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गुरुवार, फ़रवरी 14, 2019

"प्रेमदिवस का खेल" (चर्चा अंक-3247)

मित्रों
गुरूवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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दोहे  

"प्रेमदिवस का खेल"  

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मन के पलाश....  

निशा माथुर 

yashoda Agrawal  
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काश, ऐसी बेटियाँ  

भगवान सबको दे... 

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मेरा अस्तित्व 

मेरा अस्तित्व  
तू बरगद का पेड़  
और मैं छाँव तेरी  
है यदि तू जलस्त्रोत  
मैं हूँ जलधार तेरी... 

Akanksha पर 
Asha Saxena 
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तुलसी राम :  

मुर्दहिया अमर है :  

मोनिका कुमार 

समालोचन पर arun dev 
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मटमैला इल्म़ ! 

पी.सी.गोदियाल "परचेत" 
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मध्य 

Sunehra Ehsaas पर 
Nivedita Dinkar  
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पहाड़ पर क्राॅस 

युवाम पर 
GurpreetSingh Lecturer 
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मासूम शब्द 

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
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605.  

बसन्त  

(क्षणिका) 

डॉ. जेन्नी शबनम  
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प्रेम.... 

भगवतीचरण वर्मा 

yashoda Agrawal  
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हर लम्हा तुहारी यादो का 

हर लम्हा तुम्हारी यादो में गुजरता है, 
तुम्हारे पास होने का अहसास दिलाता है... 

aashaye पर garima 
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Kiss Day  

Love Poem 

Nitish Tiwary 
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लघुकथा वीडियो:  

दूसरी औरत |  

लेखक: दुर्गादत्त जोशी |  

वाचक: अर्जुन नैलवाल 

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साझा संकल्प 

तुम्हारे मेंहदी रचे हाथों में  
रख दी थी मैंने अपनी भट्ट पड़ी हथेली  
और तुमने महावर लगे अपने पांव  
रख दिये थे मेरे खुरदुरे आंगन में ... 

ग़ज़ल  

"सभ्यता के हिमालय पिघलने लगे"  

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

12 टिप्‍पणियां:

  1. अमूमन इंसान दूसरों का दर्द कहाँ कोई समझ पाता है। उसे तो बस अपनी खुशहाली दिखती है।
    सच्चा मित्र वही है,जो मित्र के हृदय की वेदना को समझे। उसके निश्छल स्नेह को समझे।
    सुंदर चर्चा अंक, सभी को प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  2. उम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रेम दिवस की सभी को शुभकामनाएं।
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. सुप्रभात |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  6. मेरी एक छोटी सी यात्रा 'पहाड़ पर क्रॉस' को शामिल करने के लिए धन्यवाद ।
    - गुरप्रीत सिंह

    जवाब देंहटाएं

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