मित्रों
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जहन्नुम में हैं और मजे ले रहे हैं...
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दोहे
"जाँच-परख कर मीत"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
अभिमानी इंसान से, कभी न करना प्रीत।
मुख पर चाहे हो लगा, कितना ही नवनीत।।
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कपटी गाते हैं सदा, छल-फरेब के गीत।
चापलूस होते नहीं, कभी किसी के मीत।।
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कामी-क्रोधी-लालची, होते आदमखोर।
ओछी गागर ही करे, सबसे ज्यादा शोर।।
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केवल रसम अदायगी, दुनिया की है रीत।
यहाँ बनाना ठीक से, जाँच-परख कर मीत...
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छठ के रंग मेरे संग :
क्या अनूठा है इस पर्व में?
Chhath Puja 2016
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Manish Kumar
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छठ की जिम्मेवारी का स्थान्तरण
माँ की जिम्मेवारी बंदरी ने ले ली है। बड़ी जिम्मेवारी है छठ व्रत करना। इस साल पहली बार अर्धांगनी रीना ने यह जिम्मेवारी ली है और छठ कर रही है। माँ दमा की मरीज थी सो तीन साल पहले से ही छठ करना बंद करा दिया। इस साल रीना स्वयं छठ कर रही है। हमारे लिए छठ अभी तक ग्लैमराइज़्ड नहीं हुआ है। हमारे लिए यह एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है। माँ जब तक छठ की, उसकी कई यादें है। चूल्हे की मिट्टी, गोइठा के लिए गोबर इत्यादि आना। प्रसाद से लेकर अन्य कार्य में हाथ बंटाना। खैर अब यह जिम्मेवारी बंदरी के जिम्मे है...
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दस्तक
Fulbagiya पर
डा0 हेमंत कुमार
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chay ke sath chutki bhar ruman
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चाय के साथ चुटकी भर रूमान *चाय *को हमारी आदतों का हिस्सा हुए बहुत दिन नहीं हुए। वह हमारे अपने बचपन के दिनों की बात है और हमारी याददाश्त के भीतर है। यही कोई ६०-७० बरस की बात। इससे अधिक पुरानी नहीं। स्कूल से घर लौटते हुए मैंने वह देखा है। चाय कम्पनी के लोग चाय के प्रचार प्रसार के लिए निकलते थे। और चौक-चौराहों-नुक्कड़ों पर गुमटियां और ठेले लगाकर चाय पिलाते थे,
जिसका कोई दाम नहीं लेते थे...
satish jayaswal
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कैलीफोर्निया में
दिवाली के पर्व पर
शहीदो को दी गई सलामी
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ज्ञान दर्पण पर
Ratan singh shekhawat
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पिटाई की सरकार है,
बागों में बहार है,
मोदी साहब की सरकार है
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Randhir Singh Suman
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होली का त्यौहार -
जीजा साली का छेड़ छाड़
कालीपद "प्रसाद"
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सबको आजादी चाहिए !
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में देशद्रोह ,
दुश्मन मुल्कों को ख़ुफ़िया
एवम् संवेदनशील जानकारियों का दिया जाना ,
किसी को बलात्कार की आजादी...
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बीती ताही बिसार दे
कल जब ऑफिस से एक्स्ट्रा काम ख़तम करके वो निकला तब रात ग्यारह बज चुके थे। ..फ़टाफ़ट घर फोन लगाकर बोला -मैं निकल रहा हूँ, और बाइक स्टार्ट की .. .अभी ५ मिनट भी न चला होगा कि एक्सीलेटर वायर टूट गया... चारों तरफ देखा ,दुकाने बंद हो चुकी थी मेकेनिक को तलाशा कोई दुकान न दिखी। ..
मरता क्या न करता ,बाइक हाथ से घसीटने लगा |
पीठ पर लेपटॉप का बेग और हेंडल पर टिफिन लटकाये हुए हेलमेट भी निकालना पड़ा...
मेरे मन की पर
अर्चना चावजी Archana Chaoji
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मैं आज भी पगली सी हूँ...
वो चाँद की रात,वो तुम्हारी बाते...
तुम कुछ भी कहते मैं लिख रही थी,
तुम को शब्दों में बांध रही थी..
और तुम नाराज भी होते कि,
क्यों लिख रही हूँ मैं...
मैं हर बार कहती कि,
तुम्हे अपने पास संजो कर रख रही हूँ...
और हसँ कर कह देते कि,
तुम बिलकुल पगली हो....
'आहुति' पर
Sushma Verma
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मीडिया के लिए
सवाल पूछने के अधिकार से ज्यादा
साख की चिन्ता का वक्त
HARSHVARDHAN TRIPATHI
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आगाज तो होता है...
मीनाकुमारी
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आगाज तो होता है अंजाम नहीं होता
जब मेरी कहानी में वह नाम नहीं होता...
मेरी धरोहर पर
yashoda Agrawal
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भोपाल-इंदौर-रतलाम
पैसेंजर ट्रेन यात्रा
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छोड़ आए हैं संस्कृति संस्कारों को
घरों में आज भी देखो ताले लगाने होते हैं
नजरबट्टू मुंडेरों पर शैतान बिठाने होते हैं...
udaya veer singh
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कार्टून :-
और भी ग़म हैं ज़माने में
प्रदूषण के सिवा
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बढ़िया चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
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