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बुधवार, सितंबर 09, 2020

"दास्तान ए लेखनी " (चर्चा अंक-3819)

मित्रों!
"नहीं बिखरना चाहिए, अपना प्यारा देश। 
प्रहरी-पर्वत दे रहे, हमको ये सन्देश।।" 
भारता चीन सीमा पर हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। अभी कल ही की घटना है कि  चीन द्वारा भारतीय चौकियों के करीब आने की कोशिश की गई और समझौते का उलंघन करते हुए गोलिया भी बरसाई गईं। इससे लद्दाख क्षेत्र में अत्यधिक तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
भारत-चीन (India China Clash) के बीच सीमा पर तनाव बरकरार है. इसके मद्देनजर लद्दाख (Ladakh) में LAC के पास सुरक्षाबलों (Security Forces) के फास्ट मूवमेंट और भारी-भरकम मशीनों व अन्य हथियारों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाए जाने के लिए बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन (Border Road Organisation) 24x7 काम कर रहा ह।. BRO लेह में सड़क निर्माण और यातायात सुगम बनाने के लिए सड़कों के गड्ढों को भरने का काम कर रहा है। लैंडस्लाइड की वजह से बंद पड़ी सड़कों को भी खोला जा रहा है। 
चीन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि चीन-भारत सीमा पर मौजूदा तनाव के कारण और सच्चाई स्पष्ट है और इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से भारत पर है। बयान में कहा गया है कि चीन अपनी एक इंच जमीन भी नहीं छोड़ सकता है। चीन की सशस्त्र सेना अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने में पूरी तरह से प्रतिबद्ध, सक्षम और आश्वस्त है। अब प्रश्न यह है कि क्या भारत अपनी जमीन का हिस्सा चीन को क्यों देगा। ऐसे में दोनों देशों के मध्य युद्ध के बादल मँडराने लगे हैं।
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बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए, मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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दोहे  

"विश्व साक्षरता दिवस"  

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 


गाँव-नगर में बना दोशिक्षा का परिवेश। 
अलख जगा दो ज्ञान कीकरो साक्षर देश।। 
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कोई व्यक्ति नहीं रहेयहाँ अँगूठा-छाप। 
पढ़ने-लिखने के बिनाजीवन है अभिशाप।। 
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दीप जलाकर ज्ञान कादूर करो अज्ञान। 
जाकर निर्धन के यहाँदे दो अक्षर ज्ञान।। 
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बैठक 

"सहभागिता के लिए पारदर्शिता ज़रुरी है जनाब,लोकतंत्र की यही विशिष्टता है।" 
नौकरशाही ने अपनी सजगता दर्शाते हुए कहा। मच्छरों ने संगीत और तेज़ किया, पेड़ मुस्कराए और पोस्टरवाली महिला सहज मुद्रा में।
"अनुचित हस्तक्षेप पॉलिसी के अंतर्गत नहीं।"
लालफीताशाही का रुख़ लाल हुआ तब कुछ लाल फीते कसे और बाँधे गए।सड़क का सर पैरों से कुचला उसे अंबानी को सौंपा गया।बेंच को नकारा गया, पोस्टरवाली महिला से कामकाज छीना गया। हवा को कुछ हद तक लताड़ा गया और उसे निन्न्यानवे साल के लिए लीज़  पर रखा गया।
 पेड़ों की सलामी पर कुछ हद तक प्रसन्नता  दर्शाई गई। मच्छरों पर हायर एंड फायर का शख़्त नियम नियमावली में मार्क किया गया। बैठक का मंतव्य अब तक सभी की समझ से परे था। 
अवदत् अनीता पर अनीता सैनी 
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मैंने अपने जीवन में बहुत से पैसे कमाने वाले गुरुजन देखे हैं और आज के ज़माने में उन जैसों को ही अपने पेशे में सफल माना जाता है लेकिन ऐसे गुरुजन हमारे दिलों में कभी जगह नहीं बना पाते. हमारे दिल में अपना स्थायी निवास बनाने वाले गुरुजन तो वही होते हैं जो कि सादा-जीवन, उच्च विचार में विश्वास करते हुए निरंतर निस्वार्थ भाव से ज्ञान का प्रसार करते हैं. हमको ज्ञान का दीपक दिखाकर सन्मार्ग की ओर ले जाने वाले ऐसे महानुभावों को हम अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए कहते हैं -  
अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया ।  
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ॥ 
तिरछी नज़र पर गोपेश मोहन जैसवाल 
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घटा से गेसू, सुर्ख़ लब, नज़र कमां है उनके पास 
देखो तो मेरी मौत का सारा सामां है उनके पास। 

ताबिशे-आफ़ताब में रुख़सारों पर मोती-सा पसीना 
तुम भी नमूना देख लो, हुस्न रक़्साँ है उनके पास।  
Sahitya Surbhi पर दिलबागसिंह विर्क 
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बिना अनुमति के खाते में 
न कुछ जोड़ा जाए,
अब जाकर राज़दार का पता
बैंक से की इल्तिजा में बताया है।  
Ravindra Singh Yadav 
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इंटरव्यू ऑफ़ दी मंथ : 

डॉ. शरद गोयल जी ((फिजियोथेरपिस्ट ))से  

एक अन-औपचारिक बातचीत

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एक व्यंग्य :  

अनाम "कविता-चोर" जी का उत्तर 

आपका ब्लॉग
[नोट : इसी मंच पर दिनांक 01-09-20202 को एक पत्र -’कविता- चोर" महोदय के नाम लिखा था जिसे आप लोगों ने पढ़ा भी होगा ।उन्ही ’चोर श्रीमान  जी ’ का उत्तर अब प्राप्त हो गया है । पाठकों का आग्रह था कि वह पत्र भी प्रकाशित करूँ -सो कर रहा हूँ ।
एक व्यंग्य :  अनाम "कविता-चोर" जी का उत्तर 
आदरणीय श्रीमन !दूर से ही नमस्कार
 पत्र मिला । समाचार जाना ।आरोप भी जाना ।
इधर ’करोना’ का प्रकोप कम नहीं हो रहा है , हम सब साथी गण अपनेअपने अपने घरों में कैद हैं । मंच ,मुशायरों से भी ’माँग नहीं आ रही है। घर में बैठे बैठे’आन लाइव---वाच पार्टी -- फ़ेसबुक-पर अपनी ही कविता का कितनी बार पाठ करें? अपनी  शकल  देखते दिखाते झाँकते झाँकते मन उब सा गया है ।कुछ वीर बहादुर है  जो "फ़ेसबुक लाइव" में अभी तक डटे हैं । हर रोज़ सज-सँवर कर चेहरा दिखाते रहते हैं। 
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक 
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शब्दों के वह पार मिलेगा 

जब  खिलेगा भीतर मौन का पुष्प 
वहाँ न भावनाओं की डालियाँ होंगी 
न विचारों की भूमि !!
शब्दों की नाव तो बनानी ही होगी 
जो उतार देगी शून्य के तट पर...
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चाहत 

सु-मन (Suman Kapoor) 
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कैसे बीते दिन 

कैसे बीते दिन कैसी है रातें 
हम किस तरह से कहे मन की बातें 
कैसे  बीते दिन... 
कहे उनसे कोई है लंबी ये रातें 
करवटें बदल रही है थकती निगाहें 
कैसे बीते दिन... 
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गुरु के महत्व पर दोहे 

गुरु - चरणों की धूल हैैं, नयन - अंजन समान।
आँखें रोग मुक्त रहे, दोष रहित हो ज्ञान।।

गुरु कृपा हो जाय जहाँ, मिटे विवेक - विकार।
लोभ, मोह, मत्सर धुलें, , निर्मल बनें विचार।।
marmagya.net पर Marmagya 
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उफ़ शराब का क्या होगा ... 

सच के ख्वाब का क्या होगा

इन्कलाब का क्या होगा

आसमान जो ले आये  
आफताब का क्या होगा... 
स्वप्न मेरे पर दिगम्बर नासवा  
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शर्म तुमको मगर नहीं आती 


अप्रिय कुपत्रकारों और संपादकों!गंजेड़ी, भंगेड़ी और नशेड़ी जैसी कुछ विशिष्ट उपमाओं से आप विभूषित हैं। दैव कृपा से आचरण में भी उपमायें परिलक्षित होती हैं।
आपका अलौकिक ज्ञान, सोमरस और प्रभंजनपान के उपरांत ही बाहर निकलता है।
हे अग्निहोत्र के प्रखर प्रहरी!
आप भी यह जानते हैं कि रिया चक्रवर्ती से कहीं अधिक समृद्ध आपकी 'ड्रग्स मंडली' है। आपके अनुचर नित नए 'माल' के अनुसंधान में साधनारत हैं।
जिस तरह से माल फूंकना आपकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता है, ठीक वैसी ही रिया की भी। आयात-निर्यात में लिंगभेद के लिए स्थान कहां? 

वंदे मातरम् पर Abhishek Shukla  
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लघुकथा (संवाद ) :  

दास्तान ए लेखनी और शमशीर ...  

मेरे सामने तुम कुछ नहीं हो ।  तुमको तो चलने के पहले स्याही रूपी रक्त पीना पड़ता है । हाँ .. हाँ ... यदि मैं पहले रक्त पीती हूँ , तब तुम भी तो बाद में रक्त ही तो पीती हो ।  झरोख़ा पर निवेदिता श्रीवास्तव 
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संसार वृक्ष 

सर्दी को रोकने वाली इस मोटी मैक्सी को छुट्टी और स्वेटर, स्कार्फ को भी. वह इतनी भद्दी दिखती है कि कोई जब कह देता है आज उसके वस्त्र अच्छे लग रहे हैं तो उसे लगता है कि वह स्वयं को सांत्वना दे रहा है. आज उसे यह पढ़कर सहानुभूति हो रही है उस उम्र की लड़कियों के प्रति, स्वयं के प्रति इतनी कठोरता.. अपनी मूर्खता पर भी उसे उन दिनों बहुत भरोसा था. 
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हठात् एक दिन 

फिरकी की तरह वक़्त घूमता
रहा, लम्हें टूट कर यहाँ
वहां बिखरते रहे,
कुछ मासूम
पौधे, रूखे
दरख़्त
में तब्दील होते चले गए...
Shantanu Sanyal शांतनु सान्याल 
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चेहरे की झुर्रियां...... 

मुफ्त में अनुभव जिन्दगी ने दिया नही 
पत्थरों की तरह घिस घिस के सिखाया है !!

चेहरी की झुर्रियाँ कहती जिसे दुनिया
जिम्मेदारियों की तपन से तप के पाया है !! 
सागर लहरें पर उर्मिला सिंह 
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फिर पढ़ाई भी तरसती 

पाठशाला मौन है अब
फिर पढ़ाई भी सिसकती

प्रार्थना के भाव चुप हैं
राष्ट्र जन गण गीत तरसे
पंजिका पर हाजिरी की
कब मधुर आवाज बरसे
श्यामपट खाली पड़े हैं
बात खड़ियों को खटकती।।
फिर पढ़ाई .. 
काव्य कूची पर anita _sudhir 
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खूँटा 


वर्षों से इसी एक स्थान पर 
रहने के उपरान्त भी अभी तक 
यह नहीं खोज पाई कि 
जिन श्रंखलाओं ने इतनी लम्बी अवधि तक 
मुझे एक कैदी की तरह यहाँ 
निरुद्ध कर रखा है उसका खूँटा 
कहाँ गढ़ा हुआ है 
यहीं कहीं ज़मीन में 
या फिर मेरे मन में ! 
Sudhinama पर Sadhana Vaid 
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हमारा घर 

बस अब बीती बातें भूल जाओ सुमन ..! हमारी गृहस्थी बस गई यह देखकर दादी और माँ पापा भी मुस्कुरा रहे हैं। मोहन तस्वीर की तरफ इशारा करते हुए बोला।
मोहन की बात सुनकर सुमन मुस्कुरा उठी।आज बरसों बाद उसे अपने घर का सुख मिला जिसे वो हमारा अपना घर कह सकती थी। 

मेरे मन के भाव पर Anuradha chauhan 
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मोहब्बत में नहीं है फर्क जीने और मरने का , 

उसी को देख के जीते हैं ,जिस काफ़िर पे दम निकले

virendra sharma 
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आज के लिए बस इतना ही...! 
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12 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन संकलन
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार

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  2. शानदार चर्चा , सुंदर प्रस्तुति सुंदर लिंक चयन।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

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  3. सारे लिंक पठनीय हैं... उत्तम सामग्री

    हार्दिक शुभकामनाएं 💐🙏💐

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  4. सुन्दर सार्थक सूत्रों का संकलन आज का चर्चा मंच ! मेरी रचना को आपने स्थान दिया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !

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  5. बहुत सुंदर प्रस्तुति, चर्चा मंच पर मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।

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  6. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति। मुझे स्थान देने के लिए सादर आभार सर
    सादर प्रणाम

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  7. भारत-चीन के बीच सीमा पर बढ़ता तनाव वाकई चिंता का विषय बनता जा रहा है। सार्थक भूमिका के साथ बेहतरीन लिंकों का चयन। हमेशा की तरह बेहतरीन प्रस्तुति,सादर नमस्कार सर

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  8. आज की चर्चा बहुत सार्थक रही. सबके ब्लॉग पसंद आए. मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार.

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  9. सार्थक चर्चा ...
    आभार मेरी गज़ल को शामिल करने के लिए ...

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  10. बहुत शुन्दर और सार्थक रही यह चर्चा ! साधुवाद!--ब्रजेन्द्रनाथ

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