मित्रों
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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दिलासा
जीवन-भर पुकारा मैंने,
पर तुमने सुना ही नहीं,
शायद मेरी आवाज़ में दम नहीं था,
या तुम्हारे सुनने में ही कुछ कमी थी...
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बालगीत
"गिलहरी"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
बैठ मजे से मेरी छत पर,
दाना-दुनका खाती हो!
दाना-दुनका खाती हो!
उछल-कूद करती रहती हो,
सबके मन को भाती हो!!...
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प्रकोपी सर्दी
दूर है सूर्य
पथराई वसुधा
आ जाओ पास
थमा जीवन
धीमी हुई रफ़्तार
सर्दी के मारे...
Sudhinama पर
sadhana vaid
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कौन भरता है मेरा बिजली का बिल?
आज पिछले माह का बिजली का बिल मिला. मैं अकसर बैंक से मैसेज आते ही बिजली का बिल ऑनलाइन भर देता हूँ. बिल बाद में आता है और यूँ ही पड़ा रहता है. आज बिल पहले आ गया तो थोडा ध्यान से देखा. बिल है 937 रूपये का, पर मुझे सिर्फ 603 रुपये देने हैं. सरकार की ओर से 334 रूपये की सब्सिडी मिली है...
आपका ब्लॉग परi
b arora
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दूधानाथ सिंह
दूधानाथ सिंह -इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी वर्तमान समय में दूधनाथ सिंह न सिर्फ़ इलाहाबाद बल्कि देश के प्रतिष्ठित ख्याति प्राप्त साहित्यकारों में से एक हैं। कहानी, नाटक, आलोचना और कविता लेखन के क्षे़त्र में आप किसी परिचय के मोहताज़ नहीं हैं। आपका उपन्यास ‘आखि़री कलाम’ काफी चर्चित रहा है, इस उपन्यास पर आपको कई जगहों से पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। तमाम पत्र-पत्रिकाओं के अलावा साहित्यिक कार्यक्रमों के चर्चा-परिचर्चा में आपका जिक्र होता रहता है। टीवी चैनलों, आकाशवाणी और पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं के साथ-साथ...
गुफ्तगू पर
editor : guftgu
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भान मुझको, सत्य क्या है
सतत सुख का तत्व क्या है ?
किन्तु सुखक्रम से रहित हूँ,
काल के भ्रम से छलित हूँ,
मुक्ति की इच्छा समेटे,
भुक्ति को विधिवत लपेटे,
क्षुब्धता से तीक्ष्ण पीड़ित,
क्यों बँधा हूँ, क्यों दुखी हूँ...
Praveen Pandey
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एके साधे सब सधे
(भारतीय जीवन बीमा निगम के अधिकारियों, कर्मचारियों और अभिकर्ताओं को समृद्ध करने के लिए ‘निगम’ अपनी मासिक गृह-पत्रिका ‘योगक्षेम’ प्रकाशित करता है। उसी में प्रकाशनार्थ मैंने दिनांक 13 दिसम्बर 2013 को यह आलेख भेजा था। उसके बाद एक बार याद भी दिलाया था किन्तु अब तक कोई जवाब नहीं मिला। निश्चय ही इसे प्रकाशन योग्य नहीं समझा गया होगा। मेरे मतानुसार यह आलेख मुझ जैसे छोटे, कस्बाई अभिकर्ताओं के लिए तनिक सहयोगी और उपयोगी हो सकता है। इसी भावना से इसे अब अपने ब्लॉग पर दे रहा हूँ। इसके अतिरिक्त इसका न तो कोई सन्दर्भ है, न उपयोगिता और न ही प्रसंग।) ...
एकोऽहम् पर
विष्णु बैरागी
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सुप्रभात शास्त्री जी ! बहुत सुन्दर सूत्र हैं आज ! मेरी प्रस्तुति को सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार !
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बढ़िया चर्चा ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति .. आभार !
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा प्रस्तुति।
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