अपनी काव्य पुस्तिका "सुख का सूरज" और
बाल कविताओं की पुस्तक "नन्हे सुमन"
के कम्पोजिंग में इतना व्यस्त हूँ कि
सिर उठाने तक की फुरसत भी नही है!
लेकिन काम तो काम ही है!
रोजमर्रा के काम न पिछड़ जाये इसलिए
चर्चा मंच को आज जल्दीबाजी में ही सही
परन्तु समय तो दे ही पा रहा हूँ!
इसलिए पिछले 24 घण्टों की ब्लॉग की हलचल
आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ!
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रमेश जी का तीसरा और अंतिम प्रश्न इस प्रकार है ....
| Author: दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi | Source: तीसरा खंबा
-आदमपुर में मानव तस्करी का काम जोरों पर, पुलिस मौन -गरीब लड़कियों को बेच दलाल...
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Author: सूर्य गोयल | Source: समाचार:- एक पहलु यह भी
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ब्लागिंग में पी.एच.डी. सहित विभिन्न कोर्स उपलब्ध!
"ताऊ युनिवर्सिटी आफ़ ब्लागिंग" के अंतर्गत सभी लोगों के लिये आज का दिन महान और खुशखबर वाला है. काफ़ी समय से ब्लागजगत में लोग आते हैं और चले जाते हैं. कुछ चंद लोग जो बच जाते हैं वो महान मठाधीशों के बीच खेमेबाजी में बंट कर रह जाते हैं. आप लोग तो जानते ही हैं कि ब्लाग स्पेक्ट्रम का असली राजा तो ताऊ है जो खुद के साथ साथ सभी को रेवडियां खिलवाता ही रहता है.......
चिन्ता न करें!
एक सप्ताह में ज्वाइन कने जा रहा हूँ ताऊ जी!
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कहते हैं, मुसीबत कैसी भी हो, जब आनी होती है-आती है और टल जाती है-लेकिन जाते जाते अपने निशान छोड़ जाती है. .............
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कहीं ब्लॉग पर ही पढ़ा था...गौरमिन्ट (गवर्मेंट का देशज) वो होती है जो मिनट-मिनट पर गौर करे...प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ईमानदारी पर कोई सवाल नहीं उठा सकता...उनके राजनीतिक विरोधी भी नहीं...लेकिन घर के मुखिया का बस यही फ़र्ज होता है कि वो खुद ईमानदार रहे...
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"वो" सलोनी तो थी मगर, यह एहसास भी था उसे कि, "वो" सच में खूबसूरत बहुत है, और यही एहसास उसे दिन हर दिन, और भी जालिम किये जा रहा था, मुझ में ना जाने क्या दिखा उसे, एकदिन होठों से मुसकुराते हुए आंखों- , आंखों से बोल बैठी कि मेरा निहारना, ...
Author: amit-nivedita | Source: बस यूं ही
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परसों, इतवार की सुबह नहान -नाश्ते के बाद जब धूप सेंकने का मन हुआ तो घर के आसपास ही पेड़ -पौधों से बतियाने का मन हो आया। गुनगुनी धूप में अपने निकट की मामूली चीजों को गौर से देखते हुए कुछ तस्वीरें मोबाइल में कैद कर ली थीं जिन्हें आज और अभी सबके साथ साझा करने का मन हो रहा है। आज एक बार फिर इन तस्वीरों को देखते - परखते -निरखते हुए यह भी लग रहा ...
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अच्छा या बुरा जो चाहे वो समझ लो मुझ को, जो मेरा मन कहे वो करता आ रहा हूँ, कितने भी तीर चुभो दो भले ही...
Author: यशवन्त | Source: जो मेरा मन कहे
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ख्याल : मजाक है क्या ये मुझे भी बता दो अरसा हुए हँसे हुए चलो , मैं भी हँस लेती हूँ हा हा हा ...........
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अभी तो बस्तर की मैना
अपने आसपास गुजरने वाले लोगों को मैं मैना हूं साहब जी कहकर संबोधित करती है लेकिन शायद पहाड़ी मैना के किस्से अब कहानियों में ही सिमट ...
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*पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार पिछले रविवार को फूलबाग़ के 'गांधी चबूतरे' पर दख़ल की 'चौपाल' सजी। विषय था - 'शहादत के मायने' * * ...
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जब टूटा ये........... मिलन मेला सोचा रुक न पाएगा ये आंसुओं का खेला
हर दिन इस राह पर कितने फूल माला से जाता है झर
न जाने कब आया ये विस्मरण का बेला दिनों-दिन कठ...
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सद्यःस्नात सी लगती हैं हर रोज सूरज की किरणें।
खिड़कियों के झरोखों से चुपके से अन्दर आकर छा जाती हैं
पूरे शरीर पर अठखेलियाँ करते हुये। आगोश में भर शरीर को...
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कहते हैं अच्छे कर्मों का फल भी अच्छा होता है।
लेकिन बहुधा ऐसा देखा गया है कि
हमें अपने सत्कर्मों का पूरा पूरा फल नहीं मिलता।.............
ज़िंदगी की राह में ऐसा तो नहीं कि एकांत है - इच्छाओं की गाड़ियां स्वार्थ का धुआँ उड़ाती निकलती जाती हैं सरपट आस-पास के लोंग एक भीड़ के मानिंद भीड़ का...
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अब देखिए कुछ शीर्षक!
आज के लिए बस इतना ही....!
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bahut badhia
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स ...
जवाब देंहटाएंचर्चा में स्थान देने के लिए आभार !
बहुत अच्छी और विस्तृत चर्चा ....अच्छे लिंक्स ....चर्चा में मुझे स्थान देने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा का अन्दाज़ बेहद भाया और लिंक्स भी बढिया मिले…………इतना बिज़ी होते हुये भी आप इस कार्य के लिये समय निकाल लेते हैं यही आपकी सफ़लता का प्रमाण है।
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा .मुझे स्थान देने का आभार.
जवाब देंहटाएंachhi prastuti.tau blogging vishwavidhyalay pasand aaya.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक्स. सुंदर एवं सार्थक चर्चा. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
चर्चामंच पर अच्छे लिंक्स .. समयाभाव के बावजूद भी सुन्दर चर्चा .. आभार..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा !
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