सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
(शीर्षक और भुमिका आदरणीय शास्त्री सर को की रचना से)
कहाँ गया वो प्यार सलोना,
काँटों से है बिछा बिछौना,
मनुज हुआ क्यों इतना बौना,
सच, सब कुछ कितना बदल गया है
इन्सान भी और प्रकृति भी
ऐसा लगता है जैसे किसी और जहां मैं रह रहे हैं हम
काश बीते हुए दिन वापस आ जाते
इन्हीं दुआओं के साथ चलते हैं आज की कुछ खास रचनाओं की ओर..
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"सफर चल रहा है अनजाना" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
सूख रही है डाली-डाली,
नज़र न आती अब हरियाली,
सब कुछ लगता खाली-खाली,
झंझावात बहुत जीवन में।
पंछी उड़ता नीलगगन में।।
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थक जाता हूंँ ! हो जाता हूँ मायूस ! घेर लेते हैं निराशा के अंधेरे ! भीतर ही भीतर कहीं एक भय डेरा जमाने लगता है ! हो जाता हूं पस्त ! हताश-निराश ! पसर जाता हूं, बिस्तर पर एक घायल सैनिक की तरह ! पर हार नहीं मानता, परास्त नहीं होता ! कोशिश करता हूँ जिजीविषा को बचाए रखने की--------------------
अनंत की उड़ान भर रहा
मन का पंछी अनायास ही
कृपा का बादल बरस रहा हो
जैसे नभ से बिन प्रयास ही
कोई अद्भुत खेल चल रहा
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सही वक्त पर
एक फूल भी खिल जाए
तो बचा लेता है
किसी को मुरझाने से
टूट कर बिखर जाने से ।
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कोई भी संगीत दे चित्रा या ख़य्याम
अब से पत्थरबाज़ हो कभी न कोई शाम
औरों से कहिए नहीं अपने घर की बात
अंधेरा कब चाहता हो पूनम की रात
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नई शुरुआत के साथ.....कुछ पुरानी यादें :)
सभी साथियों को मेरा नमस्कार कुछ दिनों से व्यस्ताएं बहुत बढ़ गई है इन्ही व्यस्ताओं के कारण ब्लॉग को समय नहीं दे पा रहा हूँ ज़िंदगी की भागमभाग से कुछ समय बचाकर आज आप सभी के समक्ष हाजिर हूँ
अभी कुछ दिन पहले ही बैठे बैठे ख्याल आया अपने ब्लॉग परिवार के सदस्यों की बहुत सारी बढ़िया रचनाएँ जिन्हे पढ़कर हम भूल चुके होते है उन्हे एक ब्लॉग के मध्यम से दोबारा सभी से समक्ष प्रस्तुत किया जाए तभी आज ही मैंने एक नई शुरुआत के साथ एक नया ब्लॉग बनाया है जिसे नाम दिया है.....--------------------------------------क्या है “समान नागरिक संहिता” में कि उसके नाम से ही भड़क जाता है “मुस्लिम” समुदाय?
मुस्लिम लॉ के तहत वह पूरी संपत्ति उसके नाम नहीं कर सकता है। ऐसे में गोद लेने के मामले कम ही होते हैं। इसके बदले पुरुष एक और शादी के जरिए बेटे की चाहत रखते हैं। अगर समान नागरिक संहिता अर्थात् Uniform Civil Code लागू होती है तो बहुविवाह की जरूरत नहीं होगी और गोद या वसीयत का अधिकार सबके लिए एक समान होगा। वैसे भी कोई महिला नहीं चाहती कि घर में उसकी सौतन आए। ऐसे में यूनिफॉर्म सिविल कोड का सबसे बड़ा फायदा मुस्लिम महिलाओं, बेटियों को होने वाला है। ----------------------------------------------फ्लश करने से पहले टॉयलेट सीट का ढक्कन बंद करना क्यों जरूरी है ?
क्या आप टॉयलेट सीट के ढक्कन को बंद किए बिना ही फ्लश करते है? यदि हां, तो तुरंत अपनी इस आदत को बदल दीजिए। क्योंकि टॉयलेट सीट के ढक्कन को खुला रख कर फ्लश करने से कई समस्याएं हो सकती है, आप गंभीर रूप से बीमार भी पड़ सकते है। आइए, जानते है कि फ्लश करने से पहले टॉयलेट सीट का ढक्कन बंद करना क्यों जरूरी है? --------------------------------आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दे आपका दिन मंगलमय हो कामिनी सिन्हा
बहुत बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
बहन कामिनी सिन्हा जी!
बढ़िया चर्चा कामिनी जी शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कामिनी दी।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाओं के लिंक्स मिले। बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद कामिनी जी, मेरी पोस्ट को अपने इस नायाब मंच पर स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआप सभी को हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार 🙏
जवाब देंहटाएंरोचक जानकारी और काव्यात्मक रचनाओं की मनभावन प्रस्तुति के लिए बधाई कामिनी जी । उस एक क्षण को भी शामिल करने के लिए शुक्रिया ।
जवाब देंहटाएंप्रिय कामिनी जी अधिक व्यस्तता में ब्लॉग पर नहीं पहुंच पाई। कई रचनाएं पढ़ीं। बहुत ही सुंदर अंक रोचकता लिए हुए । मेरे लोकगीत को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार और अभिनंदन ।
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