सादर अभिवादन।शुक्रवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।आइए पढ़ते हैं चंद चुनिंदा रचनाएँ-
ग़ज़ल "मुरलिया बना तो" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आश्वासन पर देश चल रहा,जन-गण को सन्देश छल रहा,झूठे सब सरकारी दावे,इनकी किस्मत कौन सँवारे।बीन रहे हैं कूड़ा-कचरा,बालक अपने प्यारे-प्यारे।हालातों से बालक हारे।।
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भेद - अभेद
ज़िंदगी जैसी भी है
खूबसूरत है
लाइक्स की चाह ने इसे
क्या से क्या न बना दिया
देखने वाला भी वही
देखा गया भी वही
क्यों भेद की दीवार कोई
बीच में उठा गया !
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गीतिका : संजय कौशिक विज्ञात : मापनी ~
उधार खाता शुरू हुआ अब प्रबंध हुंडी नई-नई है।
अमझोरे पीकर अपना,करते हैं उपचार।।
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रोना चाहती हूँ
कहना चाहती हूँ
कि मुझे जीवन ने
खुश होना नहीं सिखाया
अच्छा लगना असल में कैसा होता है
नहीं जानती
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शुद्ध वायु और जल जीवन जीने के लिए अनिवार्य तत्व हैं और यह हमें वन, हरे-भरे बाग़-बगीचे तथा लहलहाते पेड़-पौधों से ही मिल सकता है। क्योंकि ये ही आज पर्यावरण प्रदूषण की समस्या के समाधान का सबसे कारगर उपाय है। इसलिए आज शहरों के बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए पेड़-पौधों का जाल बिछाने, औद्यौगिक संस्थानों को शहर से दूर करने, शहर के प्रदूषित जल को नदी में बहाने के बजाय वैज्ञानिक तरीके से उसे स्वच्छ कर खेतों की सिंचाई के काम में लाने, परम्परागत ईंधनों का उपयोग कम करके सौर ऊर्जा से चलने वाले वाहनो का प्रयोग करने और जनसँख्या नियंत्रण करने की आवश्यकता है।
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जब से खेती में नई-नई तकनीकें प्रयोग में आई हैं, खेतों में उठने-बैठने वाली घरेलू चिड़ियों पर भी बुरा असर पड़ा है। जिस तेजी से इधर कुछ सालों में घरेलू चिड़ियों की संख्या में कमी आई है, वह चिंताजनक है। प्राय: यह चिड़िया गावों में ज्यादा पाई जाती थीं। लेकिन आजकल गावों में भी घरेलू चिड़िया कम ही नजर आती हैं जो की चिंताजनक है अगर हम सचेत होंगे तो शायद गौरेया को एकदम लुप्त होने से अभी भी बचा पाएंगे. अगर हम प्रयास करेंगे तो आने वाले सालों में शायद दूसरे पंछियों को भी लुप्त होने से बचा पाएंगे..!!
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फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।
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बृहस्पतिवार की चर्चा किसी अपरिहार्य कारण से
आदरणीय दिलबाग सर ने नहीं लगाई होगी।
शायद नेट की समस्या हो गयी होगी।
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कल शनिवार की चर्चा मैं लगा रहा हूँ मित्रों!
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बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।
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बृहस्पतिवार की चर्चा किसी अपरिहार्य कारण से
आदरणीय दिलबाग सर ने नहीं लगाई होगी।
शायद नेट की समस्या हो गयी होगी।
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कल शनिवार की चर्चा मैं लगा रहा हूँ मित्रों!
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उम्दा चर्चा।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात! बेहतरीन रचनाओं की खबर देता है चर्चा मंच का आज का अंक! आभार मुझे भी इसमें शामिल करने हेतु!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉगपोस्ट सम्मिलित करने हेतु आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत बढियां संकलन
जवाब देंहटाएंआदरणीय डॉ. रूप चन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी आप द्वारा किया जा रहा यह साहित्य प्रेम का प्रयास सदैव वंदनीय एवं प्रशंसनीय है नमन आपके साहित्य के प्रति इस अगाध प्रेम को एवं इस प्रेम की पराकाष्ठा को ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अंक ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।
बहुत सुंदर रचनाओं की प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचनाओं की प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंHurrah, that’s what I was exploring for, what stuff! present here at this webpage, thanks, admin of this web page.
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