मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है
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पितृ पक्ष प्रारम्भ हो चुका है।
देखिए पितृपक्ष की तिथियाँ...
1 सितम्बर- पूर्णिमा का श्राद्ध, 2 सितम्बर- प्रतिपदा का श्राद्ध, 3 सितम्बर- द्वितीया का श्राद्ध, 5 सितम्बर- तृतीया का श्राद्ध, 6 सितम्बर- चतुर्थी का श्राद्ध, 7 सितम्बर- पंचमी का श्राद्ध, 8 सितम्बर- षष्ठी का श्राद्ध, 9 सितम्बर- सप्तमी का श्राद्ध, 10 सितम्बर- अष्टमी का श्राद्ध, 11 सितम्बर- नवमी का श्राद्ध, 12 सितंबर- दशमी का श्राद्ध, सितम्बर- एकादशी का श्राद्ध, 14 सितम्बर- द्वादशी का श्राद्ध, 15 सितम्बर- त्रयोदशी का श्राद्ध, 16 सितम्बर- चतुर्दशी का श्राद्ध, 17 सितम्बर- अमावस का श्राद्ध।
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मेरी पसन्द के कुछ ब्लॉगों की पोस्ट के लिंक...
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"श्रद्धा ही तो श्राद्ध की, होती है बुनियाद"
सबके अपने ढंग हैं, सबके अलग रिवाज।
श्राद्ध पक्ष में कीजिए, विधि-विधान से काज।।
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श्रद्धा से ही कीजिए, निज पुरुखों को याद।
श्रद्धा ही तो श्राद्ध की, होती है बुनियाद।।
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मात-पिता को मत कभी, देना तुम सन्ताप।
पितृपक्ष में कीजिए, वन्दन-पूजा-जाप।।
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ए दावेदार नहीं हम
पथ के दावेदार नहीं हम
राही हैं हम एक राह के
रह गुजर का साथ सभी का
लक्ष्य सभी का एक कहाँ है...
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गीत :
प्रणय की बेला
देख रही मैं सपन अनोखे ,
आ पहुँची प्रिय प्रणय की बेला !
निशा भोर की गैल चली है
तारों ने तब घूँघट खोला ,
मन्द समीर उड़ाये अंचल
रश्मि किरण का मन है डोला ,
पागल मन हो जाता विह्वल
रोज सजाता जीवन मेला...
झरोख़ा पर निवेदिता श्रीवास्तव
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एओल आश्रम
आज सुबह ही वे नए घर आ गए थे. जून को दफ्तर का कुछ काम था, वह देर तक फोन पर ही रहे. नन्हा अपना दफ्तर का काम करता रहा, मजदूर अपना काम और वह योग वशिष्ठ पढ़ती रही और मोदी जी के पुराने भाषण सुने. उनका अति मोहक व्यक्तित्व था और अब भी है. उनका जैसा प्रतिभावान व्यक्ति कोई लाखों में एक होता है. शाम को वे पड़ोसी के यहाँ गए, बहुत मिलनसार हैं. जून को चाय पिलाई, उनके पुत्र ने आश्रम तक लिफ्ट दी...
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समर्पित (कहानी)
#laghukatha
वो सर्द साँझ थी जब पुष्प को अचानक सी - बीच पर अंशिका जैसी ही आकृति दिखी थी। वह एक अदृश्य आकर्षण से बँधा हुआ उस ओर बढ़ गया था। उसे अंशिका के साथ कॉलेज में बिताये हुए दिन रह रह कर याद आ रहे थे। वह भौतिकी के पीजी का छात्र था और अंशि हाँ इसी नाम से उसे पुकारा करता था...
marmagya.net पर Marmagya
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आज़ाद रूह की नुमाइंदगी कर
साहित्य की रूह को जगा गईं
अमृता प्रीतम
कल्पना का इतना ऊंचा दरख़्त खड़ा कर दो कि कोई उसके पार जा ही ना पाये और थकहार कर कहे कि अब बस भी करो अमृता… साहित्य में रुह से इतने गहरे तक कौन ताअल्लुक बनाता है … मगर नहीं, अमृता आज भी हमारी रूहों को टटोल कर कहती हैं कि कल्पना को कोई नहीं बांध सका..इसलिए उड़ो और उड़ो …और उड़ते चलो …
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फूलों की नाव है
फूलों की नाव है
और एक ही पतवार है
जिसके सहारे
घूम रही है
गोल - गोल
वहीं की वहीँ
दरियाए ज़िंदगानी में
यही गोल - गोल घेरे अब
धीरे धीरे - छोटे और छोटे होते जा रहे...
और एक ही पतवार है
जिसके सहारे
घूम रही है
गोल - गोल
वहीं की वहीँ
दरियाए ज़िंदगानी में
यही गोल - गोल घेरे अब
धीरे धीरे - छोटे और छोटे होते जा रहे...
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नहीं रही है गुरु में गुरुता
लेकिन
शिष्यों में भी
कहाँ रही है
पहले-सी शिष्यता
अंगूठा कटवाना तो दूर
आज के शिष्य
यही पतन है ...
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चिड़िया को
जब देखता हूँ
तब स्वतंत्रता का
अनायास
स्मरण हो आता है...
जब देखता हूँ
तब स्वतंत्रता का
अनायास
स्मरण हो आता है...
Ravindra Singh Yadav
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एक व्यंग्य :
एक पत्र कविता चोर के नाम
हे मेरे कविता प्रेमी !
सादर चरण स्पर्श
अत्र कुशलम ! तत्रास्तु ?
सादर चरण स्पर्श
अत्र कुशलम ! तत्रास्तु ?
आशा करता हूं कि आप ’चुल्लू भर पानी’ ढूँढ रहे होंगे ।
सुबह ही सुबह ,जब मेरे मित्रों ने ’ब्रेकिंग न्यूज़ ’ शैली में यह ख़बर सुनाई की मेरी एक कविताफिर चोरी हो गई तो मेरा मन अति प्रफ़्फ़ुलित हो गया । अब मेरी कविता गीत ग़ज़ल ’चोरी’ होने के योग्यहो गई ।बड़ी हो गईं।
ना "ब्लाग" की सीमा हो, ना ’व्हाट्स अप" का बन्धनमेरे गीत चुरा लेना , जब चाहे तेरा मन
मेरे गीत चुरा कर तुम --मेरे गीत अमर कर दोइस चोरा-चोरी की, सखे! रीति अमर कर दो ...
सुबह ही सुबह ,जब मेरे मित्रों ने ’ब्रेकिंग न्यूज़ ’ शैली में यह ख़बर सुनाई की मेरी एक कविताफिर चोरी हो गई तो मेरा मन अति प्रफ़्फ़ुलित हो गया । अब मेरी कविता गीत ग़ज़ल ’चोरी’ होने के योग्यहो गई ।बड़ी हो गईं।
ना "ब्लाग" की सीमा हो, ना ’व्हाट्स अप" का बन्धनमेरे गीत चुरा लेना , जब चाहे तेरा मन
मेरे गीत चुरा कर तुम --मेरे गीत अमर कर दोइस चोरा-चोरी की, सखे! रीति अमर कर दो ...
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परिवार
माता-पिता पुत्र-पुत्री सह सम्बन्धों का साथ।
दादा-दादी का पोता-पोती के शिर पर हाथ।।
परितः कल्याण कामना से होता ऊँचा माथ।
दुःख-सुख को सह जाते बनाकर एक गाथ।।
स्व रचना पर gstshandilya
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बरस रहा है मेघ निरंतर
अनवरत आवेग से भरकरबरस रहा है मेघ निरंतर
प्रचंड कोई अभियान सी लेकर
निर्बल जीवन प्राण को हरकर.
जल प्लावन से जान सिसकतेप्रलय सिंधु अरमान निगलतेसघन गगन प्रतिदिवस बरसते...
BHARTI DAS पर Vinbharti blog
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ज़िद्दी पल
मिलने को तेरे यूँ तो जां तड़पता है,
वही आँगन, वही नदी - पहाड़का खेल, अब भी तुझे
छूने को जी मेरा
मचलता है,
वो
बारिश की बूंदे वक़्त के खपरैलों से
उतर कर, न जाने कब मेरी
उंगलियों के कोरों से
निकल कर ज़मीं
पे बिखर
गए,...
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एक सिक्के के दो पहलू
स्त्रियों के विकास के लिए बहुत कुछ किया जा रहा है! हम सभी प्रयासरत हैं -अपनी बेटियों को ऊँची से ऊँची शिक्षा दिला रहे हैं, जिससे वे आत्मनिर्भर बनें, अपने जीवन के फ़ैसले सोच-समझकर लें, भावी जीवन में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलें! साथ ही अपने बेटों को भी सिखा रहे हैं कि वे लड़कियों/स्त्रियों की इज़्ज़त करें, उन्हें अपने से क़तई कमतर न आँकें, घर के कामों में बराबर से मदद करें! मगर विडंबना ये है कि स्त्री को आगे बढ़ने से रोकने वाली, अक्सर पहले एक स्त्री ही होती है, पुरुष तो बाद में आते हैं! सही मायनों में देखा जाये तो समाज में बदलाव अपने घर से ही शुरू होता है...
Anita Lalit (अनिता ललित )
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प्रेम अमृता सा
Roli Abhilasha
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अपनों को, रिश्तों को बचाने की कोशिश
संबंधों को, रिश्तों को बचाने की कोशिश क्या सभी लोग करते हैं? क्या सभी लोग ऐसा करते होंगे? या इस तरह की हरकत कुछ विशेष लोगों में ही देखी जाती है? सामाजिक रूप से सक्रिय रहने के कारण और बिटोली अभियान के द्वारा कन्या भ्रूण हत्या निवारण जैसे कार्यक्रम का सञ्चालन करने के कारण परिवारों से लगातार मिलना-जुलना होता रहता है. ऐसे में अनेक बार ऐसी स्थितियाँ देखने को मिलती हैं जबकि परिवार के किसी सदस्य को लेकर कुछ लोग बहुत चिंतित रहते हैं और कुछ लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता है. एक ही परिवार में सभी रक्त-सम्बन्धियों की आर्थिक, सामाजिक स्थिति, प्रस्थिति में अंतर होता है...
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रुक जरा
पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
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बोया पेड़ बबूल का तो.....
ऐसी मान्यता है कि बबूल के पेड़, जिसे कीकर भी कहा जाता है, पर देवताओं का वास होता है। प्राचीन काल में इसकी पूजा की जाती रही है। इसको अत्यंत शुभ, पावन और वैभवदाई माना जाता है। इसका प्रत्येक भाग किसी न किसी उपयोग में जरूर आता है। इसकी लकड़ी औरों की बनिस्पत काफी मजबूत व क्षयरोधी होती है। चाहे मरुभूमि का फैलाव हो या पानी का कटाव इसके होते इन दोनों से बचाव हो जाता है। इसीलिए इसको काटना या नष्ट करना निषेद्ध माना गया है। ऐसे पेड़ की किसी दूसरे वृक्ष से तुलना कर इसे हेय करार देना नादानी ही मानी जानी चाहिए ! अब यह दूसरी बात है कि महान संत, समाज सुधारक को बुराई की तुलना के लिए यही पादप मिला !
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा,
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रिपोर्टर - महाश्वेता देवी
पहला वाक्य:दलदली शहर के इस तरफ, गंगा के पूर्व में, हालाँकि वार्तावह का दफ्तर मौजूद था, लेकिन यह अंदाजा लगाने का कतई उपाय नहीं था कि पश्चिम की तरफ भागीरथी प्रवाहमान है...
एक बुक जर्नल पर
विकास नैनवाल 'अंजान'
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भारतरत्न पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का
84 साल की आयु में निधन,
सात दिन का राजकीय शोक
भारत के चहेते राष्ट्रपतियों में शुमार 84 साल के प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) दिल्ली में आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रेफरल में भर्ती थे. उनकी ब्रेन सर्जरी हुई थी, जिसके बाद उनकी हालत नाजुक होने के चलते उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. उनके ब्रेन में एक थक्का (Clot) बन गया था, जिसको निकालने के लिए ऑपरेशन किया गया था. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट करके लिखा, ''भारी मन के साथ, आपको यह सूचित करना है कि मेरे पिता श्री प्रणव मुखर्जी का अभी आरआर अस्पताल के डॉक्टरों के सर्वोत्तम प्रयासों और पूरे भारत में लोगों से मिली दुआओं और प्रार्थनाओं के बावजूद निधन हो गया है! मैं आप सभी को धन्यवाद देता हूं. ''भारत रत्न प्रणब मुखर्जी के जाने पर पूरे देश में शोक की लहर है. नेताओं से लेकर आम जनता उन्हें श्रद्धांजलि दे रही है. राष्ट्रपति को महामहिम कहे जाने की रीति से ऐतराज करने वाले प्रणब मुखर्जी 2012 से 2017 तक भारत के राष्ट्रपति थे. उनका राजनीतिक जीवन 40 सालों से भी ज्यादा लंबा रहा है. कांग्रेस पार्टी में रहते हुए उन्होंने विदेश से लेकर रक्षा, वित्त और वाणिज्य मंत्री तक की भूमिका निभाई.
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आज के लिए बस इतना ही...!--
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आज के लिए बस इतना ही...!--
भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को विनम्र श्रद्धांजलि ! अति श्रम से सँजोये ढेर सारी पठनीय रचनाओं के सूत्रों का संयोजन, आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर मनमोहक प्रस्तुति सर,भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को विनम्र श्रद्धांजलि,परमात्मा उनके आत्मा को शांति दे।
जवाब देंहटाएंबहुत श्रम से तैयार सुन्दर सराहनीय प्रस्तुति । भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को विनम्र श्रद्धांजलि ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सराहनीय प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सराहनीय चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंभूतपूर्व राष्ट्रपति जी को सादर श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंसुंदर भूमिका के साथ शानदार प्रस्तुति सुंदर लिंक चयन,सभी रचनाएं आकर्षक सुंदर।
सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
लाजवाब प्रस्तुति उम्दा लिंक्स
जवाब देंहटाएंपूर्व राष्ट्रपति आदरणीय प्रणव मुखर्जी को विनम्र श्रद्धांजलि।
बहुत अच्छी चर्चा। इस मंच ने साहित्य प्रेमियों को एक साथ एक मंच ऑयर ला दिया है। इतनी रचनाएँ, विभिन्न विधाओं में एक साथ पढ़ने को मिल जाती है। यही सबसे बड़े बात है।
जवाब देंहटाएंसादर आभार!--ब्रजेन्द्रनाथ