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Friday, February 15, 2019

“प्रेम सप्ताह का अंत" (चर्चा अंक-3248)

मित्रों
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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दोहे  

"करना मत हठयोग"  

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फिर आया बसंत....... 

श्वेता सिन्हा 

yashoda Agrawal  
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है कैसी जुदाई... 

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मंथन ! 

पात-डालियों की जिस्मानी मुहब्बत,अब रुहानी हो गई  
मौन कूढती रही जो ऋतु भर, वो जंग जुबानी हो गई।... 

पी.सी.गोदियाल "परचेत" 
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मीठी यादों वाली खिड़की   

और लोक की यादें 

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आख़िर यह क्या था ,  

मुझे लगता है  

अब मुलायम सिंह यादव भी  

यह नहीं बता सकते 

Dayanand Pandey  
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नज़र चुरा के चले, जिस्म-ओ-जाँ बचा के चले...:  

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़  

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वेलेंटाइन डे 

Akanksha पर 
Asha Saxena  
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बेजा विवादों से बचे सोशल मीडिया 

Mukul Srivastava  
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कार्टून :-  

शराबवाली की मटकी में छाछ 

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शीर्षकहीन  

i b arora 
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“प्रेम सप्ताह का अंत  

(वेलेंटाइन डे)  

बनाम जोड़ों का दर्द” 

आलेख -  
“प्रेम सप्ताह का अंत (वेलेंटाइन डे) बनाम जोड़ों का दर्द” एक फिल्मी गीत याद आ रहा है - सोमवार को हम मिले, मंगलवार को नैन बुध को मेरी नींद गई, जुमेरात को चैन शुक्र शनि कटे मुश्किल से,आज है ऐतवार सात दिनों में हो गया जैसे सात जनम का प्यार।। अब इससे ज्यादा शॉर्टकट और भला क्या हो सकता है ? गुलजार साहब ने लिखा - हमने देखी है इन आँखों की महकती खुशबू हाथ से छू के इसे, रिश्तों का इल्जाम न दो सिर्फ एहसास है ये रूह से महसूस करो प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो।। गीतकार भरत व्यास के शब्दों में कहें तो, पिया आधी है प्यार की भाषा आधी रहने दो मन की अभिलाषा ... 

6 comments:


  1. सुंदर प्रस्तुत , सभी को प्रणाम। मंच पर पथिक को सम्मान मिला, शास्त्री सर को धन्यवाद। प्रेम दिवस पर याद आया यह कि

    जिसने प्रेम किया है, उसे इस दिवस की उपयोगिता भी समझ में आयी होगी। वे तीन शब्द जिसमें उसमें किसी की दुनिया समायी होती थी।
    जिसने छल क्या है, वह भूल चुका होगा, पुरानी यादें।
    वैसे वैराग्य ही मानव जीवन के प्रेम की आखिरी सीढ़ी है। इसीलिए सन्यास आश्रम की रचना है।

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  2. अच्छे लिंक से सुसज्जित चर्चा हेतु आपका आभार।

    ReplyDelete
  3. सुप्रभात |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |

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  4. शुभ प्रभात आदरणीय
    सुन्दर चर्चा प्रस्तुति
    सादर

    ReplyDelete
  5. सुंदर चर्चा। मेरे आलेख को स्थान देने के लिए आभार।

    ReplyDelete

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