मित्रों!
लॉकडाउन में अभी 11 दिन और बाकी हैं।
परन्तु चिन्ता की बात यह है कि हमारे देश में कुछ स्थानों पर अभी भी कोरोना के रोगी बढ़ते जा रहे हैं।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या लॉकडाउन अभी और बढ़ाया जायेगा?
किन्तु अच्छी खबर यह भी है कि कुछ क्षेत्र कोरोना मुक्त भी हैं।
इसलिए शासन प्रशासन को चाहिए कि वहाँ सोशल डिस्टैंसिंग का पालन कराते हुए। व्यवसायों और दुकानों को खोल दिया जाना चाहिए। जिससे कि लोग अपनी आजीविका चला सकें।
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लॉकडाउन में आप घर में धर्म के ये पांच कार्य जरूर करें इसे आपके मन एवं मस्तिष्क में शांति, विश्वास, साहस, उत्साह, सकारात्मक सोच और प्रसन्नता का संचार होगा। वर्तमान समय में यह बहुत जरूरी भी है। यदि आप इस अवसर का लाभ उठाना चाहते हैं तो निश्चित ही आपको इससे चमत्कारिक लाभ होगा।
1. धूप दीप दें : धूप दीप देने से मन, शरीर और घर में शांति की स्थापना होती है। रोग और शोक मिट जाते हैं। गृहकलह, पितृदोष और आकस्मिक घटना-दुर्घटना नहीं होती। घर के भीतर व्याप्त सभी तरह की नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकलकर घर का वास्तुदोष मिट जाता है। ग्रह-नक्षत्रों से होने वाले छिटपुट बुरे असर भी धूप देने से दूर हो जाते हैं। यह नहीं कर सकते हैं तो घर में प्रतिदिन सुबह और शाम को कर्पूर जलाना चाहिए।
2. संध्यावंदन करें : स्नान करने के बाद अपने ईष्ट देव की पूजा करें। पूजा और प्रार्थना करने से मन में विश्वास, श्रद्धा, उत्साह, साहस और मनोबल का विकास होता है। प्रतिदिन की दिनचर्या में नित्य पूजा को भी जोड़ें। ऐसा नहीं है कि घर के एक सदस्य ने पूजा-आरती कर दी है तो अब मुझे करने की जरूरत नहीं।
3. ध्यान करें : यदि आप पूजा आरती, धूप दीप आदि कार्य नहीं करना चाहते हैं तो नियम से प्रतिदिन 10 से 15 मिनट का ध्यान करें। ध्यान से व्यक्ति तनाव मुक्त हो जाता है। व्यक्ति थकानमुक्त अनुभव करता है। जिस तरह लॉकडाउन के दौरान धरती के वातावरण में सुधार हो रहा है उसी तरह ध्यान करने से आपके मन, मस्तिष्क और शरीर में सुधार होगा।
4. योग करें : घर में ही आप अच्छे से योग करते रहेंगे तो आप स्वस्थ रहेंगे और आपका वजन भी नहीं बढ़ेंगे। योग में आप सूर्यनमस्कार की 12 स्टेप को 12 बार करें और दूसरा यह कि कम से कम 5 मिनट का अनुलोम विलोम प्रणायाम करें। उक्त संपूर्ण क्रिया को करने में मात्र 10 से 15 मिनट ही लगते हैं। आप नहीं जानते हैं कि यह आपके लिए कितनी फायदेमंद साबित होगी।
5. पाठ या जप करें : धूप दीप, पूजा-आरती, ध्यान या योग नहीं करते हैं तो आप पाठ करें। इसमें आपका जो भी ईष्ट है उसका पाठ करें। जैसे हनुमान चालीसा पढ़ें। गीता का पाठ करें। विष्णु सहस्त्रनाम पढ़ें आदि। वेद, उपनिषद या गीता का पाठ करना या सुनना मोक्ष के द्वार खोलता है। प्रतिदिन धर्म ग्रंथों का कुछ पाठ करने से देव शक्तियों की कृपा मिलती है।
अपने किसी इष्टदेव के नाम का जप करें। लगातार जप का अभ्यास करते रहने से आपके चित्त में वह मंत्र इस कदर जम जाता है कि फिर नींद में भी वह चलता रहता है और अंतत: एक दिन वह मंत्र सिद्ध हो जाता है। दरअसल, मन जब मंत्र के अधीन हो जाता है तब वह सिद्ध होने लगता है। इससे सभी तरह के नकारात्मक विचार हटा जाते हैं।
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अब देखिए बुधवार की चर्चा में
मेरी पसन्द के कुछ लिंक...
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करोना अपडेट
भयभीत न हों भयावहता को समझें
डॉ अन्नपूर्णा बाजपेयी
देश में कोरोना के मामलों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। देश में कोरोना के कुल मामलों की तादाद 18 हजार से ज्यादा पहुंच गई है। इनमें एक्टिव केस की संख्या 10 हजार के पार है । इसके साथ ही देश में कोरोना से अब तक 591 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 3678 लोग ठीक भी हो चुके हैं। (आलेख लिखे जाने तक के आंकड़े)
लॉकडाउन के 21 दिन समाप्त होने का पूरे देश को इंतजार था। लेकिन फिर अचानक कोरोना संक्रमित पता नहीं कहाँ से निकलने लगे । जैसे घरों में दुबके बैठे हुये है जब लॉक डाउन खुलने की सीमा समाप्त होने को होती है तभी फिर से निकल पड़ते हैं। जाने क्यों एक बार में ही सब सामने क्यों नहीं आते ? क्यों घबरा रहे हैं? कारण कुछ भी हो कहीं न कहीं लॉक डाउन मध्यम वर्ग में खासकर उनको जो प्राइवेट संस्थानों में नौकरी करते है, और मजदूर वर्ग को अधिक प्रभावित कर रहा है...
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अजनबी जिंदगी
ना जाने जिंदगानी को किसकी नज़र लग गयीअब तो बस यह किस्तों में सिमट रह गयी
जैसे धुप खुद अपनी तपिश से जल गयी
साँझ की कवायदें भी अब बिन सुरूर ही
बंद मयखानों की ज़ीनों पे ही ढल गयी...
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ब्लॉगिंग : कल , आज और कल !
जैसे किसी चीज का आरम्भ मंदिम गति से होता है और फिर वह एक चरम पर पहुँच जाता है और फिर अवसान, लेकिन ये ब्लॉगिंग कोई ऐसी कला नहीं है कि जिसको बिना किसी के चाहे अवसान हो जाये। जब नया नया कंप्यूटर के साथ अंतरजाल शुरू हुआ तो ब्लॉगिंग भी अपने अस्तित्व में आयी। सबसे पहले ब्लॉग का श्रेय आलोक कुमार जी को जाता है। 2003 में "नौ दो ग्यारह " नाम से ब्लॉग बनाया था लेकिन यूआरएल की समस्या के चलते उन्होंने अंकों( 9211 में) अपना ब्लॉग को पता दिया था। धीरे धीरे लोगों ने खोज की और ब्लॉगर के संख्या में वृद्धि होने लगी। प्रारंभिक दिनों में ये कुछ धीमी ही रही लेकिन 2007 - 2008 तक ब्लॉगर की संख्या हजारों में पहुँच चुकी थी...
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इस महामारी में इंसान से दूरी रखो
इंसानियत से नहीं
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AAJ KA AGRA पर
Sawai Singh Rajpurohit -
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" भाग्य और कर्म "
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रीतू के भाग्य ने उसका साथ नहीं दिया और ...भले ही उसके जीवन में प्यार का अभाव रहा.... भले ही वो हमेशा किसी के साथ और सहयोग को तरसती रही ....भले ही सबको सम्पन्नता देते हुए भी वो खुद अपना सारा जीवन आर्थिक तंगी में ही गुजार दी । मगर , जीवन में उसने पाया भी बहुत कुछ....उसने आत्मनिर्भरता पाई ...संयमित जीवन पाया ....सुख और दुःख पर विजय पाई ....खुद से ज्यादा दूसरों के लिए जीना सीखा ...रीतू उस परम सत्य को जान पाई जिसका मर्म समझना ज्ञानियों के लिए भी मुश्किल रहा " फल की चिंता किये बिना निस्वार्थ कर्म करना " शायद ये उपलब्धि हर किसी के भाग्य में नहीं होता।
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चंद बासी रोटियां
मैंने भी बासी रोटियां उठाई
सहलाई कि जाया नहीं होने दूंगी इनकी ख़ुशबू
बचा लूंगी इनकी नमी को
जैसे कुछ रिश्तों को बचाने की कोशिश भी
करती रहती हूं मैं
नमी सूखने और कठोर होने तक।
सहलाई कि जाया नहीं होने दूंगी इनकी ख़ुशबू
बचा लूंगी इनकी नमी को
जैसे कुछ रिश्तों को बचाने की कोशिश भी
करती रहती हूं मैं
नमी सूखने और कठोर होने तक।
सुनीता शानू
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दो पंछी
कल सुबह अपने कमरे की
खिड़की से बाहर देखा था मैंने
धरा से गगन का असीम विस्तार
नापने को तैयार
दो बेहद सुन्दर और ऊर्जावान पंछियों को
हौसलों की उड़ते भरते हुए
देखा था मैंने...
Sudhinama पर Sadhana Vaid
धरा से गगन का असीम विस्तार
नापने को तैयार
दो बेहद सुन्दर और ऊर्जावान पंछियों को
हौसलों की उड़ते भरते हुए
देखा था मैंने...
Sudhinama पर Sadhana Vaid
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लम्हे ...
तितर-बितर यादों से ...
पता नही प्रेम है के नही ... पर कुछ करने का मन करना वो भी किसी एक की ख़ातिर ... जो भी नाम देना चाहो दे देना ... हाँ ... जैसे कुछ शब्द रखते हैं ताकत अन्दर तक भिगो देने की, वैसे कुछ बारिशें बरस कर भी नहीं बरस पातीं ... लम्हों का क्या ... कभी सो गए कभी चुभ गए ... ये भी तो लम्हे हैं तितर-बितर यादों से ...
रात के तीसरे पहर
पसरे हुए घने अँधेरे की चादर तले
बाहों में बाहें डाल दिन के न निकलने की दुआ माँगना
प्रेम तो नहीं कह सकते इसे...
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गुनहगार
प्यार करना अगर गुनाह है
तो मैं गुनहगार हूँ,
माँ पिता की सेवा करना करना गुनाह है
तो मैं गुनहगार हूँ...
aashaye पर garima
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Civil service day 21st April
and Corona warriors .
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhbyCcub-TeL5T0kzcwbVOgtYz3OmQ6UKZGWnFiiLw6kUA0HERMT35-m-vd_fpv0Ts_UxeOjtV5THJjLF47U9fZtMP8g2NsK39MDj3HuVbuHEKP-TwJGnwyb5iU1VEbhG2y6q39jnUiWGo/s320/IMG_20200421_075018.png)
आज सिविल सर्विस डे यानी की लोक सेवा दिवस है।
भारत सरकार प्रतिवर्ष इसी दिन लोकसेवा दिवस के रूप में मनाती है जिसमें भारतीय सेवाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों को सम्मानित किया जाता है। जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के अधिकारियों को पुरस्कृत किया जाता है।
आज कोरोना महामारी के समय में सभी चिकित्सकों, नर्सों, स्वास्थ्य अधिकारियों, सफाईकर्मी और पुलिस प्रशासन को सम्मानित करने की आवश्यकता है।
कुछ पंक्तियाँ हमारे कोरोना वारियर्स के नाम प्रेषित करता हूँ,,,
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मन की मीन ...
- चन्द पंक्तियाँ - (२६) -
बस यूँ ही ...
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgwc5nGSvJwWiFLGRfgDMS3-MD5L3jqMH6FuOoeUQ9i_HAnyo1pF-5yHFY5o6NBBEHJO5GjNm3dUF8HOMHM_PB1rkbkb-4sCQTdPN-znh8_Kfr7xNZkrXahOUEddZJGzd3kmxWI3ucNOsAm/s320/Screenshot_20200420-225321.png)
...तरसता रहा मैं तो जीवन भर
ऐ दोस्त ! महज़ एक कंधे के लिए
काश ! जान पाते कि मर कर
बस यूँ ही चार कंधा नसीब होगा ...
ऐ दोस्त ! महज़ एक कंधे के लिए
काश ! जान पाते कि मर कर
बस यूँ ही चार कंधा नसीब होगा ...
Subodh Sinha
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ई कॉमर्स के साथ
डायरेक्ट मार्केटिंग का समावेश
कुछ प्रश्न जो अधिकतर लोगों को आगे बढ़ने से रोकते हैं। आखिर अंग्रेजी में ही क्यों हैं प्रोफेशनल कोर्स या पुस्तकें क्या आपने कभी इस बारे में सोच है ? क्या सिर्फ और सिर्फ अंग्रेजी के जानकार अच्छे प्रोफेशनल होते हैं? क्या आप कमजोर अंग्रेजी के कारण आगे नही बढ़ पा रहे हैं? किसी किसी को ये प्रश्न प्रभावित करते हैं। यदि मैं कहूँ तो 85% देश की आबादी को आगे बढ़ने से ये प्रश्न रोक लेते हैं ( कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाय तो) आईये अब आपको हिंदी भी भारत ही नही बल्कि विश्व के किसी प्लेटफॉर्म पर ले कर जा सकती है। क्योंकि यह यह एक ऐंसा उपक्रम है जहाँ पर, भाषा, जाति-धर्म, या आर्थिक कमजोरी का...
राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
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61 साल पहले शुरू हुआ था,
देश में टेलीविजन इतिहास की
कहानी लिखने वाला दूरदर्शन
भारत में टेलीविजन की जब शुरुआत हुई तो दूरदर्शन ने ही पहली बार टीवी पर चित्र उकेरे थे। दूरदर्शन भारतीय टीवी जगत का एक ऐसा नाम है जिससे भारत में टीवी इतिहास की कहानी शुरू होती। जो दूरदर्शन इस लॉकडाउन के दौरान टीआरपी की रेस में सबसे आगे खड़ा है, उसकी स्थापना दिल्ली में 15 सितंबर 1959 को ‘टेलीविजन इंडिया’ के नाम से हुई थी।
1975 में इसका हिंदी नामकरण ‘दूरदर्शन’ नाम से किया गया। शुरुआत में इसका प्रसारण सप्ताह में सिर्फ तीन दिन आधा-आधा घंटे होता। 1959 में शुरू होने वाले दूरदर्शन का 1965 में रोजाना प्रसारण प्रारंभ हुआ, पांच मिनट के समाचार बुलेटिन का आगाज भी इसी साल हुआ था।
कोरोना वायरस के कारण देश में लगे लॉकडाउन में दूरदर्शन के सुनहरे दिन वापस आ गए हैं। रामायण, महाभारत जैसे धारावाहिक इसके सुनहरे दिनों को ताजा कर रहे हैं। 1986 में शुरू हुए ‘रामायण’ और इसके बाद शुरू हुए ‘महाभारत’ने देश में टीवी देखने वालों का एक नया वर्ग तैयार किया था। कहा जाता है कि रामायण और महाभारत के प्रसारण के दौरान सुबह देश की सड़कों पर सन्नाटा पसर जाया करता था...
Jyoti Kaulwar
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मैं और समय
अपने बुने अंधेरों में
छुप जाती हूं
औे सोचती हूं
आंखे मूंद लेने से
सूरज ढल जाता है
और आंख खोलने पे
दिन निकल आयेगा
समय दूर खड़ा खड़ा
हंसता है मुझपे...
आपका ब्लॉग पर
Sandhya Rathore
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भीड़
अंधी भीड़
रौंदती है सभ्यताओं को
पाँवों के रक्तरंजित धब्बे
लिख रहे हैं
चीत्कारों को अनसुना कर
क्रूरता का इतिहास...
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वायरस को मिलती रही
धर्म गुरुओं की ओट
(नभाटा २० अप्रैल अंक )बहुत सामयिक और तवज़्ज़ो देने लायक मुद्दों को उठाता है अब जो हुआ सो हुआ वायरस के खतरे का वजन मलेशियाई तब्लीगी जमात की ऐड़ लगने...
virendra sharma
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'शब्द-सृजन-18' का विषय है-
'किनारा'
आप इस विषय पर अपनी रचना (किसी भी विधा में)
आगामी शनिवार (सायं 5 बजे) तक
चर्चा-मंच के ब्लॉगर संपर्क फ़ॉर्म (Contact Form ) के ज़रिये
हमें भेज सकते हैं।
चयनित रचनाएँ आगामी रविवासरीय चर्चा-अंक में प्रकाशित की जाएँगीं।
आप इस विषय पर अपनी रचना (किसी भी विधा में)
आगामी शनिवार (सायं 5 बजे) तक
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चयनित रचनाएँ आगामी रविवासरीय चर्चा-अंक में प्रकाशित की जाएँगीं।
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आज के लिए बस इतना ही।
फिर मिलते हैं किसी और अंक में।
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आज के लिए बस इतना ही।
फिर मिलते हैं किसी और अंक में।
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सुप्रभात् सर ! आभार आपका मेरी रचना/विचार इस मंच पर साझा करने के लिए ...
जवाब देंहटाएंगुस्ताख़ी माफ़ ... आज की प्रस्तुति के आगाज़ में दिए गये आपके धार्मिक-कर्म के पाँच सुझावों के साथ-साथ अपने समयाभाव में बन्द पड़े शौकों (हॉबी) को पूरा करने से भी सकारात्मकता आती है .. शायद ...
आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित चर्चा ! मेरी रचना को आज की चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी सुझाव सर ,आपकी बताई पाँच बातों को मानने वालों को , स्वस्थ शरीर और मानसिक शांति अवश्य मिलेगी और ये तो दुनिया की सबसे बड़ी दौलत हैं ,आज इस बात का एहसास तो यकीनन सबको हो ही चूका होगा। मेरी रचना को स्थान देने के लिए दिल से आभार आपको ,सादर नमन आपको
जवाब देंहटाएंविविधताओं से परिपूर्ण सुन्दर लिंक्स से सजी सुन्दर चर्चा .
जवाब देंहटाएंबेहतरीन व लाजवाब प्रस्तुति आदरणीय .
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसार्थक भूमिका के साथ पठनीय सूत्रों का संयोजन है आज के अंक में।
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर सुंदर संकलन में मेरी रचना शामिल करने के लिए आभारी हूँ।
सादर।
सुंदर चर्चा ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी रचना को शामिल करने के लिए ...
आदरणीय शास्त्री जी बहुत ही सुंदर चर्चा और मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद और साधुवाद
जवाब देंहटाएं