मित्रों
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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झील के किनारे
चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !
जहाँ दिखा था पानी में प्रतिबिम्ब तुम्हारा ,
उस इक पल से जीवन का सब दुःख था हारा...
Sudhinama पर
sadhana vaid
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सुना है
धुंधली आंखें भी
पहचान लेती हैं
भदरंग चेहरे
सुना है इन चेहरों में
मेरा चेहरा भी दिखता है...
Jyoti Khare
प्रार्थना
प्रार्थना का मुख्य काम है मनुष्य के भीतर नए विचार उत्पन्न करना। विचार सचेतावस्था मैं मौजूद रहता है जब ये विचार उतसर्जित होते हैं हैं निकलते हैं तो वास्तविकता जन्म लेती है तथा निष्कर्ष सफल घटनाओं के रूप मैं सामने आते हैं...
604.
काला जादू
जब भी, दिल खोल कर हँसती हूँ
जब भी, दिल खोल कर जीती हूँ
जब भी, मोहब्बत के आगोश में साँसें भरती हूँ
जब भी, संसार की सुन्दरता को, दामन में समेटती हूँ
न जाने कब, मैं खुद को नजर लगा देती हूँ
मुझे मेरी ही नजर लग जाती है...
डॉ. जेन्नी शबनम
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भगवान को सरल जन ही प्रिय हैं !
एकादशी कर ली तो मैं तो द्वादशी देख ही नहीं पाऊँगा !
महात्मा समझ गए कि ये भूखा नहीं रह सकता...*
हिन्दी_ब्लागिंग सरलता का अर्थ है,
अंदर-बाहर से एक जैसा होना। मन,
वचन और कर्म में समान होना...
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
भगवान को सरल जन ही प्रिय हैं-
जवाब देंहटाएंयह प्रेरक प्रसंग और महात्मा जी की कथा, मैं सुबह जब जब सुनता हूँ। मन सरलता की ओर अग्रसर होता है, वह कहता है कि विद्वता, पद- प्रतिष्ठा के रथ से नीचे उतरो।
मंच पर पथिक को स्थान देने के लिये आभार शास्त्री सर। सभी को सुबह का प्रणाम।
सुप्रभात |उम्दा संकलन लिंक्स का |मेरी रचना शामिल करने के लिये धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात आदरणीय
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा संकलन ,सुन्दर रचनाएँ ,चर्चा में मुझे स्थान देने के लिए सह्रदय आभार आदरणीय
सादर
सुन्दर चर्चा ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरती से सजाए हुए बहुत ही सुन्दर सूत्र आज की चर्चा में ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंआभार, शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंशानदार लिंक संयोजन
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह
सभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मलित करने का आभार
सादर