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शुक्रवार, फ़रवरी 01, 2019

"ब्लाॅग लिखने से बढ़िया कुछ नहीं..." (चर्चा अंक-3234)

मित्रों
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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रिश्ते... 

ब्लाॅग लिखने से बढ़िया कुछ नहीं... वक़्त की साज़िश से,रिश्ते पनप तो जाते हैं,मगर उनको कहानी बनते,देर नहीं लगती ...रूहानी पंख लिये,वो सरपट भागते सपने,विवशता के कुएँ में जब,औंधे गिरते हैं तो,क़समों और वादों की सिर्फ़,गूँज ही सुनाई पड़ती है,और बची-खुची उम्मीद को तो,साँप ही सूँघ जाता है.... 
स्वप्न मञ्जूषा  
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दर्द ने फिर दस्तक दी है, दिल के दरवाजे पर 

सदा आज़माते रहो, अपनी दुआओं का असर 
ख़ुदा की रहमत से, शायद कभी बदले मुक़द्दर। 

लोगों के पत्थर पूजने का सबब समझ आया 
जब से मेरा ख़ुदा हो गया है, वो एक पत्थर... 
Sahitya Surbhi पर 
Dilbag Virk  
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गृहिणी 

प्यार पर 
Rewa tibrewal  
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पीड़ा! 

शक्ति और अधिकार का जब होने लगे दुरूपयोग ,  
तब ही होने लगता है परिणत वियोग में संयोग ,  
हरदम मुस्कराती आँखें  
जब आंसुओं से भर जाती हैं... 
hindigen पर रेखा श्रीवास्तव  
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शब्दों का खेत 


'शब्दों के खेत' में
आओ खामोशियों को बोएँ
तितलियों के पंखो को
सपनो की जादुई छड़ी से
सहलाएं.... 
धरोहर पर 
yashoda Agrawal 
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द्वीप 

बीच बीच में उग आते हैं , द्वीप।  
जड़वत।  
हमारे चिंतन प्रवाह की तरलता में  
विचारो के जड़ तत्व की तरह,  
जिन पर छा जाता है  
अरण्य अहंकार का... 

7 टिप्‍पणियां:


  1. आओ, शब्दों के खेत में
    खामोशी को फिर से बोएं....
    बहुत सुंदर पंक्तायाँ , मौनी अमावस्या का सृजन सम्भवतः हमारे धर्मशास्त्रों में इसीलिए हुआ हो।
    सरल शब्दों में बड़ा संदेश।
    सुंदर और सार्थक मंच। पथिक की बातों को स्थान देने के धन्यवाद शास्त्री सर जी।
    सभी को सुबह का प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात |उम्दा लिंक्स|मेरी रचना शामिल करने के लिये धन्यवाद सर |

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर सूत्रों का संकलन आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को आज की चर्चा में स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर शुक्रवारीय चर्चा अंक। आभार आदरणीय 'उलूक' के प्रलाप को भी जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति 👌
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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