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Wednesday, December 14, 2016

बिखर गया मेरी हथेलियों में..........सीमा 'सदा' सिघल; चर्चामंच 2556


लो कुंडलियां मान, निवेदन करता रविकर

रविकर 
क्षरण छंद में हो रहा, साहित्यिक छलछंद।
किन्तु अभी भी कवि कई, नीति नियम पाबंद।
नीति नियम पाबंद, बंद में भाव कथ्य भर।
शिल्प सुगढ़ लय शुद्ध, मिलाये तुक भी बेह'तर।
लो कुंडलियां मान, निवेदन करता रविकर।
मिला आदि शब्दांश, अंत के दो दो अक्षर।।

सीता ही नहीं इन स्त्रियों पर भी थी रावण की बुरी नज़र

Vineet Verma 

वो लड़की ~ 1

सु-मन (Suman Kapoor) 

कौन सा राज

Asha Saxena 

राजस्थान में डाक विभाग द्वारा आयोजित एम.टी.एस डायरेक्ट रिक्रूटमेंट परीक्षा सकुशल सम्पन्न

Krishna Kumar Yadav 

रवि श्रीवास्तव के व्यंग्य

noreply@blogger.com (संजीव तिवारी) 

राणा सांगा की गलती दोहराते राजनाथ

सुधीर राघव 

कार्टून :- नहीं जाउंगा, नहीं जाउंगा, नहीं जाउंगा



4 comments:

  1. सुन्दर। रविकर अन्दाज की निखरी हुई चर्चा।

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  2. सुन्दर चर्चा प्रस्तुति
    आभार!

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  3. उम्दा चर्चा आज की |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |

    ReplyDelete
  4. शुभ प्रभात
    आभार
    सादर

    ReplyDelete

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