सादर अभिवादन आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है (शीर्षक आदरणीय बलबीर राणा "अडिग"जी की रचना से)
---------------------------पिताजी के जूते
आज नजर पड़ी
बिना पांव के
उन प्रिय जूतों पर
जो पिताजी के प्रिय थे
लोकलाज
शान सम्मान के द्योतक थे,
लेकिन आज
------------------
मैंने सोचा है कई बार
पर हर कोशिश के बाद जाना है यही
कि मैं नहीं लिख सकती
आप पर कोई कविता
उठती ही नहीं क़लम
मिलते ही नहीं शब्द
मिलते भी हैं तो फीके और अधूरे
अभिव्यक्ति सिमटी और सिकुड़ी सी लगती है
---------------------------------------
घूमे निशि दिन यूंही अकारण
गंतव्य का नहीं निशान
अंतहीन राहों पर चलना
एक बटोही की पहचान
------------------------------------
श्वास उखड़ती रात ढली है
सोई जाकर कक्ष।
सोन तार से कंबल ओढ़े
खड़ा अभी तक यक्ष।
------------------
"कल बिहार बन्द था।"
"कल भारत बन्द है और हमारी वापसी है, न जाने कैसे हालात होंगे..।"
"हालात जो होने चाहिए उसके पसङ्गा भर नहीं हो पा रहा।"
"क्या आपके द्वारा, तोड़-फोड़, आगजनी और देश के सम्पत्ति नष्ट करने को समर्थन देते हुए उचित ठहराया जाना समझ लूँ?"
---------------------------------------
- यादें पापा की
- उस वक़्त मेरे लिए ये कल्पना से परे होता था कि -एक लड़की जो अपने बाबुल के आँगन में पली- बढ़ी....भाई -बहनों के साथ खेली -कूदी... उसे उसी आँगन में लौट के आने के लिए बाबुल से ही गुहार लगानी पड़ रही हैं......अपने घर -आँगन , माँ -बाबुल और सखियों के विरह में वो इस कदर तड़प रही हैं । इस गीत के एक- एक बोल मुझे तड़पा जाती थी ....और मैं माँ से पूछ बैठती थी - " आपकी शादी भी तो 13 वर्ष के उम्र में ही हो गई थी न और आप बताती हैं कि- दादाजी आपको एक साल तक मयेके नहीं जाने दिए थे ...फिर कैसे रही होगी आप नाना -नानी के बगैर। " मेरी बाते सुन माँ की आँखें भर जाती .....भीगें से स्वर में बोलती - " उस जमाने में हम सब मजबूर होते थे बेटा " ....लेकिन मैं नहीं जाऊँगी... अपने पापा को छोड़कर ...कभी नहीं जाऊँगी ..
- --------------------------------
- अब तो विज्ञान ने कह दिया अब तो लोगों को समझ आ जाना चाहिए
- क्योंकि संस्कारों की माने ना माने विज्ञान का बहुत महत्व है....
विज्ञान भी मानता है कि बच्चे के बेहतर विकास के लिए दादा-दादी जरूरी है!! जानिए इसके 7 कारण...
----------------------------------------आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दे आपका दिन मंगलमय हो कामिनी सिन्हा
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सूत्रों से सजी सुन्दर और श्रमसाध्य प्रस्तुति । चर्चा में “पाती” को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी !
बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार कामिनी सिन्हा जी।
उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कामिनी दी।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट शामिल करने के लिए धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंमंच पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने हेतु आप सभी को हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा, दिली आभार आदरणीया कामिनी सिन्हा जी मेरी रचना शीर्षक हेतु चयन के लिए।
जवाब देंहटाएंसमय पर उपस्थित नहीं हो पाया क्षमा प्रार्थी हूं
प्रशंसनीय प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं