मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत हैे।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक!
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दोहे "उलूक का भूत" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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आंखयां उणमादी ढोळना
ढ़ोळै खारो पाणी।
मुंडो मोड़ै टेढ़ी चाल्ये
खळके तीखी वाणी।।
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1
जब जब घिरते बादल,
प्यासी धरती क्यों,
होने लगती पागल ?
:2:
भूले से कभी आते,
मेरी दुनिया में,
वादा तो निभा जाते।
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जलकर बाती तम हरती है
कवि ! तू अपनी ज्योति प्रखर कर,
अँधियारा घिर आया जग में
तज प्रमाद निज दृष्टि उधर कर !
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गीतिका : छिपाया गया है : संजय कौशिक 'विज्ञात'
विज्ञात की कलम--
१.
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https://youtu.be/uIzPv4ng6cg
उठो वारिस शाह-
कहीं कब्र में से बोलो
और इश्क की कहानी का-
कोई नया वरक खोलो...
कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se **
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सुनो हे माँ मेरे उर की तान
क्यों मुँह फेरी गैर नहीं हूँ
तेरी हूँ संतान,सुनो हे.....
दुखिता बनकर जीती आई
पतिता बनकर शरण में आई
मुझ पर कर एहसान,सुनो हे.....
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भाग लें - पुरुस्कार जीतें-जय श्री राम 🙏🌹🙏
ऑल इंडिया ब्लॉगर्स एसोसियेशन--
नन्हीं सी भव्या ने अभी - अभी स्कूल जाना शुरू किया, वह रोज कुछ न कुछ बहाने बनाती, ताकि स्कूल न जाना पड़े । आज तो जिद्द पर अड़ गयी कि मुझे डौली (गुड़िया) को भी अपने साथ स्कूल ले जाना है। भावना के बहुत समझाने पर भी जब वह न मानी तो थक -हारकर उसने कहा , "अमित ! ले जाने देते हैं इसे आज गुड़िया स्कूल में, बाद में टीचर समझा बुझाकर बैग में रखवा देंगी । ऐसे रोज - रोज रुलाकर भेजना अच्छा नहीं लगता। है न अमित !
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एक ऐसा खलनायक जिसे फिल्म इंडस्ट्री में हमेशा याद रखा जायेगा स्व:अमरीश पुरी
भारतीय सिनेमा के इतिहास में अमर खलनायकों में से एक स्व अमरीश पुरी हिन्दी सिनेमा में हर खलनायक की अपनी स्टाइल रही है और वह उसी स्टाइल की बदौलत दर्शकों के दिलो-दिमाग पर तब तक राज करता रहा, जब तक कि नए विलेन ने आकर अपनी लम्बी लकीर नहीं खींच दी। बॉलीवुड फिल्मों में कुछ ही ऐसे खलनायक हुए हैं जो फिल्म इंडस्ट्री में हमेशा याद रखे जाएंगे। शब्दों की मुस्कुराहट :)--
कितनी बार सुने
उनसे प्रभावित भी हुए
पर अधिक बंध न पाए
उनमें सच की कमी रही
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समाप्त।
आज के लिए बस इतना ही...!
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सुप्रभात !
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी, सादर अभिवादन !
विविध रचनाओं से परिपूर्ण उत्कृष्ट अंक।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार एवम अभिनंदन।
सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं 🌹🌹👏
उत्कृष्ट लिंक संयोजन ,शास्त्री जी |
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन, शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट लिंकों से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति... मेरी रचना को भी चर्चा में सम्मिलित करने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंवाह लाजबाव प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंThanks for my post here
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति। हार्दिक आभार।
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