मित्रों!
हमारे प्रधानमन्त्री नरेन्द्र भाई मोदी ने लॉकडाउन को
तीन मई तक अर्थात 19 दिन और बढ़ा दिया है।
प्रश्न उठता है कि इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी?
उत्तर में यही कहना चाहता हूँ कि
इसके लिए हम स्वयं ही उत्तरदायी हैं।
यद्यपि 85 प्रतिशत जनता ने इसमें सहयोग किया है।
परन्तु हममें से 5 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिन्होंने अपने कोरोना लक्षणों और विदेश यात्राओं को छिपाया ही नहीं अपितु विदेशी नागरिकों को अपने घरों में, पूजाघरों में छिपा कर भी रखा और सरकार को कोरोना उन्मूलन में बिल्कुल भी सहयोग नहीं दिया। सत्यता तो यह है कि आय उन्हीं के कारण कोरोना बहुत तेजी के साथ भारत में बढ़ा।
पोस्ट से आज की चर्चा प्रारम्भ कर रहा हूँ।
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अब देखिए बुधवार की चर्चा में
मेरी पसन्द के कुछ लिंक...
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भारतीय मुस्लिम समाज
सकारात्मक सोच की आवश्यकता
अगर मैं मुस्लिम समाज की बात करूं तो हमारी 80-90% आबादी आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है और हम आज भी अपने हालात पर फिक्र करने की जगह, पॉज़िटिव अप्रोच से प्लानिंग बनाने की जगह नेगेटिविटी पर जमे हुए हैं, दूसरों की कमिंयाँ ढूंढने में व्यस्त हैं। हमारे पास तो हालात को ठीक करने के काम में से चंद मिनट भी इन फालतू चीज़ों के लिए नहीं होने चाहिए थे....
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चन्द माहिया
1
ये रात ,ये तनहाई
सोने कब देती
वो तेरी अंगड़ाई
2
जो तू ने कहा, माना
तेरी निगाहों में
फिर भी हूँ अनजाना...
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक
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खुदा का लाख लाख शुक्र है
तब्लीगी ज़मात के कोई हज़ार से ज्यादा लोगों को
इलाज़ मुहैया करवाया जा रहा है
virendra sharma
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कलम !
लॉकडाउन के मध्य बिस्तर पर लेटे-लेटे ख्यालों की उडान हिंदी ब्लॉग जगत के स्वर्णिम युग मे जा पहुंची और अचानक 'कलम' का हर वक्त जीवन्त एक सिपाही याद आ गया। नाम था 'चंद्रमौलेश्वर प्रसाद'...
'परचेत' पर
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
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शिद्दत ...
तुम्हें सामने खड़ा करके बुलवाता हूँ कुछ प्रश्न तुमसे ... फिर देता हूँ जवाब खुद को, खुद के ही प्रश्नों का ... हालाँकि बेचैनी फिर भी बनी रहती है ... अजीब सी रेस्टलेसनेस ... आठों पहर ...
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पूछती हो तुम ... क्यों डूबे रहते हो यादों में ... ?
मैं ... क्या करूँ
समुन्दर का पानी जो कम है डूबने के लिए
(तुम उदासी ओढ़े चुप हो जाती हो, जवाब सुनने के बाद...
स्वप्न मेरे पर दिगंबर नासवा
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गूलर के फूल
कथित रामप्यारे ने देखे
सपने में गूलर के फूल।
स्वर्ण महल में पाया खुद को
रेशम के वस्त्रों में लकदक
रत्नजड़ित झूले पर झूलें
बीबी- बच्चे उजले झक
दुख- दर्दों के पर्वत सारे
नष्ट हो गये हैं सहमूल...
गीतांजलि पर
Shashikant gite
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बेईमान यादेँ
मुलाक़ात अपनी मुकम्मल करा जाती हैं
भुला दस्तूर अध खुली पलकों का
यादें तेरी रात महका जाती हैं
छलकती पलकें आज भी तस्वीर
तेरी यादों की ही बुनती जाती हैं...
RAAGDEVRAN पर
MANOJ KAYAL
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शहद को शराब कर दिया।
मोहब्बत ऐसी की शहद को शराब कर दिया,
बचपन में तो अच्छे थे, जवानी ने खराब कर दिया...
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माटी
दोहावली
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माटी मेरे देश की,इस पर है अभिमान।
तिलक लगा कर भाल पर,करते हैं सम्मान।।
इस माटी में जन्म ले काम इसी के आय।
वतन पर जो मर मिटे,जीवन सफल कहाय,,,
काव्य कूची पर
anita _sudhir
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बीत गया मधुमास सखी
मंजरी बिखरी आँगन में
बीत गया मधुमास सखी।
पीत किसलय हुए पल्लवित
हिय उमड़ा विश्वास सखी ।।
सोन जुही सरसों के फूल
गुनगुनाते मोहक गान ।
अमराई में गूँजती है
कोकिला की मीठी तान ।
चहुँ दिशा में खिलखिलाता
व्याप्त सरस उल्लास सखी ।।
गूँगी गुड़िया पर Anita saini
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ग़म के डब्बे
अलग-अलग डब्बों में,
ग़मों को ढक्कन लगा के बंद कर दिया है।
और उन डब्बों को दिल के किचन में,
करीने से सजा के रख दिया है...
Anjana Dayal de Prewitt (Gudia)
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बने किचिन किंग
पत्नी से चार गुना प्यार पाए
जबलपुर मूल के श्री समीर लाल जो ब्लॉग जगत के बेहद प्रसिद्ध टेक्स्ट ब्लॉगर है तथा वर्तमान में कनाडा में रहते हैं। उनका ब्लॉग उड़नतश्तरी के नाम से प्रसिद्ध है अगर जबलपुर से हिंदी ब्लॉगिंग का इतिहास शुरू होता है तो चार्टर्ड अकाउंटेंट कनाडा वासी श्री समीर लाल के नाम से उसके बाद कहीं मेरा नंबर आता है और फिर उंगलियों पर गिनने लायक कुछ लोग शामिल है। 2007 से हम हिंदी ब्लॉगिंग कर रहे हैं। समीर लाल हिंदी ब्लॉगिंग के साथ-साथ अब यूट्यूब पर विभिन्न रेसिपी बताते हैं। और उनके द्वारा बहुत सारी रेसिपी अब तक यूट्यूब पर प्रस्तुत की जा चुकी है...
Misfit पर गिरीश बिल्लोरे मुकुल
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तट-सा मन मेरा ...
- चन्द पंक्तियाँ - (२५) -
बस यूँ ही ...
छूकर गुजरती धार
उस अजनबी शहर के
तट-सा मन मेरा
बहुत है ना .. जानाँ !
भींग जाने के लिए
आपादमस्तक हमारा ...
Subodh Sinha
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शब्द-सृजन-17 का विषय है :-
'मरुस्थल' आप इस विषय पर अपनी रचना (किसी भी विधा में) आगामी शनिवार (सायं 5 बजे) तक चर्चा-मंच के ब्लॉगर संपर्क फ़ॉर्म (Contact Form ) के ज़रिये हमें भेज सकते हैं। चयनित रचनाएँ आगामी रविवासरीय चर्चा-अंक में प्रकाशित की जाएँगीं।
'मरुस्थल' आप इस विषय पर अपनी रचना (किसी भी विधा में) आगामी शनिवार (सायं 5 बजे) तक चर्चा-मंच के ब्लॉगर संपर्क फ़ॉर्म (Contact Form ) के ज़रिये हमें भेज सकते हैं। चयनित रचनाएँ आगामी रविवासरीय चर्चा-अंक में प्रकाशित की जाएँगीं।
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आज के लिए बस इतना ही...
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जमातियों के नकारात्मक सोच को आक्सीजन देने वाले कौन लोग हैं ? पहले उनकी पहचान हो जाए, फ़िर कोई भी जमाती छिपा हुआ नहीं मिलेगा। समसामयिक विषय पर भूमिका एवं प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा। सभी रचनाएँ शानदार। मेरी रचना को शामिल करने के लिए विशेष आभार।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात् आपको ! साथ ही आज वर्तमान विसंगतियों को उन्वान और भूमिका में स्थान देने के साथ-साथ आज की प्रस्तुति की लिंकों के बीच मेरी रूमानी रचना/विचार को भी मौका देने के लिए आभार आपका ...
जवाब देंहटाएंसमसामयिक समस्याओं और जीवन साहित्य पर जानदार प्रस्तुति। आभार आपका, शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक शानदार लिंको से सजा सुंदर चर्चा अंक ,सादर नमन सर
जवाब देंहटाएंएक से बढ़ कर एक रचनाओं से सजा अंक
जवाब देंहटाएंतीखा प्रहार
खूबसूरत रचनाओं और चिट्ठों का संकलन ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी रचना को जगह देने के लिए ...
वाह बेहतरीन रचनाओं का संगम।एक से बढ़कर एक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमैंने भी कुछ कविता लिखी