सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
(शीर्षक और भूमिका आदरणीय दीपक कुमार भानरे जी की रचना से)
जब स्वार्थ का बादल हो घनघोर ,
जब अपने ही साथ रहे हो छोड़ ,
तब अपना अधिकार पाने के लिए ,
धर्म और कर्तव्य निभाने के लिए ,
भगवान को भी करना पड़ा पलायन ,
चाहे महाभारत हो या रामायण ।
युग भले ही बदल जाते हैं
कुछ तथ्य निर्विवाद सत्य ही रहते हैं
चलते हैं आज की कुछ खास रचनाओं की ओर.............
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(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
गुमनामों की इस बस्ती में,
नेकनाम बदनाम हो गये।
जो मक्कारी में अव्वल थे,
वे सारे सरनाम हो गये।।
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जब अत्याचार बढ़ जाए सघन ,
धर्म और न्याय का फूलने लगे दम ,
अत्याचारी को सबक सिखाने के लिए ,
विधर्मियों को सजा दिलाने के लिए ,
भगवान को भी करना पड़ा रण ,
चाहे महाभारत हो या रामायण ।
ठंढ़ा-ठंढ़ा – कूल-कूल
तेल गमकऊआ/गमकौआ
दर्द निवारक बाम
चेहरा चमकऊआ (फेसपाउडर)
में पिपरमिंट का रस मिला होता है
जो उगा लिया जाता है
विदेशी विद्यार्थी या कुछ औरमुंबई आने के बाद करीब 2003- 4 में कलीना यूनिवर्सिटी में राजनीतिशास्त्र से एम ए में प्रवेश ले लिया ताकि मुंबई में अकेले आने जाने और शहर को देख समझ सकूँ | पहला दिन कॉलेज का सबके परिचय का दिन था | एक व्यक्ति उसका नाम और उसका परिचय ने क्लास में सभी को चौका दिया | वैसे उसके देखते ही सब पहले ही चौक गए थे |
दिल की ख्वाहिशों को सम्भाल रखा है,
मैंने अपना हाल बेहाल बना रखा है,
तेरा नाम गुलाब के साथ जिस पर लिखवाया था,
मेरे कमरे में अब भी वो रुमाल रखा है।
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"माँ..माँ.. पापा आ गए...!सात साल की नन्ही रुनझुन ने परब को आते देख दौड़कर पायल को जगाया।
"कहाँ है तेरे पापा..?परब के आने की खबर से पायल के चेहरे पर पसीने की बूँदे छलकने लगीं।
"बाहर मयूर के पापा से बात कर रहे थे तो मैंने देख लिया और दौड़कर आपको बता दिया..! रुनझुन बोली।
"ठीक है तुम अपने कमरे में जाकर होमवर्क करो और बाहर की किसी आवाज पर बाहर मत आना..!पायल ने आइने में खुद को ठीक किया और शाम के खाने की तैयारी करने लगी।
"पायल..?"परब ने घर में प्रवेश करते ही पायल को पुकारा।
------------------------------------कृपाण घनाक्षरी छंद
बहन कामिनी सिन्हा जी!
ReplyDeleteमेरी पोस्ट का लिंक चर्चा में सम्मिलित करने के लिए
आपका आभार।
शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
ReplyDeleteश्रमसाध्य प्रस्तुतिकरण हेतु साधुवाद
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
ReplyDeleteआदरणीय कामिनी मेम, मेरी रचना " चाहे महाभारत हो या रामायण" को इस चर्चा मंच में शामिल करने और चर्चा मंच का शीर्षक बनाने के लिए बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
ReplyDeleteसभी संकलित रचनाएं बहुत ही उम्दा है सभी आदरणीय को बधाई एवं शुभकामनाएं ।
सादर ।
बहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteसभी रचनाएं बेहद खूबसूरत
ReplyDeleteपठनीय रचनाओं से सज्जित सुंदर सराहनीय और सार्थक अंक ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार कामिनी जी।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत चर्चा संकलन
ReplyDeleteआप सभी को हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार 🙏
ReplyDeleteमेरी पोस्ट शामिल करने के लिए धन्यवाद ।
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