मित्रों
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सरस्वती वंदना
अनकहे बोल पर
Anchal Pandey
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मेरी आवाज़ को, दर्द के साज़ को...
मैं तो कहूँगा कि अपने दर्द को लेखनी बना लो, यह तुम्हारा सच्चा साथी है । जब भी मन में भावनाओं का उफान हो, हृदय की वेदना किसी को पुकार रही हो, उसे शब्द देना सीखो । तुम जितना ही उसमें डूबोगे, उतना ही उसका स्नेह तुम्हारे प्रति बढ़ता जाएगा...
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बसंत पंचमीं
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दिल है पुष्प गुलाब.....
डॉ. यासमीन ख़ान
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बालकहानी
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'विचित्र संयोग..'
Priyanka Jain
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ऐसा वर दो माँ
noopuram
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धुन
वो मौसम सा नहीं ,ऐक सवेरा है
शाम ढलने तलक ही हो , वो मेरा है
धुन मुझे मेरा ही ले जाए दूर कहीं ,
मन को रोके हुए वो ऐक सपेरा है...
नीलांश
ममता के पराभव का दौर
जिज्ञासा पर
pramod joshi
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सच पे लटका हुआ खंज़र है कई सदियों से
कैसे ज़िन्दा ये सुख़नवर है कई सदियों से ।।
लूट जाते हैं यहाँ देश को कुर्सी वाले ।
देश का ये ही मुक़द्दर है कई सदियों से... \
तीखी कलम से पर
Naveen Mani Tripathi
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बदल रहा है आदमी, ज्यों-ज्यों अपने रंग।
जवाब देंहटाएंमौसम भी है बदलता, त्यों-त्यों अपने ढंग।।
जी बिल्कुल प्रकृति का भी रंग बदल रहा है, हम इंसानों की अति महत्वाकांक्षा के कारण।
मंच पर स्थान देने के लिये आभार शास्त्री सर जी।
सभी को सुबह का प्रणाम।
सुप्रभात |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुंदर चर्चा। मेरे ब्लॉग पर आप सभी का स्वागत है।
जवाब देंहटाएंiwillrocknow.com
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचनाओं का संकलन। बधाई और आभार।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शास्त्रीजी.
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई !
जब तक मन रंगरेज़ है,
जवाब देंहटाएंक्यूँ फीका पड़े बसंत ?