मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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गीत "योग दिवस-बहुत जरूरी योग" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
सुबह-शाम कर लीजिए, सच्चे मन से योग।
खाओ आज मिठाई जमकर,
जन्मदिवस है आज तुम्हारा।
महके-चहके जीवन बगिया,
आलोकित हो जीवन सारा।।
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"योग को अपनायेंगे रोग को हराएंगे"
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मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार प्रीति चौधरी की दोहा गीतिका
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जल,अग्नि,भू, नभ, वायु
का इस हृदय में संयोग हो ।
आइए नित भोर संग
हम योग कर निरोग हों ॥
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सुनो,
आज तुम
मुझसे मिलने
इन बरसती रातों में
मत आना !
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1218-तुम्हें क्या दूँ मीत मेरे
सदा तेरे ही उर में रहूँ। तुम हो नैया तुम्हीं पतवार। तुम्हीं हो प्राणों का संचार।।
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नानु- नानु भल- भलौ,
थ्वौप जसौ भौ छू मैं।
लाड़िल मैं घर भरी कौ,
सूपी गूं क गोपी छू मैं।।
सिद- साध छैं हमर आमा- बूबू ,
बांधि हम उनरी मायाजाव में।
खाट में बैठि द्यैखि रौनी,
हम नाण, उनर पराण छैं।
Uttarakhand Rachna मंजु बोहरा बिष्ट
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इनकी बाते भी हवा हवाई रह गई है...! वो बड़ा क्रांतिकारी बन रहा था। जब तक विश्वविद्यालय में था तब तक त्याग और संघर्ष की बाते करता था। गरीबों और पिछड़ों की बात रखता था। कहता था मैं अपने विचारो से समझौता नहीं करूंगा। खैर , बोलने को तो व्यक्ति अपनी प्रेमिका से यह भी बोल देता है कि मैं तुम्हारे लिए चांद सितारे तोड़ लाऊंगा। चले थे संघ के विचारधारा को खत्म करने इनकी खुद की ही पहचान मिट गई। आजकल खुद को युवा नेता कहने वालो की कमी नही है हर गांव गली मोहल्ले में मिल जायेंगे। अंदर से खोखले हो चुके इन तथाकथित युवा नेताओ का कोई अस्तित्व नहीं रह गया है। वो जमाना गया जब संघर्ष होता था आजकल तो हड़बड़ी मची हुई है सबसे आगे निकलने की भले उसके लिए थूककर चाटना पड़े। स्तर इतना नीचे गिर गया है की कुछ संभव हैं आज की राजनीति में। अभी हाल में ही एक युवा नेता जो प्रधानमंत्री के विचारो का रत्ती भर भी समर्थन नही करता था आज भाजपा में शामिल होकर प्रधामंत्री का छोटा सिपाही बना फिर रहा है। वही बात है न आजकल के युवा करते है प्रेम में वादा और वादा का उलटा होता है दावा ... बड़े बड़े दावों का पोल खुल जाता है जब निभाने की बात आती है तो। बाकी युवा का उलटा भी तो वायु होता है वायु का मतलब हवा अर्थात इनकी बाते भी अब हवा हवाई रह गई है।
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विजय नरेश की स्मृति में कहानी पाठ
यह कार्यक्रम उस लड़की की स्मृति में है, जिसका नाम विजय ठाकुर था। जिसे कुछ लोग विजय नरेश के नाम से जानते हैं और बहुत कम जानते हैं।
माँ बेनीबाई ठुमरी की प्रसिद्ध गायिका थीं, लेकिन जहां पुरुष गायकों को पंडित, महाराज या गुरु कहकर सम्मानित किया जाता था वहीं पेशेवर गायिकाओं को तवायफ़ कहा जाता था।
विजय का एमबीबीएस में भोपाल में दाखिला हुआ, लेकिन लड़को ने अश्लील फब्तियाँ और फिकरे कसकर पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर कर दिया। वहां से जबलपुर मेडिकल कॉलेज में स्थानांतरण कराया, लेकिन शोहरत ने पीछा नहीं छोड़ा; पढ़ाई छोड़नी पड़ी। ...और बीमार पड़ गईं। इसके बाद कभी कॉलेज जाना नहीं हुआ।
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तारादेवी व शिमला की वो बारिश भरी शाम A misty evening in Shimla and Taradevi
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Kuchh Rang Pyar ke - Father's day 19 June 2022
|| त्वमेव माता - पिता तुम्ही हो ||
अधेड़ उम्र में आकर पत्नी से तलाक हो गया, जब आखिरी दिन कागज़ अदालत में साइन हुए तो दस साल का बेटा आसमान ताक रहा था, उसने सिर्फ इतना पूछा कि माँ अब हर हफ्ते पापा जब मिलने आयेंगे और बाहर घूमाने ले जायेंगे तो मुझे डाँटोगी तो नही ना, आजकल वह एक स्त्री के साथ लिव इन में रहता है, उसका त्याज्य बेटा बड़ा हो रहा है, उसकी जरूरतें बढ़ रही है पर यह अभागा बेरोजगार बाप कुछ भी नही दे पाता, अब वो रविवार को मिलने से कतराता है , "कोविड में मर जाता तो बेहतर रहता पर एक दिन सब खत्म कर दूंगा" - यह कहकर वह लौट जाता है मेरे घर से
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वर्ष 2021 हैमेट प्राइज़ विजेता की हुई घोषणा
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कुछ कमी सी है . हवाओं में आज सर्द नमी सी है . दिशाओं में धुन्ध गहरी जमी सी है. ओप अपना खो रहा सूरज भला क्यों देख तम को धूप भी अनमनी सी है .
Yeh Mera Jahaan गिरिजा कुलश्रेष्ठ
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खट्टे मीठे किस्से घुमक्कड़ी के अगले भाग में है पहली उड़ीसा यात्रा सुसराल के साथ .. तो इस यात्रा को तो यादगार रहना ही है😊
शादी के बाद दो चार बार जहां घूमने गए हम दोनो पति पत्नी ही गए। फिर बच्चे हुए तो आगे बहनों का सुसराल में परिवार भी बढ़ता गया। तो घूमना परिवार के साथ हो गया । और पति के साथ कम शुरुआत में पहले कुछ ट्रिप सास ससुर और ननद के साथ हुए। जब पहला ट्रिप इस तरह का बना तो दिल में बहुत घबराहट थी क्योंकि अस्सी दशक की बहू मेरे जैसी सिर्फ हांजी हांजी और सिर्फ जो पूछा उसके जवाब के साथ सिमटी हुई थी तो इस तरह से उनके साथ घूमने जाना बहुत ही अनोखा एहसास दे रहा था। और एक डर भी क्योंकि पति नहीं साथ जा रहे थे।
कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se **
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छत्तीसगढ़ के दिवंगत कवि मधु धान्धी
मेरे दिल की बात--
आज के लिए बस इतना ही...!
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति।🌻🙏
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी, सादर प्रणाम!
जवाब देंहटाएंसुंदर सराहनीय और सामयिक अंक ।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार पम्मी जी ।
सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।
बेहतरीन चर्चा अंक आदरणीय शास्त्री सर,मेरी रचना को भी स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद एवं नमन
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सार्थक चर्चा
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशुक्रिया इस से चर्चा में मेरी प्रविष्टि को स्थान देने के लिए। 🙂🙏
जवाब देंहटाएंमुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार प्रीति चौधरी जी की दोहा गीतिका साझा करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत आभार भाई साहब ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी, इस विविध भावपूर्ण संकलन में जगह देने का शुक्रिया ।
जवाब देंहटाएंसम्मानित रचनाकारों का भी सविनय अभिनंदन ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति। हार्दिक आभार।
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