आइए शनिवार की चर्चा प्रारम्भ करता हूँ!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
-------------------------- दोहे"बदला लो सरकार"![]() हम पलाश के फूल,सजे ना गुलदस्ते में![]()
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उड़ी या पुलवामा![]()
बावरा मन पर
सु-मन (Suman Kapoor)
--------------------------शीर्षकहीन
*रणभूमि :एक रण जीवन का* भ्रष्टाचार के दावानल में भस्मासात् जनता सारी हे विश्वेश्वर !हमें बचाओ क्यों भ्रष्ट भए हैं नर नारी अवलोकित कलिकाल दशा को डमरू वाला मुस्काया कर्मविरत! मत मुझे पुकारो सजी तुम्हारी रणभूमि माया रंग से रंजित होकर जीव ब्रह्म विसराता है पाकर कुछ भौतिक सपनों को खुद को धन्य समझता है जीव पतंगा जग दीपक में निज अस्तित्व मिटाता है माया तो बस खेल खिलाए जीव त्यागता रणभूमि पंकज पंख में बिलख रहे पर आंचल मोह का न त्यागा पृथक् डाल से नलिनी को कर गज काल पाएगा ...
कविता मंच पर
Dr. Vimal Dhaundiyal
--------------------------गर्व (लघुकथा)![]()
(Laghukatha Duniya) पर Chandresh
--------------------------शीर्षकहीन
धरती माँगे पूत से, दुशमन का संहार
इक इक कतरा खून का, देंगे उस पर वार...
sapne(सपने) पर
shashi purwar
--------------------------हाईकू![]()
Akanksha पर Asha Saxena
--------------------------Pulwama Aatanki Hamla ||Hai Matam Pasra HuaHar Aankh Nam Hai Aaj![]()
Dev Kumar पर Dev Kumar
--------------------------शीर्षकहीन
धारा 370 की धार का ये दंश है।
कुलद्रोहियों के द्रोह का विध्वंश है।
पूर्व त्रुटियों का अशेष अपभ्रंश है।
चल रहा सदियों से यहाँ अंतर्द्वंध है...
kamlesh chander verma
--------------------------पलाश के फूल![]()
नहीं अच्छे लगते मुझे
ये पलाश के फूल !
नहीं लुभाते ये मेरा मन
अंतर में चुभ जाते हैं मेरे
ये बन के तीखे शूल..
Sudhinamaपरsadhana vaid
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Saturday, February 16, 2019
"चूहों की ललकार." (चर्चा अंक-3249)
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चिंतन- मंथन बहुत हुआ, अब एक्शन मोड में आएँँ श्रीमान।
ReplyDeleteछद्म युद्ध उनकों भाता, तो हम है शिवा जी के संतान।
इन जवानों को नमन, सार्थक चर्चा मंच पर पथिक को स्थान देने के लिये प्रणाम शास्त्री सर।
सार्थक चर्चा
ReplyDeleteसुप्रभात |
ReplyDeleteमेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |
बहुत ही प्रेरक सूत्र आज की चर्चा में ! अब बहुत आवश्यक हो गया है कि ऐसे ठोस कदम उठाये जाएँ कि हर देशवासी के आहत हृदय को आश्वासन मिले और व्यथित भारत माँ के मान की रक्षा हो सके ! आज की चर्चा में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! जय हिन्द !
ReplyDeleteनमन वीरों को।
ReplyDeleteनमन वीरो को
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