--
पीटना हो किसी बड़ी सोच कोआसानी से एक छोटी सोच वालों काएक बड़ा गिरोह बनाया जाता है
सुशील कुमार जोशी
|
ग़ज़ल (माँ का एक सा चेहरा)
Madan Mohan Saxena
|
वो लड़की ~2
सु-मन (Suman Kapoor)
बावरा मन -
|
कोई उम्मीद बर नहीं आती / ग़ालिब
haresh Kumar
|
प्रैक्टिकल नॉलेज
ऋता शेखर 'मधु'
|
आदर्शों को कुचल रहे...शपथ आदर्श की लेते हैं
udaya veer singh
|
Mana Village -Last Village of Indiaभारत का आखिरी गांव- माणा
SANDEEP PANWAR
|
केसरिया मन हो....निधि सक्सेना
yashoda Agrawal
|
ख़ूबसूरत शै को अक़्सर देखिए
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
|
दाढ़ी झक्क सफेद है, लेकिन फर्क महीन।
सैंटा देता नोट तो, मोदी लेता छीन।
मोदी लेता छीन, कमाई उनकी काली।
कितने मिटे कुलीन, आज तक देते गाली।
हुई सुरक्षित किन्तु, कमाई रविकर गाढ़ी।
सुखमय दिया भविष्य, बिना तिनके की दाढ़ी।।
|
समय करे,नर क्या करे,समय बड़ा बलवान;असर ग्रह सब पर करें ,परिंदा-पशु-इंसान.------विजय राजबली माथुर
विजय राज बली माथुर
|
अमर शहीद उधम सिंह जन्म दिन मनाया
Rajesh Shrivastav
|
सबके उर में प्रेम बसा है
Anita
|
दोहे"आओ नूतन वर्ष"(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
|
कार्टून:-सौ मर्ज़ की एक दवा
Kajal Kumar
|
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार रविकर जी।
नए साल में सुगबुगाहट लिए बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति हेतु धन्यवाद
जवाब देंहटाएंविविधरंगी सूत्रों से सजी सुंदर चर्चा ! चिरौंजी से सजी चाशनी पगी शब्दों की मीठी टिकिया के लिए आभार !
जवाब देंहटाएंआभार रविकर जी आज की सुन्दर रविकर चर्चा में 'उलूक' के सूत्र 'पीटना हो किसी बड़ी सोच को आसानी से एक छोटी सोच वालों का एक बड़ा गिरोह बनाया जाता है' शीर्षक और स्थान देने के लिये । सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएं