे वक्त के साथ 
फिर तुम आवाज़ दो तो भी आ न सकूँ... 

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर शुक्रवारीय चर्चा प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।