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बुधवार, नवंबर 24, 2010

" आपके स्नेह और सम्मान से अभिभूत हूँ " (चर्चा मंच-348)


अपनी काव्य पुस्तिका "सुख का सूरज" और
बाल कविताओं की पुस्तक "नन्हे सुमन"
के कम्पोजिंग में इतना व्यस्त हूँ कि 
सिर उठाने तक की फुरसत भी नही है!
लेकिन काम तो काम ही है!
रोजमर्रा के काम न पिछड़ जाये इसलिए
चर्चा मंच को आज जल्दीबाजी में ही सही
परन्तु समय तो दे ही पा रहा हूँ!
इसलिए पिछले 24 घण्टों की ब्लॉग की हलचल 
आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ!
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रमेश जी का तीसरा और अंतिम प्रश्न  इस प्रकार है  ....
प्रतिरक्षा करने वाले पक्ष को मुकदमे में किए गए विरोधाभासी कथनों का लाभ मिलता है
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10 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छे लिंक्स ...
    चर्चा में स्थान देने के लिए आभार !

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत अच्छी और विस्तृत चर्चा ....अच्छे लिंक्स ....चर्चा में मुझे स्थान देने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. आज की चर्चा का अन्दाज़ बेहद भाया और लिंक्स भी बढिया मिले…………इतना बिज़ी होते हुये भी आप इस कार्य के लिये समय निकाल लेते हैं यही आपकी सफ़लता का प्रमाण है।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत अच्छी चर्चा .मुझे स्थान देने का आभार.

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत अच्छे लिंक्स. सुंदर एवं सार्थक चर्चा. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

    जवाब देंहटाएं
  6. चर्चामंच पर अच्छे लिंक्स .. समयाभाव के बावजूद भी सुन्दर चर्चा .. आभार..

    जवाब देंहटाएं

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