नाश के दुख से कभी
दबता नहीं निर्माण का सुख
प्रलय की निस्तब्धता से
सृष्टि का नव गान फिर-फिर!
नीड़ का निर्माण फिर-फिर,
नेह का आह्वान फिर-फिर!
"हरिवंशराय बच्चन"
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नश्वरता के पलों में सृजनात्मकता का आह्वान करती कालजयी अनमोल पंक्तियों के साथ चर्चा मंच की आज की प्रस्तुति में आप सब का हार्दिक स्वागत है 🙏
इस सप्ताह शब्दसृजन-15 का विषय है-
"देश भक्ति"
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अब आपके सम्मुख प्रस्तुत आज के कुछ चयनित सूत्र-
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दया-धर्म और क्षमा-सरलता, ही सच्चे गहने हैं,
दुर्गा-सरस्वती-लक्ष्मी ही, अपनी माता-बहनें हैं।
घर अपना आबाद करो,
पूजन-वन्दन करने वालों।
भूतकाल को याद करो,
नवयुग में रहने वालों।।
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लगभग 45 साल पुरानी घटना है। उन दिनों नेपाल में मेरा हम-वतन प्रीतम लाल पहाड़ में खच्चर लादने का काम करता था। इनका परिवार भी इनके साथ ही पहाड़ में किराये के झाले (लकड़ी के तख्तों से बना घर) में रहता था।
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मेरे इन गीतों में
रंग नहीं मेरा है |
मुझसे लिखवाता जो
कौन वह चितेरा है ?
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पहले कुछ भी
सुनाई नहीं देता ।
होती है
घबराहट सी ।
क्योंकि रिक्तता
बहुत ज़्यादा
शोर मचाती है ।
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कल्लू ने पूरा इलाका छान मारा था। बचा-खुचा भोजन भी किसी बंगले के बाहर नहीं मिला ।कूड़ेदानों में मुँह मारा, वह भी खाली। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इंसानों ने उन जैसे घुमंतू पशुओं के पेट को लॉक करने का यह कौन सा नया तरक़ीब निकाला है।
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पतझड़ से अन्तस् कानन में,
मधुमासी सा अभिनंदन।
दृष्टि पटल से पलक उठी जब,
गिरती सी करती वंदन।
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नए कानूनों ने मजदूर वर्ग को कमजोर और असहाय बनाया
केन्द्र और देश के अधिकांश राज्यों में श्रीमती इन्दिरागांधी की पार्टी कांग्रेस (इ) की सरकारें थी। तभी ठेकेदार मजदूर (विनियमन एवं उन्मूलन) अधिनियम-1970 संसद में पारित हुआ। इसका उद्देश्य बताया गया था कि ठेकेदार मजदूरों को कुछ सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी ।
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एक ऋतुकाल बसंत बीत रहा था और पतझड़ के मौसम की आहट पीपल और नीम के पीले होते पत्ते दे रहे थे।तीन महीनों से वातावरण में मानव ज़ात की ओर से पशु-पक्षिओं और प्रकृति को कोसने की रट गूँज रही थी।अनावश्यक विलाप सुनकर बरगद ने सभा आयोजित करने की मुनादी पिटवायी।सभा आहूत हुई ।
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हम तो अपने घर में बैठे तक रहे थे चांद को
और चांदनी क्यों छत पे आई, रात के बारह बजे
देखने को दिन में ही मनहूस चेहरे कम न थे
तूने क्यूं सूरत दिखाई, रात के बारह बजे
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मन और आत्मा को स्वस्थ रखने के लिए सदैव सकारात्मक सोच ,सत्संग् और अच्छे साहित्य को पढ़ते रहना अति आवश्यक है |अत : यदि व्यक्ति शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप से स्वस्थ होगा तभी उसका चारित्रिक विकास संभव है :
तन तेरा मज़बूत हो मन भी हो बलवान,
अपने इस व्यक्तित्व को सफल तभी तू मान।
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युवा लेखिका आरिफ अविस का उपन्यास "मास्टर प्लान" दिल्ली को टोकियो में बदलने के एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार पर पड़ते प्रभाव को दिखाता है। दिल्ली टोकियो तो नहीं बन पाता है, लेकिन इससे हजारों परिवारों का जीवन अंधकारमय बन जाता है।
अनुमति चाहती हूँ 🙏 स्वस्थ रहें ,सजग रहें ।
आपका दिन मंगलमय हो 🙏🙏
"मीना भारद्वाज"
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बहुत सुंदर एवं ऊर्जा से भरी प्रस्तुति ,मीना दी।
जवाब देंहटाएंमनुष्य को अतीत में मिले अनुभव के बल पर विवेक, बुद्धि एवं निज शक्ति का ध्यान रखते हुए भविष्य की कल्पना और उसे साकार करने के लिए निरंतर प्रयत्न करते रहना चाहिए ।अपनी योग्यता के अनुरूप अपना भविष्य उज्जवल बनाने का यह प्रयत्न ही सृजन है । परंतु ऐसी ऊँची -ऊँची असंभव कल्पनाओं में भी नहीं डूब जाना चाहिए, जिसे पूर्ण करने में हमारी शक्ति असमर्थ है। ऐसी लालसा हमें पतन की ओर ले जाएगी , नेकी की ओर नहीं।
मंच पर इन सभी श्रेष्ठ रचनाओं के मध्य मेरे सृजन भूख को स्थान देने के लिए हृदय से आभार ।सभी को प्रणाम।
उपयोगी लिंकों के साथ बहुत सुन्दर ढंग से की गयी श्रमसाध्य चर्चा।
जवाब देंहटाएं--
आपका आभार आदरणीया मीना भारद्वाज जी।
बहुत ही सुंदर और अच्छे लिंक्स |आपका हृदय से आभार आदरणीया मीना जी |
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति मीना जी ,सभी लिंक्स शानदार और हरिवंशराय जी की चंद पंक्तियों ने तो प्रस्तुति में जोश डाल दिया ,सादर नमन आपको
जवाब देंहटाएंनीड़ का निर्माण फिर-फिर,
जवाब देंहटाएंनेह का आह्वान फिर-फिर! कहकर मीना जी ने बहुत ही अच्छा संदेश भी दिया है वह भी इस कोरोना महामारी के समय में, बहुत ही अच्छा संकलन भी... आभार इतना अच्छी रचनायें पढ़वाने के लिए मीना जी
सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और सराहनीय प्रस्तुति आदरणीया मीना दीदी आपके द्वारा. सभी रचनाएँ बहुत ही सुंदर. मेरी कहानी को स्थान देने हेतु तहे दिल से आभार आपका
जवाब देंहटाएंसादर
धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति। सरस,सुगढ़,सामयिक रचनाओं का समागम। कविवर बच्चन जी की कालजयी पंक्तियाँ। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
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