मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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रोशी :
ना आँखों में तनिक अश्रुबिंद ,
मस्तिस्क भी हो गया शून्य...
लांघ गया था वो
हैवानियत की सारी सीमाएं...
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बडा सवाल !
कार्य निर्विघ्न अमनसेतु का शुरू हो,
इसी इंतजार मे भील हैं,
सिरे सेतु के कहांं से कहांं जोडें,
सिरे सेतु के कहांं से कहांं जोडें,
असमंजस मे नल-नील हैं।
तमाम कोशिशें खारे समन्दर मे,
तमाम कोशिशें खारे समन्दर मे,
मीठे जल की तलाश जैसी,
पथ कंटक भरा, तय होने अभी
पथ कंटक भरा, तय होने अभी
असंख्य श्रमसाध्य मील हैं।...
अंधड़ ! पर
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
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आज ज़रूरत है इस इस्लामी
और जेहादी हिंसा का जवाब सेना ही दे ,
कश्मीर सेना के हवाले हो
सरोकारनामा पर
Dayanand Pandey
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इनको तो पता ही नहीं ये देश क्या है,
यहां की संस्कृति क्या है ? :
कृष्णा सोबती ------
आर चेतनक्रान्ति
क्रांति स्वर पर
विजय राज बली माथुर
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सच का दीप जलाता हूँ
नीम-निबौली पर मैं
मीठी परतें नहीं चढाता हूँ।
हाथ झुलसते जाते हैं लेकिन
सच का दीप जलाता हूँ...
हृदय पुष्प, पर राकेश कौशिक
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कश्मीर समस्या का अंतिम हल --
डा श्याम गुप्त .
देशद्रोह विश्व में व इस देश में सदैव ही हावी रहाहै | देश के अन्दर छुपे देश द्रोहियों की सूचनाओं के बिना कुछ भी नहीं होसकता...
जवाब देंहटाएंनमन, वंदन, आक्रोश, राजनैतिक आरोप प्रत्यारोप ,वही मुर्दाबाद के नारे और जुबानी ललकार।
विचित्र सी स्थिति है ,इस घटना के बाद।
वहीं जनता शोर मचा रही है एक्शन.. एक्शन...।
पथिक को मंच पर स्थान देने के लिये धन्यवाद शास्त्री सर। सभी को प्राणाम ।
मेरी रचना को चर्चा मंच में स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति आदरणीय
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें
सादर
सुन्दर चर्चा ।
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