सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
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वैश्विक महामारी करोना वायरस के संक्रमण से त्रस्त इंसान आज इस बात पर सोचने को विवश है कि प्रकृति का रौद्र रूप कैसे थमेगा। चीन के वुहान प्रांत में दिसंबर 2019 में इस वायरस की पहचान हुई जिसे बाद में जाँच के बाद SARS-CoV-2 (Severe acute
respiratory syndrome coronavirus-2) नाम दिया गया और इससे फैलने वाली बीमारी का नाम COVID-19 ( Coronavirus Disease-19) नाम दिया गया। आरम्भ में इसे Novel Coronavirus कहा गया क्योंकि यह वायरस पहली बार पहचाना गया। इसी समूह का करोना वायरस इससे पहले 2003 में उपद्रव फैलाकर क़रीब 800 लोगों की जान लेकर शांत हो चुका था जो चीन व दुनिया के अन्य देशों में फैला था।
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चीन मार्च 2020 के प्रथम सप्ताह में ही इस वायरस के सभी पाँच चरण पूरे करके राहत की सांसें लेने लगा था। आज दुनिया की निगाहें चीन की भूमिका को लेकर सशंकित हुए टेढ़ी हैं क्योंकि इस महामारी को विश्वभर में फैलने में चीन की लापरवाही शामिल है जिसने समय रहते इसकी भयावहता से दुनिया को आगाह नहीं किया। अब दुनियाभर में इस वायरस से बचाव के लिए त्वरित जाँच विधि (भारत को इसमें सफलता मिल चुकी ), नियंत्रित करने की दवा, बचाव का टीका (वेक्सीन), समाज और मेडिकल स्टाफ़ के लिए PPE (Personal Protective Equipment), वेंटिलेटर, संक्रमित मरीज़ों के इलाज के लिए सर्वसुविधायुक्त विशेष अस्पताल आदि पर गंभीरता से कार्य प्रगति पर है। --
भारत के लिए अब तक राहत की बात यह है कि दुनियाभर में इस बीमारी के तांडव को देखते हुए हम आँकड़ों में अपने आप को ख़ुशनसीब कह सकते हैं हालाँकि हरेक असमय मौत हमें दुःख के दरिया में डुबोती है। भारत में बहुसंख्यक जनता ऐसी है जो मौसम की हरेक तासीर को उसके वास्तविक रूप में झेल लेती है उसके पास कृत्रिम वातावरण (एयर कंडीशनर,ब्लोअर,हीटर आदि ) तैयार करने के साधन ही नहीं होते अतः मौसमी बीमारियों को झेलने की भारतीय जनता की क्षमता चमत्कृत करने वाली है।
बहरहाल हम आशांवित हैं कि COVID-19 का क़हर भारत से किसी अनियंत्रित विपदा का रूप न लेते हुए धीरे-धीरे गुज़र जाएगा। इस भूमिका को किसी समाचार के तौर पर न लिया जाय क्योंकि करोना पर फैलते भ्रम के चलते इस विषय पर लिखना जोखिम भरा है।
-रवीन्द्र सिंह यादव
'शब्द-सृजन-18' का विषय है-
'किनारा'
आइए पढ़ते हैं मेरी पसंद की रचनाऍं-
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अरै सत्यानाशी कोरोना
तू ताऊ के घर क्यूंकर आया?
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ताई गंगाराम (लठ्ठ) पर हाथ फ़िराते हुये बोली - दोपहर में टीवी देखने और आराम का काम मेरा और तब तक घर के गार्डन की सफ़ाई का काम तुम्हारा. फ़िर शाम को चाय नाश्ता बनाने का काम तुम्हारा और नाश्ता करने और चाय पीने का काम मेरा. इसी तरह रात को खाना बनाने का काम तुम्हारा और खाने का काम मेरा.
*****लॉकडाउन की जिंदगी
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ग़र नहीं कोई जिम्मेदारी और वक्त बहुत है ज्यादा ,
एक फेसबुक ही काफी हैं वक्त गुजारा करने के लिए ।
हैण्ड वाशिंग मुंह पे मास्क रेस्पिरेटरी हाइजीन और,
लॉकडाउन का पालन करो कोरोने से बचने के लिए।
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ऐसे ही नही खिलता
मानव बगिया मे कोई पुष्प,
माली को ढलना पड़ता है,
परिस्थिति के अनुरूप ।
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तब प्रतिवाद कर सारी प्रकृति पुन: जीवित होगी
अपनी ही राख से,
क्योंकि उनके अंतर में बसे है
तथागत अस्थिशेष,
और तुम्हारी आत्मा
अपनी आधी अधूरे अर्थो के साथ
क़यामत तक अकेली चीखती घूमेगी
मुक्ति की चाह में।
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कितना कुछ होता है इन दिनों कहने को...लेकिन कहना क्यों है.
शांत रहना भी एक ढब है...देर तक खिड़की के
उस पार टंके आसमान को देखना भी एक ढब है...
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ये असीम रेतीला सागर
तुझे क्या धीरज दे पायेगा ?
खुद है जो बेहाल प्यास से
तुझे क्या धीरज दे पायेगा ?
खुद है जो बेहाल प्यास से
कैसे शीतलता दे पायेगा ?
तुझको आगे बढ़ने ना देंगे
रेत के ऊँचे पर्वत , टीले *****
तुझको आगे बढ़ने ना देंगे
रेत के ऊँचे पर्वत , टीले *****
नजर झील में प्रीत कमल का खिलना
अच्छा लगता है!
मौन अधर मुग्ध नजर की भाषा पढ़ना
अच्छा लगता है
खनके नूपुर महावर के,अकुलाना तेरा
अच्छा लगता है
प्रीत की मादकता में नज़रों का झुक जाना
अच्छा लगता है !
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ये महामारी है !!!
कुछ घोषणाओं,
कुछ वादों को,
सरकारी नल से
पी लिया था जी भर ...
आज सुबह ही ओक से
किया था जब दातून ..
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![Bridge, Wooden Bridge, Color, The Fog](https://cdn.pixabay.com/photo/2017/03/06/22/21/bridge-2122661__340.jpg)
अब जब घर में हो,
तो अपने अन्दर देखना,
तुम हैरान रह जाओगे,
जब वहां तुम्हारी मुलाकात
एक अजनबी से होगी.
बेहतरीन भूमिका सर ,आज जीवन अनिश्चितताओं में घिरा हैं फिर भी उम्मीद तो अच्छे की ही रखनी हैं ,सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई ,सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंवैश्विक महामारी के बारे जानकारी और उम्मीद भरी भूमिका के साथ बहुत सुन्दर प्रस्तुति । प्रस्तुति में चयनित सभी रचनकारों को बधाई और शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंउपयोगी लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।
बहुत सुंदर , सार्थक भूमिका के साथ प्रस्तुती बहुत सराहनीय है आदरणीय रविंद्र जी। कोरोना पर लघुनिबन्धात्मक जानकारी बहुत बढिया है। विषम परिस्थितियों में जीते भारत के लोग जीवट के बहुत धनी हैं। आशा है बहुत जल्दी कोरोना पर भी काबू पाकर समस्त विश्व के लिए उदाहरण बनेंगे। आजके लिंक देखे। ताउ जी वाली पोस्ट बहुत रोचक लगी । बाकी सभी लिंक बहुत अच्छे हैं। सभी रचनाकारों को सादर शुभकामनायें। आपको भी आज की चर्चा के सूत्रधार बनने के लिए हार्दिक बधाई। 🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स एवम प्रस्तुति .. आभार आपका
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट रचनाओं के साथ बेहतर प्रस्तुति। हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति!
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