सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
शीर्षक व काव्यांश आदरणीय दिगम्बर नासवा जी की रचना 'जवाब 'से -
खिड़की की चौखट पे बैठेउदास परिंदों के प्रश्नों का जवाब किसी के पास नहीं होता सायं-सायं करती आवारा हवाओं के पास तो बिलकुल नहीं
कितनी अजीब होती हैं यादें किसी भी बात से ट्रिगर हो जाती हैं मेरे प्रश्नों का भी जवाब भी किसी के पास कहाँ होता है
आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ- --
उच्चारण: गीत "केवल दुर्नीति चलती है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
खिड़की की चौखट पे बैठेउदास परिंदों के प्रश्नों का जवाब किसी के पास नहीं होता सायं-सायं करती आवारा हवाओं के पास तो बिलकुल नहीं--जब जब होती हूं उदासचुपचाप चली आती हूंखिड़की के पासखिड़की मुझे समझाती नहींबस दिखलाती है--धुआँ धुआँ सा गगन हुआ है बुझा बुझा सा प्रकाश दिखता।न चाँद पूरा दिखे धरा से नहीं कहीं पर उजास दिखता।।करें अहित के विरुद्ध बातें दिखा रहे हैं महान निज को।रहस्य खुलने लगे उन्हीं के मलिन हुआ सा विभास दिखता।।--ना मैं कविता, ना ही गीतिका,मैं तो नज़्म पुरानी हूँ। ना भुला पाओगे कभी जिसे,मैं वो अधुरी कहानी हूँ।। --कितना मनमोहकहै सौंदर्य प्रकृति काबिखरा चहुँ ओर मेरेखूबसूरत नजारों काआंनद लेना चाहता हूँगुनगुनाता हूँ
गीत नया गाता हूँ-- बहुत छोटी सी बात है ये शायदएक साधारण अति साधारण सी घटना है शायदकि एक पौधे को माली नेकर दिया उसी मिट्टी के हवालेजिसमें एक दिन वो हुआ था अंकुरितपौधा जब नन्हा सा था--उम्र का पहियाअनुभव का पथ होता है। सिंदूरी सांझ और स्याह रात के बीचआदमी अक्सर घटता है--मीत कुमीत दोऊ का, मत कीजे विश्वास।मीत कबहूँ कुपित भयो, करे भेद परकास।।3।।--बुलबुल के बच्चे दिखे क्या ?
- उनको बिल्ली खा गई ये देखो ये गमले भी गिरे पड़े हैं उसने सक्यूलेन्ट्स के छोटे गिरे पड़े कुछ पॉट्स की तरफ़ झाड़ू लगाते- लगाते लापरवाही से इशारा किया।
-क्या…? हमें जोर का धक्का लगा और अन्दर अपने बैड पर वापिस जाकर रोने लगे।बहुत दुख हो रहा था। सारे दिन धूप में जा- जाकर भूखे- प्यासे चारों तरफ़ पेड़ों पर ढूँढते रहे पर कोई
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बस्तर की अभिव्यक्ति -जैसे कोई झरना....: पारिस्थितिकी हार रही है
कुलाँचे भरती कौतुकीसभ्यता और संसाधनों की छीना झपटी के लिए होने वाले युद्धों ने पारिस्थितिकी को सर्वाधिक क्षतिग्रस्त किया है। चीन और अमेरिका जैसे “सभ्य माने जाने वाले असभ्य देश” पर्यावरण को प्रदूषित करने वालों में सबसे आगे हैं। इस दौड़ में भारत भी पीछे नहीं है। सिक्किम को छोड़ दें तो भारत का कोई भी प्रांत स्वच्छता के प्रति न तो जागरूक हुआ है और न गम्भीर। उत्तर के हिमांचल, उत्तराखण्ड और पञ्जाब तथा पूर्व के बंगाल, असम और मेघालय जैसे प्राकृतिकदृष्टि से रमणीय प्रांतों में भी स्वच्छता के प्रति उदासीनता कष्टदायी है। वह बात अलग है कि पर्वतीय क्षेत्रों की भौगोलिक बनावट कचरे को छिपाने का भरपूर प्रयास करती है।
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आज का सफ़र यहीं तक
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
बुलबुल के बच्चे दिखे क्या ?
- उनको बिल्ली खा गई ये देखो ये गमले भी गिरे पड़े हैं उसने सक्यूलेन्ट्स के छोटे गिरे पड़े कुछ पॉट्स की तरफ़ झाड़ू लगाते- लगाते लापरवाही से इशारा किया।
-क्या…? हमें जोर का धक्का लगा और अन्दर अपने बैड पर वापिस जाकर रोने लगे।बहुत दुख हो रहा था। सारे दिन धूप में जा- जाकर भूखे- प्यासे चारों तरफ़ पेड़ों पर ढूँढते रहे पर कोई
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बस्तर की अभिव्यक्ति -जैसे कोई झरना....: पारिस्थितिकी हार रही है
कुलाँचे भरती कौतुकीसभ्यता और संसाधनों की छीना झपटी के लिए होने वाले युद्धों ने पारिस्थितिकी को सर्वाधिक क्षतिग्रस्त किया है। चीन और अमेरिका जैसे “सभ्य माने जाने वाले असभ्य देश” पर्यावरण को प्रदूषित करने वालों में सबसे आगे हैं। इस दौड़ में भारत भी पीछे नहीं है। सिक्किम को छोड़ दें तो भारत का कोई भी प्रांत स्वच्छता के प्रति न तो जागरूक हुआ है और न गम्भीर। उत्तर के हिमांचल, उत्तराखण्ड और पञ्जाब तथा पूर्व के बंगाल, असम और मेघालय जैसे प्राकृतिकदृष्टि से रमणीय प्रांतों में भी स्वच्छता के प्रति उदासीनता कष्टदायी है। वह बात अलग है कि पर्वतीय क्षेत्रों की भौगोलिक बनावट कचरे को छिपाने का भरपूर प्रयास करती है।
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सुप्रभात..। मेरी रचना को स्थान देने के साधुवाद
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपका आभार अनीता सैनी दीप्ति जी!
प्रस्तुत चर्चा शानदार ।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशीर्षक पंक्तियों सहित बहुत शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
सभी रचनाएं पठनीय सुंदर।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
सादर सस्नेह।
सुंदर चर्चा प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंप्रिय अनीता,बहुत ही सुंदर प्रस्तुति...बेहतरीन लिंको का चयन...मेरी रचना को भी शामिल करने के लिए हृदयतल से धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा संकलन
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा प्रस्तुति । मेरी रचना को भी शामिल करने के लिए से धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं बहुत सुन्दर…मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार अनीता जी 🙏😊
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