मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक।
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ग़ज़ल "बगावत भी करे कैसे, यहाँ दो जून की रोटी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बारिशों में गुमटी पर
पकती चाय है जिन्दगी
घूँट-घूँट पीने का
आनन्द ही कुछ और है ।
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"क्या इस घर के मालिक को बच्चे पसन्द नहीं थे कि इकलौता बेटा हुआ और उस इकलौते बेटे ने औलाद ही नहीं किया?"अभी फँख फैले नहीं थे लाल-लाल गलफड़ वाले दुधमुँहे चूजे ने माँ चिड़ी से पूछा।
"अरे नहीं रे! मालिक को बच्चे बहुत पसन्द थे। मेरी दादी बताया करती थीं कि ये अपनी ही शादी में आए छोटे-छोटे बच्चों को कप-प्लेट, लैंप-लालटेन के शीशे को फोड़ने पर क्रमानुसार चवन्नी-अठन्नी-रुपया-दो रुपया दिया करते थे। च च चनाक, ट्टुन ट्टुन टनाक बिखरे किरचों के ढ़ेर पर माँ, बुआ, मामी, चाची, मौसी से डाँट खाने से बेहद प्रफ्फुलित होते।" माँ चिड़ी किस्सा सुना रही थी।
"संयुक्त परिवार के सुख को भोगा पिता-पुत्र अपने पुश्तैनी घर को बाल गृह बना रखा है।"
"मालिक के बेटे के अनुशासन में हमें निश्चिंतता की जिन्दगी मिल जाती है। है न माँ!"
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इमेज गूगल साभार |
#दिल चुराने में ।
बातों ही बातों में ,
अपना बनाने में ।
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भले ही
आप जी रहे हों गम के साये में
या फिर घेर रखा हो दिल को
किसी खौफ के साये ने
बच्चे फाके कर रहे हों, और न मिली हो पगार
पर मुस्कुराना बेहद ज़रूरी है।
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ये जिंदगी भी तो गुज़र रही है तेरे बिनाहाँ कुछ यादें साथ चलती हैं ... जैसे चलता है तारों का कारवाँ लम्हों के अनगिनत जुगनू ... जलते बुझते हैं सफ़र मेंपर साथ नहीं देते जैसे समय भी नहीं देता साथ
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ख्वाबों का सिलसिला
जब कभी चल पड़ा
मैं ज़मीन पे चलूं
आसमां में उडूं
उलझनों में ये दिल यूं पड़ा...
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गैरों के हाथों ना सौंप दें ,यारा ! निज जीवन का रिमोट
जीवन है अपना, आओ स्वयं को
स्वयं ही करना सीखें प्रमोट !
गैरों के हाथों ना सौंप दें,
यारा ! निज जीवन का रिमोट !
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भास्कर Explainer : अंगदान के नियम महिला व पुरुष के लिए समान, अंगदाता की पहचान जरूरी
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मशहूर हॉरर लेखक आर एल स्टाइन की नई किताब जल्द ही होगी रिलीज आर एल स्टाइन (R L Stine) बाल पाठकों के लिए लिखी गई गूसबम्पस (Goosebumps) शृंखला और किशोरों के लिए लिखे गए फियर स्ट्रीट (Fear Street) शृंखला के उपन्यासों के लिए जाने जाते हैं। शायद ही ऐसा कोई हो जिन्होंने उनकी रचनाओ या उनकी रचनाओं पर बनी फिल्मों को न देखा होगा। अब तक वो 300 से ऊपर से किताबें लिख चुके हैं और उनकी किताबों की 40 करोड़ से ऊपर प्रतियाँ बिक चुकी हैं। उनकी गूसबम्प स्लैपीवर्ल्ड शृंखला का उपन्यास 'स्लैपी इन ड्रीमलैंड' (Slappy in Dreamland) अप्रैल 2022 में रिलीज हुआ था। वर्ष 2021 में उनकी फियर स्ट्रीट शृंखला के उपन्यासों को आधार बनाकर एक तीन फिल्मों की त्रेयी नेटफ्लिक्स में रिलीज हुई थी जो कि दर्शकों को काफी पसंद आई थी।
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अधिकार पाकर कोई, निः स्पृह कैसे कोय।
जिमि श्रृंगार प्रेमी नर, अकाम नाही होय।।1।।
द्वेष
मूरख द्वेष सदा बुध सो, रंक धनी से मान।
परांगना कुलीना सो, विधवा सधवा जान।।2।।
रक्षण
धन से रक्षित धर्म होय, योग से रक्षित ज्ञान।
भली नारि से घर रक्षित, मृदुता से श्रीमान।।3।।
--अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।
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भारत माता अभिनन्दन सम्मान-2022 के लिए संस्था का हार्दिक आभार :)
सभी साथियों को मेरा नमस्कार कई दिनों के बाद आप सभी के समक्ष पुन: उपस्थित हूँ एक अच्छी खबर के साथ सम्मान मिलना किसे अच्छा नहीं लगता और जब आपको वो सम्मान अपने गृह राज्य मे मिले सामाजिक संस्था भारत माता अभिनंदन संगठन, हरियाणा द्वारा सामाजिक व साहित्यिक क्षेत्र मे योगदान के लिए
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कार्टून :- राजनीति में बेमानी सवाल
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हमारी सोसायटी में कुत्ता घर और ज्ञानवापी “मस्जिद” विवाद
देश समझना हो तो अपने आसपास का समाज समझ लीजिए, अच्छे समझ में आने लगेगा। कई बार राजनीतिक चर्चा होती है कि, हर बात के लिए नेहरू जी को दोष देकर भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी कब तक काम चलाएँगे। राजनीतिक, आर्थिक और, यहाँ तक कि, धार्मिक सन्दर्भों में भी यह जवाबी तीर राजनीतिक दलों के प्रवक्ता एक दूसरे पर चलाते हैं। एक और बात कही जाती है कि, जब आप विपक्ष में थे तो, यही बात मानते थे, लेकिन अब आप सत्ता में हैं तो उसके उलट बात कह रहे हैं या फिर इसे उल्टा कर दीजिए। यू टर्न आपको लेने को नहीं कह रहा हूँ, सिर्फ सत्ता पक्ष और विपक्ष में राजनीतिक दलों को एक दूसरे के स्थान पर रखकर देखने को कह रहा हूँ।
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कानूनी ज्ञान
ऑल इंडिया ब्लॉगर्स एसोसियेशन
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आज के लिए बस इतना ही...!
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वाह वाह!बहुत ही संयत और सार्थक चर्चा
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक और श्रमसाध्य चर्चा प्रस्तुति ।बेहतरीन व लाजवाब सूत्रों का संयोजन ।आज की चर्चा में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए सादर आभार आदरणीय शास्त्री सर ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय गण .
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर एवं सार्थक चयन के लिए दिल से धन्यवाद।
सभी प्रस्तुतियाँ शानदार.
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक सदैव की ही तरह, हार्दिक धन्यवाद 🙏🙏
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंसार्थक चर्चा प्रस्तुतियाँ शानदार....
जवाब देंहटाएंवन्दन
जवाब देंहटाएंश्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद के संग हार्दिक आभार
विविधता और रोचकता लिए हुए बहुत सराहनीय अंक । आपके श्रमसाध्य कार्य को नमन ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अंक!
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट लिंकों से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को भी चर्चा में शामिल करने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार ।
सुंदर सराहनीय चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआदरणीय मयंक सर , मेरी प्रविष्टि के लिंक की चर्चा मंच "दो जून की रोटी" (चर्चा अंक- 4450) (चर्चा अंक-4395) पर शामिल करने के लिए आपका बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन , सभी रचनाएं बहुत ही उम्दा । सभी आदरणीय को बहुत बधाइयां एवं शुभकामनाएं ।
सादर ।
अति उत्तम चर्चा मंच की पोस्ट आदरणीय शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी और सार्थक चर्चा
जवाब देंहटाएंसुंदर संयोजन
सभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मलित करने का आभार
सादर