मित्रों
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जानते हैं फिर भी
जानते हैं-
कल्पना के घोड़े दौड़ाने को
सात समंदर तो क्या
सात आसमान भी कम है
जीत तो सिर्फ उसी की होती है जो-
वास्तविकता के धरातल पर
उन्हें उतारने का भी माद्दा रखते हैं...
मेरे मन की पर
अर्चना चावजी Archana Chaoji
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दोहे
"कुण्ठा भरे विचार"
मगर काम की कामना, मन में है बलवान।।
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बढ़ती ज्यों-ज्यों है उमर, त्यों-त्यों बढ़ती प्यास।
कामी भँवरे की नहीं, पूरण होती आस।।
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लेखन में लिखते गुरू, कुण्ठा भरे विचार।
चेले उनके भी वही, करते अंगीकार...
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प्रिय मोदी बाबू
**भगवान तोके हमेशा स्वस्थ और प्रसन्न रखें!**
आगे समाचार ई हौ कि आजकल लोग भगवान को कम और तोके जियादा याद कर रहे हैं। पान की दूकान से लेकर स्टेट बैंक तक लोग केवल तुम्हरे नाम की माला जप रहे हैं। अइसा स्ट्राइक काहे किए कि गरीब से अमीर तक की जुबान पर न राम हैं, न कृष्ण हैं, न मोहम्मद हैं, न ईसा हैं। धनतरिणी को पार करने के लिए सब तुम्हारा ही नाम जप रहे हैं। बचपन में सुनते रहे कि भगवान एक घड़ी में राई को पहाड़ और पहाड़ को राई बना सकते हैं। बस सुना ही था, कभी देखा नहीं था। तुमने दिखा भी दिया। एक ही रात में मायावती का मोटा-तगड़ा हाथी करिया बकरी बन गया ,,,
VMW Team पर
VMWTeam Bharat
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मुझे खामोश रहने दो
मेरे दिल में बहुत शोले मुझे खामोश रहने दो,
लबों पर आ गये तो आग दुनिया में लगा देंगे !
उबलते हैं उफनते हैं बगावत के समन्दर जो,
अगर दिल चीर कर रख दूं ये दुनिया को बहा देंगे...
भारतीय नारी पर
shikha kaushik
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रचना का सामाजिक पाठ ...
हि*न्दी की युवा रचनाशीलता और आलोचना में पंकज पराशर एक स्थापित नाम है. हिन्दी और मैथिली में कविता-लेखन से लेकर कहानी, अनुवाद, समीक्षा और आलोचना तक उनकी अनेक किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. प्रस्तुत आलेख में उनकी साहित्य भंडार प्रकाशन, इलाहाबाद से 2015 में प्रकाशित पुस्तक ‘*रचना का सामाजिक पाठ*’ में संकलित लेखों की पड़ताल की गई है. यह पुस्तक पंकज द्वारा ‘*तद्भव’, ‘बहुवचन’, ‘पहल’, ‘आलोचना’, ‘साखी’, ‘वर्तमान साहित्य’, ‘अनहद’, ‘लमही, ‘पाखी’, ‘नया ज्ञानोदय’, ‘समयांतर’ *और ‘*शिक्षा विमर्श**’* में प्रकाशित लेखों का संग्रह हैं. इसमें दो खण्ड हैं, जिनमें कुल मिलाकर सोलह लेख हैं...
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बेवफा
सोनम गुप्ता बेवफा है
सोनम गुप्ता तुम बेवफा हो ये तुमने ठीक नही किया
तुम्हे ऐसा नहीं करना चाहिए था
तुम्हे ऐसा करने का कोई अधिकार ही नही था
उफ्फ्फ तुमने अमर प्रेम को कलंकित कर दिया
नहीं नहीं--- अब कोई सफाई नही --
कोई सुनवाई नही होगी अब --
सोनवीर ने कह दिया तुम बेवफा हो तो हो ।
सदियो से यही होता आया है
सोनम मजबूरियाँ बता कर बेवफाई कर जाती हैं
और बेचारा सोनवीर ....
वो कभी बेवफा नही होता...
sunita agarwal
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अफवाहें नहीं
सच्चाई को सामने लाया जाए
पहले भी ऐसी खबरें आती थीं कि फलां अस्पताल ने पैसे ना होने की वजह से बीमार को बाहर निकाल दिया या किसी डॉक्टर ने मरीज का इलाज अपनी फीस मिलने में देर होने की वजह से नहीं किया। तब इसे डॉक्टर या अस्पताल के अमानवीय व्यवहार के रूप में प्रचारित किया जाता था, आज उसे नोटों की तंगी से जोड़ा जा रहा है,.........मीडिया रुपी मौलवी शहर के अंदेशे से एवेंई दुबला हुए जा रहा है * आजकल देश में जो एक ही मुद्दा छाया हुआ है उस पर तरह-तरह की बेबुनियाद, फिजूल, भ्रामक, भड़काऊ खबरें रोज ही उछाली जा रही हैं। ऐसा नहीं है कि लोग परेशान नहीं हैं, उन्हें दिक्कत नहीं हो रही पर उनकी सहनशीलता उन्हें साधुवाद का पात्र...
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
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“सच"
सुना था कभी साहित्य समाज का दर्पण होता है
अक्स सुन्दर हो तो गुरुर बढ़ जाता है
ना हो तो नुक्स बेचारा दर्पण झेलता है
सोच परिपक्वता मांगती है
आइना तो वही दर्शाता है जो देखता है ...
कविता मंच पर
Meena Bhardwaj
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सुन्दर मंंगलवारीय चर्चा । आभार 'उलूक' का सूत्र 'तालियाँ एक हाथ से बज रही होती हैं
जवाब देंहटाएंउसका शोर सब कुछ बोल रहा होता है' को स्थान देने के लिये ।
सुन्दर चर्चा ...
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