फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, सितंबर 23, 2020

"निर्दोष से प्रसून भी, डरे हुए हैं आज" (चर्चा अंक-3833)


--





--

--
मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक!


गीत "सपनों पे गिरी गाज"  

निर्दोष से प्रसून भी, डरे हुए हैं आज।

चिड़ियों की कारागार में, पड़े हुए हैं बाज।

-

अश्लीलता के गान, नौजवान गा रहा,

फटी हुई पतलून सेजग को रिझा रहा,

भौंडे सुरों के शोर मेंसब दब गये हैं साज।

चिड़ियों की कारागार में, पड़े हुए हैं बाज।।

--
--
--
उस मर्तबान को सहेज रखती थी रसोई में 
मख़मली यादें इकट्ठा करती थी उसमें मैं 
जब भी ढक्कन हटाकर मिलती उन  से 
उसी पल से जुड़ जाती उन बिताए लम्हों से 
--
मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ 
वो ग़ज़ल आप को सुनाता हूँ 

एक जंगल है तेरी आँखों में 
मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ 

तू किसी रेल सी गुज़रती है 
मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ 
--
टूटती ये चूड़ियाँ भी
घाव तन के हैं दिखाती
माँग में सजता लहू जब
धर्म वे अपना निभाती
साँस घुटती प्रीत की जब 
बोझ बनते इन पलों से।।
--

ब्रह्मपुत्र का सिन्दूरी जल

और..

भोर की पहली किरण 

पुल से गुजरते हुए

 एक तैल चित्र सा दृश्य

अक्सर दृग पटल पर

उभर आता है

--

अझुराइल जमाना

खाता में मनरेगा वाला अनघा रुपया आव$ता

मुखिया जी के किरपा के सभे गुणवा गाव$ता

लउकल डारही मोटे ओनही सिर भइल नवाना बा

फेसबुक-व्हाट्सअप में अझुराइल जमाना बा

--

गीत 

प्रेम आलिंगन मनोरम

लालिमा भी लाज करती

पूर्णता भी हो अधूरी

फिर मिलन आतुर सँवरती

प्रीत की रचती हथेली

गूँज शहनाई हृदय में।।

मैं धरा..

--

मन में तेरा ही नाम रहे  

(कविता) #bhakti 

प्रेम की बाती जलती रहे,
नेह की बूंदे गिरती रहें।
तन मेरा तू सींचित कर दो,
मोहपाश को सीमित कर दो।
मनमोहक तेरी ही छवि,
नयनों में आठो याम रहे।
मन में तेरा ही नाम रहे।
--
सड़क पर से गुज़रती हुई   

जाने मैं किधर खो गई    
घर-रास्ता-मंज़िल, सब अनचिन्हा-सा है   
मैं बदल गई हूँ, या फिर दुनिया बदल गई है!   
धीरे-धीरे सब विस्मृत हो रहा है   
मस्तिष्क साथ छोड़ रहा है   
या मैं मस्तिष्क की ऊँगली छोड़ रही हूँ!  
--

हमने चेहरे पे मास्क क्या लगाया 'परचेत',  

कुछ नादां  हमें बेजुबांं समझ बैठे,

फितरतन, चुप रहने की आदत तो न थी, 

क्या करे, बेवश थे चीनी तोहफे़ के आगे।

--

विसर्जन पथ 

आज तक, मैं हज़ार बार आना चाहूंगा

उसी पगडण्डी में, जो जाती है नदी

की ओर, जहाँ से देवी लौट

जाती है कैलाश, उसी

जल गर्भ में डूब

के देखना

चाहूंगा

जीवन का  वास्तविक प्रतिबिम्ब 

--

चुप रहना भी एक कला है  

जो इस कला में निपुण है। 

Sawai Singh Rajpurohit,  AAJ KA AGRA  

---

थापर जी, सिर्फ सवाल पूछना ही नहीं,  

जवाब भी देना पड़ता है 

अभी पिछले दिनों उत्तर-प्रदेश के मुख्य मंत्री श्री आदित्यनाथ योगी जी ने बताया कि आगरा में निर्माणाधीन मुगल म्यूजियम, छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर स्थापित होगा। उन्होंने कहा कि गुलामी की मानसिकता के प्रतीक चिन्हों को छोड़, राष्ट्र के प्रति गौरवबोध कराने वाले विषयों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। हमारे नायक मुगल नहीं हो सकते ! शिवाजी महाराज हमारे नायक हैं, इसलिए यह म्यूजियम छत्रपति शिवाजी के नाम पर होगा।   
--
आज के लिए बस इतना ही...!  

12 टिप्‍पणियां:

  1. वंदन संग हार्दिक आभार आपका
    सराहनीय प्रस्तुतीकरण हेतु साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर सराहनीय प्रस्तुति । मेरे सृजन को चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आपका हार्दिक आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  3. चिडियों की कारागार मे पडे हुए हैं बाज...
    जानदार कटाक्ष। आभार आपका शास्त्री जी🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।मेरी रचना को स्थान देने के लिए सादर आभार।

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन प्रस्तुति सर,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  6. विविधताओं से भरी सुन्दर प्रस्तुति व मंत्रमुग्ध करती रचनाएं - - आपका हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं
  7. श्रमपूर्वक चुने गए मोतियों से बने सुंदर हार का अहसास कराती आज की इस चर्चा में मेरी स्वयं की पोस्ट को शामिल किया जाना बहुत सुखद है।

    हार्दिक आभार आदरणीय रूपचंद्र शास्त्री जी 🙏💐🙏

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही शानदार सराहनीय चर्चा
    आदरणीय शास्त्री जी मेरी पोस्ट को यहां स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार और साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  9. सुन्दर संकलन।मेरी पोस्ट स्थान देने के लीये आभारी हूँ।

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।