स्नेहिल अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
21 सितंबर को "विश्व शांति दिवस" मनाया गया।
पुरे विश्व में हर तरफ उथल-पुथल और हाहाकार सा माहौल है।
मौजूद हालत में विश्व शांति के लिए प्रार्थना की बड़ी दरकार है....
विश्व में शांति की कामना के साथ चलते है, आज की रचनाओं की ओर......
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सूरज चमका नील-गगन में।
फैला उजियारा आँगन में।।
काँधे पर हल धरे किसान।
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अपने प्रकाशित पुस्तकों के लिए मैंने एक ब्लॉग बनाया है। इस लिंक पर क्लिक कर मेरे उपन्यास 'ढाई कदम' के प्रथम अध्याय को पढ़ सकते हैं। कृपया मेरे ब्लॉग राकेश श्रीवास्तव 'राही' को देखें और इसका सदस्य बन कर मुझे प्रोत्साहन दें। इसके लिए मैं आप सभी का सदा आभारी रहूँगा।
नहीं होता है
एक गिरोह हो जाना
बहुत
मुश्किल है
बिना गिरोह में शामिल हुऐ
ज़िन्दगी बीत गई तुम्हें ढूंढ़ते,
पर तुम मिली ही नहीं,
अब तो बता दो अपना पता,
अब वक़्त ज़रा कम है.
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Akanksha -Asha Lata Saxena
घर तो घर ही होता है
देश में हो या परदेश में
जहां चार जने अपने होते है
वहीं स्वर्ग हो जाता है |
एक दूसरे का सुख दुःख
अलग नहीं होता
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सुन्दर चर्चा. मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति आदरणीय कामिनी दीदी।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारो को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरीराचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद कामिनी जी |
आभार कामिनी जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीया कामिनी जी।
बहुत बहुत आभार कामिनी सिन्हा जी,
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को आपने चर्चा मंच पर स्थान दिया... पुनः आभार 💐🙏💐
मंच पर प्रस्तुत सभी रचनाएं मनग्राही हैं। आपको शुभकामनाएं ए्ंव साधुवाद 🙏💐🙏
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंविश्व शांति की कामना के साथ पठनीय रचनाओं का संकलन, आभार मुझे भी शामिल करने हेतु !
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा🌻
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति कामिनी जी ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारो को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
आप सभी स्नेहीजनों को तहेदिल से शुक्रिया एवं सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंलाजवब चर्चा सूत्र ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी रचना को जगह देने के लिए ...