मित्रों
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
--
--
--
विसर्जन के फूल
फूल उतराते रहे दूर तक,
महासागर के अथाह जल में.
समा गये संचित अवशेष
कलश से बिखर हवाओं से टकराते,
सर्पिल जल-जाल में
विलीन हो गए ...
प्रतिभा सक्सेना
--
--
महापुरुष
इसमें कोई शक नहीं कि पुरुष अपने कर्मों से महान बनता है। पुरुष से महापुरुष बनने के लिए उसे कई सत्कर्म करने पड़ते हैं। महापुरुष बनने के लिए पुरुष को सबसे बड़ा सत्कर्म तो यह करना पड़ता है कि उसे अपना पुरुष तत्व त्यागना पड़ता है। पुरुषत्व त्यागने के लिए पुरुष को स्त्री से दूर भागना पड़ता है...
बेचैन आत्मा पर
देवेन्द्र पाण्डेय
--
सर्दी में बाल कभी मत कटाओ --
आज फिर हमने कटिंग कराई ,
आज फिर अपनी हुई लड़ाई ।
नाई ने पूर्ण आहुति की पुकार जब लगाईं ,
तो हमने कहा , बाल कुछ तो काटो भाई...
अंतर्मंथन पर
डॉ टी एस दराल
--
--
स्वप्न अधिक न पालो मन में, स्वप्न टूटने पर दुख होता,
ReplyDeleteहर पल को मुट्ठी में बांधो, जीवन बस एक तमाशा है।
शिक्षाप्रद और विचारोत्तेजक रचनाओं से भरा सुंदर चर्चा मंच, सभी को सुबह का प्रणाम।
सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
ReplyDeleteशुभ प्रभात आदरणीय
ReplyDeleteसुन्दर चर्चा प्रस्तुति 👌|
सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें
सादर
शुभ प्रभात..
ReplyDeleteआभार..
सादर..
सुंदर चर्चा।
ReplyDeleteसुप्रभात |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
ReplyDeleteआप अलख जगाए हुए हैं। साधुवाद।
ReplyDelete