मित्रों
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सब नहीं लिखते हैं
ना ही सब ही पढ़ते हैं
सब कुछ जरूरी भी नहीं है लिखना
सब कुछ और पढ़ना कुछ भी
उलूक टाइम्स पर
सुशील कुमार जोशी
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अछूत ....
नोट
वह बृद्धा पेन्सन के पाई थी बैंक से पाँच सौ के तीन नोट गई थी पंसारी की दुकान लेने नमक आटा आदि समान रख पोटली में बढ़ाया दाम में एक पाँच सौ का नोट उछल गया दुकानदार देख मानो किसी विषधर को देख लिया छिन लिया हाथों से समान की पोटली दूर हट माई ये नोट लेकर क्यों आई ? जा काही और कहीं और ये लेकर अछूत शापित नोट...
udaya veer singh
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क़तरे समंदर को डराते नही हैं
छीनकर किसी से कुछ पाते नहीं हैं ,
समन्दर को क़तरे डराते नहीं हैं .
है अपने जीने का अलग ही अंदाज़ .
बिन बुलाये किसी के दर जाते नही हैं
चांदनी रात पर
रजनी मल्होत्रा नैय्यर
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सफलता और शुभकामनाएं
[पूर्व प्रकाशित रचना ]
सफलता और असफलता
ज़िंदगी के दो पहलू है ,
लेकिन सफलता की राह में
कई बार असफलता से
रू ब रू भी होना पड़ता है ,
बल्कि असफलता वह सीढ़ी है
जो सफलता पर जा कर खत्म होती है...
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गाली का जवाब
भगवान बुद्ध एक दिन अपने एक शिष्य के साथ सुबह की सैर कर रहे थे । तभी अचानक एक आदमी उनके पास आया और भगवान बुद्ध को बुरा भला कहने लगा । उसने बुद्ध के लिए बहुत सारे अपशब्द कहे लेकिन बुद्ध फिर भी मुस्कुराते हुए चलते रहे । उस आदमी ने देखा कि
बुद्ध पर कोई भी असर नहीं हो रहा है...
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मैं हमेशा नहीं रहूंगा
तुम साथ रहोगे न हमेशा?
नहीं, तुम हमेशा नहीं रहोगे।
सूरज, धरती, चांद, सितारे
और भी जो हैं जगमग सारे
और सपनों की भी होती है एक उम्र...
गुस्ताख़ पर
Manjit Thakur
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मैं तुम्हारी तरह परफेक्ट तो नही हूँ..
नही आता सलीका मुझे,
अपनी उम्र के हिसाब से जीने का...
मैं तो बचपने में ही जीती हूँ,
बड़ी खुशियों का मुझे इन्तजार नही,
हर को खुशियो से भर देती हूँ...
तुम्हारे दर्द में मै नही दे पाती,
वो बड़े-बड़े शब्दो की सांत्वना,
मैं तो संग तुम्हारे रो लेती हूँ.....
'आहुति' पर
Sushma Verma
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बहुत ही बेहतरीन सूत्र आज की चर्चा में ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !
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