मित्रों
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
--
दोहे
"करो मदद हे नाथ"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
कृत्रिम संकट नमक का, फैला हा-हाकार।
दाम गाँठ में है नहीं, महँगा है बाजार।।
--
जमाखोर फैला रहे, मनगढ़न्त अफवाह।
जीवनयापन के लिए, कठिन हो रही राह।।
--
पैसा पाने के लिए, होती खैंचातान।
सेवक अपने देश का, घूम रहा जापान...
--
--
--
आज के सन्दर्भ में दोहे -
भैया देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि
छुट्टा आवै काम उत,का करि सकै हजारि ।
उनको आवत देख के, छुट्टन करै पुकारि
नोट हजारि बंद हुए, कल अपनी भी बारि ।
बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे नोट हजार
मार्किट में चलता नहीं, गायब ब्लैक बजार ।
भैया खड़ा बजार में, लिए हजारी हाथ
कोई भी पूछै नहीं, मानो हुआ अनाथ ।
अरुण कुमार निगम
--
मेजबानी जुकाम की
फिर वही हुआ जो होना लाज़िमी था, एक दिन घर लौटते ही छींकों की लड़ी ने आँख-नाक के सारे रास्ते खोल दिए, शरीर की टंकी में जमा पानी ऐसे बहने लगा जैसे किसी वाशर के खराब हो जाने पर नल से पानी टपकता रहता है * पिछले दिनों दिल्ली अपने पर्यावरण के कारण काफी चर्चा में रही थी। सही कहें तो उसने दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर होने का खिताब पाते ही, *"बदनाम हुए तो क्या हुआ नाम तो हुआ" ...
कुछ अलग सा पर
गगन शर्मा
--
तैयार फसल ओले पड़ गए -
काले धन की फसल का किसान
कितना आवाक ! कितना हैरान !
तैयार फसल ओले पड़े -
द्रोह की मिट्टी, विष बेल का बिरवा
रक्त से सिंचन, हथियारों का हल
विध्वंस का नियोजन फीके पड़े
udaya veer singh
--
--
--
--
प्रदूषण
सागर पर्वत दरिया पादप, सुंदर हर झरना नाला
थे सुन्दर वन जंगल जैसे, हरा पीला फूल माला |
शुद्ध हवा निर्मल जल धरती, सब प्रसाद हमने पाया
काला धुआँ दूषित वायु सब, हैं स्वार्थी मनुष्य जाया ...
कालीपद "प्रसाद"
--
गायब हो जाता है ...
नीरा त्यागी
... मुझे तुमसे मुहब्बत है
मेज़ पर जमी धूल पर लिख
वो फिर गायब हो जाता है...
मेरी धरोहर पर
yashoda Agrawal
--
--
मम्मी जैसी दोस्त न कोई
मेरी मम्मी प्यारी मम्मी मुझको करती प्यार बहुत
लोरी-वोरी खूब सुनाती करती मुझे दुलार बहुत...
--
सरकारी उलटबांसी
सरकारी आदेशानुसार,
मुखिया के तौर पर लिखा जायेगा
धनियाँ का नाम।
अब धनियाँ होगी शीर्ष पर
और रामू खिसक कर, नीचे आ जायेगा।
मैं नहीं समझता इससे कुछ फर्क पड़ेगा,
रामू चाहे ऊपर रहे या नीचे...
Jayanti Prasad Sharma
--
मकां काँच के हो गए हैं अरुण
समाचार आया नए नोट का
गिरा भाव अंजीर-अखरोट का |
दवा हो गई बंद जिस रात से
हुआ इल्म फौरन उन्हें चोट का |...
अरुण कुमार निगम
--
धीरे-धीरे हम तरही के समापन पर आ गए हैं,
आज नवीन चतुर्वेदी जी और तिलक राज कपूर जी की
ग़ज़लों के साथ मनाते हैं बासी दीपावली।
पंकज सुबीर
--
देशहित में मुद्रा का विमुद्रीकरण
क्या उचित है ...
हमारे देश में मुद्रा परिवार सत्रह माई बाप खसम की फेमिली का परिवार है जिनको धकापेल निकाला तो गया पर कभी बदला नहीं गया बंद नहीं किया गया | पहले 38 साल पहले एक हजार का नोट बदला गया था उसके बाद अभी पांच और एक हजार के पुराने नोट बंद कर नये नोट जारी कर मुद्रा का विमुद्रीकरण किया गया है । हमारे देश में पांच रुपये के सिक्के दस रुपये के सिक्के और 1,2, 5 रुपये के और 10, 20,50,100, 500,1000 रुपये के नोटों का मुद्रा के रूप में चलन है कई रुपये तो आजादी के बाद से अभीतक चलायमान हैं जिसका भरपूर फायदा कालेधन इकठ्ठा करने वालों ने खूब उठाया उन्हें मालूम था कि मुद्रा के रूप में ये नोट कभी बंद नहीं होंगे...
--
तुम मिट गयी सभ्यताओं में शामिल हो जाओंगे
भविष्य की गर्त में छिपा है अमेरिका का भविष्य। ट्रम्प को भारतीय नहीं जानते लेकिन भारतीय एक बात को सदियों से जानते आए हैं और वह है – अपमान। भारतीय अपमान के मायने जानते हैं, वे जानते हैं कि जब चाणक्य का अपमान होता है तो चन्द्र गुप्त पैदा होता है, गाँधी का अपमान होता है तब भारत स्वतंत्र होता है, मोदी का अपमान होता है तब भारत में पुनःजागरण होता है। अपमान के किस्से यहाँ भरे पड़े हैं और इस अपमान से निकला सम्मान के उदाहरणों से इतिहास भरा हुआ है। 5 वर्ष पूर्व ट्रम्प व्हाइट हाउस के एक कार्यक्रम में बैठे हैं, उनका ओबामा के सान्निध्य में ही जमकर मजाक उड़ाया जाता है
और परिणाम 5 वर्ष बाद...
smt. Ajit Gupta
--
--
सुन्दर रविवारीय चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा रविवार की। धन्यबाद।
जवाब देंहटाएं