सादर अभिवादन
रविवार की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
(शीर्षक और भूमिका आदरणीया भारती दास जी की रचना से)
भय नहीं है कभी किसी से
महेश्वर सदा कल्याण करें....
जहाँ भय है वहाँ शिव नहीं और जहाँ शिव है वहाँ भय हो ही नहीं सकता।
शिव को नमन करते हुए चलते है आज की कुछ खास रचनाओं की और...
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सत्रहशेरी ग़ज़ल "प्यार से झेलना वक्त की मार को" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
प्यार से झेलना वक्त की मार को
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भूलना मत कभी भी मददगार को
दिल से खैरात दे देना हकदार को
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भक्ति को ना बदनाम करें
गौरी शंकर का गुणगान करें....
भक्ति के व्यापक अर्थ जो जाने
सत्य ही शिव है वो पहचाने
मूढमति उलझन में भटके
प्रभु नागेश्वर का ध्यान करें....
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चालक ने पूर्ववत अपना काम करते हुए कहा - “आप
क्या करेंगी जानकर …, मेरी उम्र अट्ठारह साल है । आज
गली-गली कुछ लोग फ़ाइलें लिए घूम रहे हैं । कहते हैं -
“बालश्रम अपराध है ।” मज़दूरी नहीं करेंगे तो खायेंगे क्या ?
हम ग़रीबों के यहाँ तो हर बंदा काम करता है तो ही बसर होती
है रिक्शे का किराया भी रोज़ाना इसके मालिक को देना होता
है ।”
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मेरी आस्था
तुम्हारा वरद हस्त
यही पाया है मैंने
बड़े प्रयत्नों से |
सफलता भी पाई है इसमें
किन्तु एक सीमा तक
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अक्सर मैं रातों को चौंक जाता हूँ,
नींद जो टूटती है, तो जुड़ती ही नहीं,
दिन में सुनी गई बातों के ख़ंजर
रात के सन्नाटे में बेहद क़रीब लगते हैं.
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संकट में हैं नदियां
संकट में इनकी अटखेलियां
संकट में हैं पहाड़
संकट में है हमारा प्यार
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तेरे चेहरे की हँसी में ही मेरी शाम-ओ -सहर है
सबब -ए -ज़िक्र का पोशीदा असर लाया हूँ मैं
मौसम-ए -गुल की पनाहों में मैं हूँ ,तेरे ख़त भी हैं
तेरी यादों से रची शाम संवार लाया हूँ मैं
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कभी-कभी ऐसा भी होता है कि चंद मिनटों का सफर..कई घंटो का हो जाता है,इतना ही नहीं सरल सा रास्ता भी मुश्किलों से भरा हो जाता है,ऐसा ही एक सफर तय किया था मैंने आज ही के दिन "2 जून" को।
बात उन दिनों की है जब आज से चार साल पहले मैं पहली बार मुंबई आयी थी। मुझे आए हुए अभी एक महीना भी नहीं हुआ था। मायानगरी की अदाओं से मैं अभी बिल्कुल अनजान थी, इसके मिजाज के बारे में थोड़ा बहुत सुना पढ़ा तो था मगर अनुभव के नाम पर सब जीरो था।
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प्राइम पर आ रहे सीरीज मॉडर्न लव मुंबई के एक एपिसोड में नायिका लतिका कहती हैं कि शादी के बीस साल साथ गुजारने के बाद खुद को नोबेल पीस प्राइज देना चाहिए | तो हमने खुद को दे लिया नोबेल पीस प्राइज | उसके हिसाब से शादी वाले दिन लोगों को कोन्ग्रेच्युलेशन , ब्लेस यु काहे कह रहें हैं कौन सा तीर मारा हैं बेस्ट ऑफ़ लक कहना चाहिए क्योकि खेल तो अभी शुरू हुआ हैं |
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सात फेरे होंगे पर नहीं होगा दूल्हा 11 जून को खुद से ही शादी रचाएंगी क्षमा
वैसे तो आमतौर पर शादी हमेशा दो लोगों के बीच होने वाला बंधन है लेकिन मैं आपको जिस खबर के बारे में बताने जा रहा हूं वह थोड़ा सा आपको अनोखी जरूर लगेगी लेकिन खबर 100% सत्य है जी हां हम बात कर रहे हैं गुजरात राज्य के वड़ोदरा शहर में होने वाली शादी की अब तक आपने देखी होगी बहुत सी शादिया पर यह बिल्कुल अनोखी होने वाली है शादी जी हां मैंने तो पहली बार ही सुना है बात करते हैं।
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मैं इस खबर पर ये कहना चाहूंगी कि-ये सब नए जमाने के सोशल मिडिया में चर्चित होने के फंडे है जिसके लिए आज कल लोग कुछ भी कर गुजरते है। आपको किसी का साथ नहीं चाहिए तो ठीक है, अकेले जिए किस ने रोका है मगर, ये "शादी"के नाम को बदनाम करने और उसको तमाशा बनाने की क्या जरूरत है?
आज कल लोगो फेमस होने के लिए कुछ भी कर गुजर रहें है
मेरी समझ से ये अब बहुत ही गंभीर विषय बनता जा रहा है
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आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दे
आपका दिन मंगलमय हो
कामिनी सिन्हा
बहुत ही सुन्दर चर्चा संकलन
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार कामिनी जी,
जवाब देंहटाएंमेरी कृति को यहाँ स्थान दिया ह्रदय से धन्यवाद आपका !! अन्य लिंक्स भी उम्दा हैं |
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार कामिनी सिन्हा जी।
सुप्रभात! पठनीय रचनाओं के सूत्र की खबर देती सुंदर चर्चा!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्रों से सजी बेहतरीन व श्रमसाध्य प्रस्तुति में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सराहनीय अंक प्रिय कामिनी जी।
जवाब देंहटाएंआप सभी को हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार 🙏
जवाब देंहटाएंसुंदर सराहनीय अंक
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिये बहुत शुक्रिया🙏🌹🌹
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