सबके बदले मौज, किन्तु ये नेता करते-
रविकर
करते काम गरीब तो, शोषण करे अमीर ।
दोनों की रक्षा करे, क्रमश: सैनिक वीर।
क्रमश: सैनिक वीर, इन्हें पाले करदाता।
देख घुमक्कड़-ठाठ, पिये दारू मदमाता।
बैंकर कसे नकेल, वकीलों से ये डरते।
सबके बदले मौज, किन्तु ये नेता करते।।
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रविकर के दोहे
रविकर
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जागो मशालों अब ....
udaya veer singh
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Untitled
Asha Joglekar
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अनुराग.......डॉ. गुलाम मुर्तज़ा शरीफ़
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ये नक्षत्र...
डॉ. कौशलेन्द्रम
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रायप्रवीण का सौंदर्यऔर ओरछा की नियति(ओरछा गाथा भाग-4)
मुकेश पाण्डेय चन्दन
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कहीं न कहीं अमरीका का चुनाव भीइस सबसे जुड़ा हुआ हैट्रम्प पाक की हदबन्दी करके ....
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मैं सिर्फ तुमको ही लिखती रहूँ....!!!
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और तुम मुस्कुरा देना
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haresh Kumar
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दिल्ली में केजरीवाल की साजिश
Kirtish bhatt
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दोहे"कोल्हू के हैं बैल"(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
जनसेवा के नाम पर, मन में पसरा मैल।
निर्धन श्रमिक-किसान तो, कोल्हू के हैं बैल।।
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छँटे हुए सब नगर के, बन बैठे गुणवान।
पत्रकारिता में बचे, कम ही अब विद्वान।।
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कार्टून :- खट्टे अंगूर
Kajal Kumar
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बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार रविकर जी।
सुन्दर चर्चा रविकर जी ।
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