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सोमवार, मई 06, 2019

"आग बरसती आसमान से" (चर्चा अंक-3327)

मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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भीगे बादल 

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा  
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दर्द और मैं 

अक्सर दर्द और मैं 
दोनों ही देखते हैं 
यूँ ही एक दूसरे को... 
झरोख़ा पर 
निवेदिता श्रीवास्तव  
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मेघ 

बादलों ने छेड़ी 
ऐसी मधुर तान  
बरस आए मेघा 
सुर और ताल 
उमड़ घुमड़ घटाएँ 
घनघोर मिला रही... 
RAAGDEVRAN पर 
MANOJ KAYA 

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर सजाए है आज का चर्चा मंच

    जवाब देंहटाएं
  2. बदल तो
    जरूरी है
    पर इतना याद रहे,
    शहर
    बसे बेटों का
    माँ से सम्वाद रहे ,
    याद रहें
    पेड़ों के
    स्वाद भरे आम ।

    निष्पक्ष एवं सबसे सुंदर है ,अपना यह मंच।
    प्रणाम शास्त्री सर।
    इस मंच पर आकर बहुत खुशी मिलती है , क्यों कि कहीं से भी नये रचनाकारों के संग पक्षपात होते मुझे कभी नहीं दिखा।
    न ही एक ही रचनाकार को हमेशा शीर्ष पर रखा गया।
    एक पत्रकार होने के लिहाज से भी मुझे आपके मंच की यह विशेषता पंसद है।
    सभी को पुनः नमन है।

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति आदरणीय
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. बालकविता "कुदरत ने फल उपजाये हैं" अत्यंत ज्ञानवर्धक है। चुनावी तूफान रोचक है....
    मेरी पोस्ट को सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार !

    जवाब देंहटाएं

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