मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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भूखा हूं मैया
कुछ खाने को दे दो
कहती गैया...
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माँ मुझको भी रंग दिला दे
माँ मुझको भी रंग दिला दे
मुझको जीवन रंगना है
सपनों के कोरे कागज़ पर
इन्द्रधनुष एक रचना है...
Sudhinama पर
sadhana vaid
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और रूह रिस रही है....
पूजा प्रियंवदा
तुम तक पहुँचने का रास्ता
बहुत अकेला था
लम्बा भी
कड़ी धूप थी
और तुम्हारे इश्क़
की गर्मी
झुलसाती रही मेरी रूह को
मुसलसल...
मेरी धरोहर पर
yashoda Agrawal
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पावस की अमावस की रात
पावस की अमावस की रात
किसी पापी के मन सी काली
घोर डरावनी
गंभीर मेघ गर्जन
किसी पापी के मन सी काली
घोर डरावनी
गंभीर मेघ गर्जन
दामिनी की चमक कर देती है
विरहणी को त्रस्त...
विरहणी को त्रस्त...
मन के वातायन पर
Jayanti Prasad Sharma
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मतलबी
आज की दुनिया में
मतलबियों की दूकान लगी है
हैं इतने मतलबी कि
मतलब निकल गया तो
पहचानते नहीं...
Akanksha पर
Asha Saxena
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आने दो, माँ को, मेरी!
मैं अयप्पन!
मणिकांता, शास्ता!
शिव का सूत हूँ मैं!
और मोहिनी है मेरी माँ!
चलो हटो!
आने दो माँ को मेरी....
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