अनीता सैनी जी की अनुपस्थिति में आज की प्रस्तुति लेकर आई हूँ
मैं- कामिनी सिन्हा
स्नेहिल अभिवादन
रविवारीय प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
शब्द-सृजन-१७ का विषय था-
" मरुस्थल "
स्नेहिल अभिवादन
" मरुस्थल " यानि जलविहीन स्थान ".... अर्थात जिसमे सृजन की क्षमता नहीं...
चुकि जल ही जीवन हैं और जहाँ जल नहीं वहाँ जीवन जीने के लिए
प्रकृति से जदोजहद करनी पड़ती हैं और...
जिनकी जीवट शक्ति मजबूत होती हैं वो इस मरुस्थल में भी
अपना वजूद स्थापित कर ही लेते हैं....
आइए चलते हैं,
विषय-" मरुस्थल "पर
सृजित रचनाओं की ओर.....
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गीत
"मरुस्थलों में कलियाँ"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
प्रेम अमर है, प्रेम अजर है, उसकी अपनी है भाषा,
ढाई आखर में ही जग की, रची-बसी है जिज्ञासा,
मिलन-यामिनी में, उलझी लड़ियाँ खुल जाती हैं।
मरुस्थलों में कभी-कभी, कलियाँ खिल जाती हैं।।
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पहले उड़ेंगे
खुले आकाश में
लौटेंगे धरा पर
ताज़ा हवा के इलाक़े में
मरुस्थल की ठंडी रेत में
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दूर-दूर तक अपना ही विस्तार देख मरु मानव को भेजता है एक संदेश।
वह भी चाहता है तपते बदन पर छाँव।
निहारना चाहता है जीव-जंतुओं को। सुबह-सुबह उठना चाहता है
सुनकर बैलों-ऊँटों की घंटियों की मधुर ध्वनि।
थक गया है धूल से उठते बवंडर देख-देखकर।
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प्रतीक्षा
हृदय मरूस्थल मृगतृष्णा सी,
भटके मन की हिरणी।
सूखी नदिया तीर पड़ी ज्यों
ठूंठ काठ की तरणी।।
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मरुस्थल में सीपी
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स्मृतियों के झरोखे से...( 2 )
ओस से गीली दूब सा
रहता है आज कल मन
होते इसके एक जोड़ी पैर...
तो कब का तोड़ सारे बाँध
पहुँच जाता भोर बेला में
बन के परदेसी पावणा...
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जीवन के मरुथल में
अनवरत कड़ी धूप में चलते चलते
तपती सलाखों सी सूर्य रश्मियों को
अपने तन पर सहने की इतनी
आदत हो गयी है कि
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मरुस्थल में फूल नागफणी के लगते आकर्षण दूर से
छूने का मन होता बहुत नजदीक से
पर पास आते ही कांटे चुभ जाते
जानलेवा कष्ट पहुंचाते |
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मरूस्थल की कोख़ में ...
जन्माया उस मरूस्थल की कोख़ में एक मरूद्यान हमने भी पर
फैलायी जहाँ कई रचनाओं की सोन चिरैयों ने अपने-अपने पर
होने लगे मुदित अभिनय के कई कृष्ण-मृग कुलाँचे भर-भर कर
हस्तशिल्प के कैक्टसों ने की उदासियाँ सारी की सारी तितर-बितर
जल मत जाना देख कर अब तुम मेरी खुशियों की झीलों के जल ...
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अपने नन्हे पुष्प की बातें सुन नागफनी मुस्कुराती हुई बोली - बहन, ख़ुशी अंतरात्मा में होती हैं
उसे ढूँढने बाहर भटकोगी तो -" ख़ुशी की चाह में ढेरों गम साथ हो लगे "
तुम्हारा जीवन मरुस्थल हैं ....और हमारा मरुस्थल में जीवन .....
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आज का सफर यही तक ,अब आज्ञा दे
आपका दिन मंगलमय हो
कामिनी सिन्हा
सुंदर प्रस्तुतीकरण की बधाई। मरुस्थल को परिभाषित करती भूमिका के साथ 'मरुस्थल' विषय पर सृजित विभिन्न रचनाओं में समाहित दृष्टिकोण प्रभावित करनेवाले हैं। निस्संदेह उत्कृष्ट रचनाओं को सृजन हुआ है मरुस्थल विषय पर। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने हेतु बहुत-बहुत आभार आदरणीया कामिनी जी।
सहृदय धन्यवाद सर ,सादर नमस्कार
हटाएंशब्द सृजन की बहुत सुन्दर प्रस्तुति कामिनी जी . सभी चयनित रचनाकारों को बधाई .मेरी रचना को अंक में सम्मिलित करने हेतु बहुत-बहुत आभार.
जवाब देंहटाएंदिल से धन्यवाद मीना जी ,सादर नमस्कार
हटाएंशब्द सृजन "मरुस्थल" पर आधारित सुन्दर रचनाएँ।
जवाब देंहटाएं--
आपका प्रयास सराहनीय है कामिनी सिन्हा जी।
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आभार आपका।
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सहृदय धन्यवाद सर ,सादर नमस्कार
हटाएंवाह! सुंदर।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद विश्वमोहन जी ,सादर नमस्कार
हटाएंसुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद ओंकार जी ,सादर नमस्कार
हटाएंअति मनभावन चर्चा
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंदिल से धन्यवाद आदरणीय ,सादर नमस्कार
हटाएंबहुत सुन्दर सार्थक चर्चा ! शब्द सृजन के इस संकलन में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंदिल से धन्यवाद दी ,सादर नमस्कार
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंदिल से धन्यवाद कविता जी ,सादर नमस्कार
हटाएंचर्चा-मंच के शब्द-सृजन के इस अंक में मेरी रचना की स्थान देने के लिए मीना जी के साथ-साथ चर्चा-मंच के सभी सदस्यों का आभार ...
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद सुबोध जी ,सादर नमस्कार
हटाएंआज की सूत्रधार की भूमिका निभा रही आदरणीया कामिनी जी नें प्रस्तुति के प्रारंभ में मरूस्थल की ऐसी भूमिका बांधी कि रुची खुद ब खुद जाग उठी। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया।
जवाब देंहटाएंसमस्त रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।
सहृदय धन्यवाद पुरुषोत्तम जी , चर्चा में शामिल होकर उत्साह बढ़ाने हेतु दिल से आभार आपका ,सादर नमस्कार
हटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंसुन्दर अंक आज का |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
सहृदय धन्यवाद दी , दिल से आभार आपका ,सादर नमस्कार
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