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सोमवार, अप्रैल 06, 2020

"इन दिनों सपने नहीं आते"( चर्चा अंक-3663 )

सादर अभिवादन।

सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।

आज पढ़िए कविवर हरिवंश राय बच्चन जी की कालजयी कविता-

मैं दीपक हूँ, मेरा जलना ही तो मेरा मुस्काना है|

आभारी हूँ तुमने आकर
मेरा ताप-भरा तन देखा,
आभारी हूँ तुमने आकर
मेरा आह-घिरा मन देखा,
करुणामय वह शब्द तुम्हारा--
मुसकाओथा कितना प्यारा।
मैं दीपक हूँ, मेरा जलना ही तो मेरा मुस्काना है|

है मुझको मालूम पुतलियों
में दीपों की लौ लहराती,
है मुझको मालूम कि अधरों
के ऊपर जगती है बाती,
उजियाला करदेनेवाली
मुसकानों से भी परिचित हूँ,
पर मैंने तम की बाहों में अपना साथी पहचाना है।
मैं दीपक हूँ, मेरा जलना ही तो मेरा मुस्काना है|
साभार: कविता कोश   

शब्द-सृजन-१६ का विषय है-

'सैनिक'

आप इस विषय पर अपनी रचना 
आगामी शनिवार (सायं 5 बजे ) तक 
चर्चामंच के ब्लॉगर संपर्क फ़ॉर्म (Contact Form ) के ज़रिये भेज सकते हैं। 
चयनित रचनाएँ आगामी रविवासरीय चर्चा अंक में प्रकाशित की जाएँगीं। 

आइए पढ़ते हैं मेरी पसंद की कुछ रचनाएँ-
*****
*****
My Photo
दिनभर
हड़कंप मची रही
सपनों की बिरादरी में
क्या अपराध है हमारा
कि आंखों ने
बंद कर रखे हैं दरवाजे
*****
शाम


मेरी फ़ोटो

ढ़लता सूरज सब जान जाए  
भेज दे वो अपने रथ से थोड़ा सुकून
और हर ले उदासी  
भले ही वह पल शाम हो  
पर जीवन की सुबह बन जाए  
*****
एकता का हम अलख जगाएं
हम सब मिलकर दीप जलाएं। 
रण में हैं सब अपने बल पर,
मिल सभी एक जोर लगाएं
कोई न हो निराश अभी से 
आशा का हम दीप जलाएं
*****
My Photo
न मेरे पास दिया है,
न तेल, न बाती,
दिवाली की बची 
कोई मोमबत्ती भी नहीं है,
न ही कोई फ़्लैश लाइट है 
मेरे पुराने मोबाइल में.
*****
तेरी बन्द पलकों,.... के पीछे
देखा करती थी.....
पलास के फूलों जैसे 
बिखरे हुए अंगारे 
 खेलते रहे निरंतर….
 उनअगारों से तुम…
 राख में परिवर्तित….
 हो गये एक दिन !
*****
जन -जन बाती 
बनें देश की 
मन में रहे हुलास ,
जम्मू ,केरल ,
पटना ,काशी 
या प्रयाग ,देवास ,
गाँव ,शहर 
के संग खड़े हों 
वन में कोल ,किरात 
*****
Lock down
मैं पहले से तुम्हारे लिए,

चिड़िया को मनाकर,

तैयार रखूँगा,

गाने को प्रेम गीत।
*****

 फट जाती हैं


 लहूलुहान


 रक्तवाहिनियाँ 


 वमन करते हैं


विचारों का दूषित गरल


खखारकर थूकते हैं लोग
*****
सदा मानव ने स्वयं को श्रेष्ठ माना
अपने अस्तित्त्व को बनाये रखने 
और फलने-फ़ूलने के लिए 
प्रकृति की अन्य सन्तानों को दांव पर लगाया 
पंछियों से उनका आश्रय छीना
पशुओं को बेघर किया 
कीट नाशकों का कर निर्माण 
अनेकों प्रजातियों को विलुप्त ही कर दिया !
*****
" दीया " अर्थात"  दे दिया " ,मतलब - देना ....
दीया  का काम ही हैं निस्वार्थ भाव से प्रकाश देना  ..
.बिना किसी भेद -भाव का। आज रात  नौ बजे हम सब को 
भी एक साथ एक ही वक़्त में एक  संकल्प का दीया बनना हैं...
 हम अपने हाथो में दीया लेकर खड़े होंगे... एक संकल्प के साथ जुड़ेंगे ...
संकल्प देश को बचाने का ,संकल्प मानवता को बचाने का, 
संकल्प सृष्टि को बचाने का।
*****
*****
आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे अगले सोमवार। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

15 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर चर्चा। सभी रचनाएँ शानदार हैं। मेरी रचना शामिल करने के लिए विशेष आभार।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर और व्यवस्थित चर्चा अंक।
    आपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।

    जवाब देंहटाएं

  3. बस आज की प्रस्तुति पढ़ कर , बचपन के वे दिन याद आ गये जब चोखा में डालने के लिए भी घर में आधा चम्मच सरसो का तेल नहीं हुआ करता था।
    ख़ैर यह विचित्र रंगमंच है। जिसका रचयिता ही क्षीरसागर में रहता हो उसे क्या पता कि उसकी अनेक संतानें दूध बिन छटपटा रहे हैं।
    और उसका दुग्धाभिषेक हो रहा है।

    कल इस आर्थिक संकट में तेल की बर्बादी देख आँखें नम हो गयीं, बचपन के उन दिनों को याद कर।

    मानों जल रहे दीपक यह शिकायत कर रहे हो...

    प्रकाश ,नहीं निज स्वार्थ में
    तुम मुझे जला के मुस्कुराते
    दे दो तेल किसी गरीब को
    यूँ बलिदान मेरा,ये अधर्म है।

    हो सकता है, मेरे इस विचार से अनेक लोग असहम हो, परंतु इस संकटकाल में निम्न-मध्यवर्गीय लोगों और पशुओं की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है।

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन चर्चाअंक ,मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद सर ,सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर प्रस्तुति हमारी रचना को चर्चा में स्थान देने के लिये हार्दिक धन्य वाद

    जवाब देंहटाएं
  6. भूमिका में निहित कविता के भाव आपके चिंतन का दर्पण है। सराहनीय सूत्रों से युक्त सुंदर अंक में मेरी रचना शामिल करने के लिए आपकी बहुत आभारी हूँ रवींद्र जी।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही अच्छे लिंक्स |आपका हार्दिक आभार भाई रवीन्द्र जी

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति आदरणीय सर. सभी रचनाएँ बेहतरीन. मेरी लघुकथा को स्थान देने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया. सभी रचनाकारों को बधाई.
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत ही अच्छे लिंक दिए
    आपने बहुत ही अच्छी चर्चा
    आभार आज की पोस्ट के लिए

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति । सभी लिंक्स अत्यंत सुन्दर ।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुंदर लिंक संयोजन
    बच्चन की कविता के माध्म से सार्थक प्रारंभ
    आपको साधुवाद
    सम्मिलित सभी रचनाकारों को बधाई
    मुझे सम्मिलित करने का आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  12. भूल सुधार बच्चन जी की कविता के माध्यम से
    इसे पढ़ा जाये
    क्षमा सहित

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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