सादर अभिवादन !
शुक्रवार की प्रस्तुति में आप सभी विद्वजनों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन !
आज की चर्चा का का आरम्भ दुष्यंत कुमार जी
की कलम से निसृत एक ग़ज़ल के अंश से --
मत कहो, आकाश में कुहरा घना है,
यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है।
सूर्य हमने भी नहीं देखा सुबह से,
क्या करोगे, सूर्य का क्या देखना है।
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अब बढ़ते हैं आज के चयनित सूत्रों की ओर-
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
मात-पिता,विज्ञान,गणित है,
ध्यान इन्हीं का करना है।
हिन्दी की बिन्दी को,
माता के माथे पर धरना है।।
देव-तुल्य जो अन्य विषय है,
उनके भी सब काम करेगें।
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सुरक्षा लेने वाला व्यक्ति सक्षम है, तो क्यों ना खर्च भी उसी से वसूला जाए
वर्षों से चली आ रही इस ''परंपरा'' को सुधारने की बहुत जरुरत है। इसके लिए बनाई गई कमेटियों में ऐसे लोग हों जिन पर किसी का किसी भी तरह का दवाब ना पड़ सके। नामजद लोगों की पूरी जिम्मेदारी से पड़ताल हो ! सुरक्षा समीक्षा का समय निर्धारित हो !
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अनमने शजर की उनींदी शाख़ का
एक सूखा पत्ता गिरा नदिया के पानी में
बेचारा अभागा अनाथ हो गया
पलभर में दृश्य बिखरा हुआ पाया
श्वेत बादल का श्रृंगार हो पाया न हो पाया!
मैंने ख़ुद को सफ़र में चलते हुए पाया।
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शायद ही ऐसा कोई हो जिसने वैष्णों देवी की यात्रा ना की हो, वैष्णों देवी के दर्शन पर जाना बड़े सौभाग्य की बात मानी जाती है। पहले तो ये बड़ी ही कठिन यात्रा होती थी पर पिछले दो दसक से ये यात्रा सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण हो गई है और अब इस यात्रा पर लोग भक्ति और आस्था से नहीं बल्कि पर्यटक बन के जाने लगे हैं।
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अक्षरों की ब्रह्म सत्ता | डॉ. वर्षा सिंह
भगवत् गीता में एक श्लोक है -
अक्षरं ब्रह्म परमं स्वभावोऽध्यात्ममुच्यते ।
भूतभावोद्भवकरो विसर्ग: कर्मसञ्ज्ञित: ।। गीता 8/3।।
अर्थात् जिसका कभी नाश नहीं होता, जो हमेशा क्षररहित है, अक्षर है, वही ब्रह्म है, ब्रह्म सदैव अपरिवर्तन है। परमात्मा ही ब्रह्म है। परब्रह्म का जो प्रत्येक शरीर में अंतर आत्मा का भाव है उसका नाम स्वभाव है, वह स्वभाव ही अध्यात्म कहलाता है।
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तभी उन्हें फ़क़ीर बाबा की वही चिरपरिचित आवाज़ सुनाई पड़ती है। बाबा सेठ की दुकान पर आया करते थे। अपनी आदत के अनुसार बाप-बेटे दोनों ने ही कभी फूटी कौड़ी भी उन्हें न दी थी। और बाबा यह कह आगे बढ़ जाते थे-" ना घर तेरा ना घर मेरा चिड़िया रैन बसेरा।"
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जान के भी, मामूली सा बुलबुला हूँ -
पानी का, रख लो मुझे जहाँ
चाहे, तुम्हारी हो मर्ज़ी,
न हो जाए पटाक्षेप
पलक झपकते,
मेरी रंगीन
कहानी
का।
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एक बुक जर्नल प्रतियोगिता #1- वेलाराम
एक बुक जर्नल की प्रतियोगिता के लिये प्रविष्टियाँ आना शुरू हो गयी हैं। आज पढ़िए वेलाराम देवासी की प्रविष्टि। वेलाराम देवासी भटाणा राजस्थान के रहने वाले हैं और उन्होंने हमसे उन किताबों की सूची साझा की है जिन्हें उनके अनुसार उतनी प्रसिद्धि और उतना व्यापक पाठकवर्ग नहीं मिला जिसके वो हकदार थीं।
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हर तरफ है मौन पसरा
जीव भी हरपल डरा-सा
बावरा मन मूँद पलकें
साँझ ढलती देखता है
छा रहा है मौन कैसा
हर घड़ी ये सोचता है
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रजत बोल तो गया था मगर अगले पल उसे अहसास हुआ अनन्या के सामने उस ने अपनी छवि बनाने के लिए कितनी मेहनत की है वो सोच रहा था अपनी गलती को कैसे सुधारा जाए .कुछ क्षण तक बिलकुल पिन ड्रॉप साइलेंस...गहन शांति ।
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आदमी बेबस हुआ
पर कहाँ मानता है
खुद को बचाने हेतु
और को मारता है !
क्या है ? जानता नहीं
खो गयी याद सारी
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मनरूप माता,रवि सिंह पिता।
सिमरिया गाँव के कृषक बेटा।
नाम किए जग भर में,
चरणों में शत-शत नमन मेरा।
राष्ट्र कवि दिनकर के,
चरणों में शत-शत नमन मेरा।
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आप सबका दिन मंगलमय हो...
फिर मिलेंगे…
🙏🙏
"मीना भारद्वाज"
विचारणीय भूमिका, सदैव की तरह विविधताओं से भरी प्रस्तुति और शास्त्री जी की लेखनी को बारंबार नमन।
जवाब देंहटाएंकाश! इसी प्रकार हिंदी भारत माता के माथे की बिंदी बंद बन पाती। यदि अपनी बात बताऊँ, तो अनुस्वार का थोड़ा-बहुत ज्ञान मुझे पत्रकारिता में आने के बाद ही हुआ, लेकिन यहाँ भी चन्द्रबिंदु गायब कर दिया गया।
मेरे सृजन को 'कर्मफल' को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हृदय से आभार मीना दीदी जी।🙏
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति। शुभ प्रभात व शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंसराहनीय व पठनीय लिंक्स
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार मीना जी
रचना को सम्मिलित कर मान देने हेतु अनेकानेक धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार सखी।
जवाब देंहटाएंसराहनीय भूमिका के साथ बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय मीना दी।
जवाब देंहटाएंवक़्त मिलते ही पढ़ती हूँ सभी रचनाएँ।
सादर
सुंदर भूमिका और पठनीय रचनाओं की खबर देते सूत्र, आभार मुझे भी शामिल करने हेतु मीना जी !
जवाब देंहटाएंविविधताओं से परिपूर्ण बेहतरीन प्रस्तुति मीना जी, मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसुंदर सुरुचिपूर्ण प्रस्तुति मैम। मेरी रचना को इस चर्चा में शामिल करने के लिए हृदय से धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत और सराहनीय प्रस्तुति।मेरी रचना को साझा करने के लिए हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंउपयोगी लिंकों के साथ सुन्दर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीया मीना भारद्वाज जी।
मेरी पोस्ट को आपने चर्चा मंच में स्थान दिया इस हेतु
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार मीना भारद्वाज जी 🙏💐🙏