मैं हूँ शिखा कौशिक और मै लेकर आई हूँ आज बुधवार को चर्चा मंच पर एक नयी चर्चा.आप सबका स्वागत है!
आज की चर्चा ''जिंदगी क्या है?'' में.अगर मै कहूँ क़ि जिंदगी है ''ख़ुशी के दो चार पल [विख्यात-जिन्दगी क्या है?] तो क्या आप सहमत नहीं है?
चलिए मंच पर मौजूद दीपाली जी से ही पूछते है क़ि आखिर जिन्दगी क्या है?............वाह क्या खूब कहा--उबाऊ थकी सड़ी गली सी जिन्दगी [मासूम लम्हे] पर ये क्या आप तो इनसे भी सहमत नहीं लगते.
चलिए दीपाली जी से असहमत अर्चना धनवानी जी से ही पूछते है क़ि उनकी नज़र में जिन्दगी क्या है ?......... बहुत ही आशा से युक्त उदगार प्रकट किये है--''ये जिन्दगी' कितना खूबसूरत सफ़र है जिन्दगी क़ा;कुछ अजनबी चेहरे अपने बना देती है.[
इधर संगीता जी भी कुछ कह रही है ...क्या तुलना क़ि है! 'साप -सीढ़ी ' बचपन में खेलकर सांप -सीढ़ी क़ा खेल सीख लिया जिन्दगी क़ा फलसफा
अरे भाई संजय भास्कर जी भी कुछ कह रहे है उनकी भी सुनिए ......'.क्या चीज है ये जिन्दगी'......''जिस राह से भी गुजरे एक नाम सुना जिन्दगी'' बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .क्या नहीं?
चलते -चलते अनुपमा जी भी मेरा हाथ पकड़कर धीरे से कुछ कह रही हैं ......यही क़ि .....''बीत जाती है जब तब पता चलता है जिन्दगी क्या चीज है?
अब कुछ अद्यतन लिंक भी देख लीजिए!
- याद है ? लुप्तप्राय संस्कृति ..क्या साजिश.....?
पल में विधि ने सब बदल दिया, ये कैसी सौगात हुई ?
Achi rahi charcha shikha.... sunder links Dhanywad
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंजिंदगी के राज खोलती अच्छी लिंक्स |एक अच्छी चर्चा के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
monika ji;suman ji asha ji-sabhi ko dhaywad.charcha-manch par prastuti ka avsar pradan karne;snehil sahyog;samyochit sujhav v chacha ko vyavasthit karne me aadarniy ''shastri ji '' ka aasheesh agar n milta to yah sambhav hi nahi tha.
जवाब देंहटाएंनमस्कार,
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्च. कुछ कहने -सुनने को मिला सुबह - सुबह. मै भी जाने अनजाने भाग लेने दे अपने को रोक नहीं पाया.जिंदगी जीने की कला है, लेकिन यह किसी को आती नहीं. सभी लोग जी रहे है जिंदगी अपनी-अपनी अपनी तरह से, कुश भी है और प्रसन्ना भी लेकिन फिर भी दूंधे जा रहे है. नए -नए रास्ते, आखिर क्यों? क्योकि संतुष्टि और शांति नहीं है. पुनश जीवाम रूक जाने का भी नाम नहीं है, यह गतिशीलता है, गति का रूक जाना तो जीवन कि हार है. फिर वही प्रश्न- जिंदगी क्या है? यह जीवन का सर्वाधिक जटिल प्रश्न है जो सरलता से जीवन का अंग बन कर तलाश रहा है उत्तर. सच को सच कि तरह कहने का साहस और सच को सच कि तरह सुनने कि कला में, उचित सामंजास्य ही जिंदगी है. लेकिन स्सव्धान - सामंजस्य का अर्थ समझौता नहीं है - सामंजस्य का अर्थ विवेल्पूर्ण जीवन है जिसमे सत्य के रूप तो बदलते रहते है -जल - वशो और प्ले कि तरह लेकिन उसका रासायनिक सूत्र नहीं बदल्स्त. वह सतत (H2O) ही रहता है
अच्छे लिन्क्स , अच्छी चर्चा , धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहोत ही अच्छी चर्चा
जवाब देंहटाएंकाबिल ए तारीफ पोस्ट !
जवाब देंहटाएंधन तेरस की असीम शुभकामनाएं !
शिखा जी,
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा पर मुझे एक पुराना फ़िल्मी गाना याद आ रहा है. गाना है:-
ज़िन्दगी क्या है,
ग़म का दरिया है.
न जीना यहाँ बस में,
न मरना यहाँ बस में
अजब दुनिया है .
कुँवर कुसुमेश
ब्लॉग:kunwarkusumesh.blogspot.com
shikha ji,
जवाब देंहटाएंcharcha manch par aapki upasthiti aahladit kar gayee.zindgi to hai hi aisee ki her kisi ke uske vishay me vichar alag hi rahte hain.ek kya kai filmi gano me bhi zindgi par vichar vyakt kiye gaye hain...
1-zindgi kaisee hai paheli hay kabhi to hasaye kabhi ye roolaye....
2-ye zindgi ke mele ye zindgi ke mele duniya me kam na honge afsos ham na honge....
3-a!zindgi gale laga le...etc...
बहुत ही सुन्दर और सार्थक चर्चा …………………आपका चर्चा का ये अन्दाज़ बहुत पसन्द आया।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंशिखा कौशिक जी ,
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर आपका हार्दिक स्वागत है .
आपने अलग अंदाज़ में चर्चा की है ..एक विषय को लेकर कुछ रचनाओं का चयन एक अच्छा प्रयास है ...उसके लिए आभार ...
नए लिंक्स का चुनाव उत्तम है ...बस नयी पोस्ट के कुछ ज्यादा लिंक्स देने की कृपा करें ...
एक बार फिर अच्छी चर्चा के लिए बधाई और शुक्रिया
आपने अलग अंदाज़ में चर्चा की है! रचनाओं का चयन उम्दा है। लिंक्स का चुनाव उत्तम है!! अच्छी चर्चा के लिए बधाई!!!
जवाब देंहटाएंचर्चा हेतु अच्छे लिंक्स का संकलन किया आपने.....अन्दाज भी भाया!
जवाब देंहटाएंआभार्!
अच्छी चर्चा के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंacche links acchi charcha!!!
जवाब देंहटाएंregards and best wishes!!
बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है!
जवाब देंहटाएंराजभाषा हिन्दी पर – कविता में बिम्ब!
बहुत सुन्दर चर्चा सजी है :) मुझे स्थान देने का आभार.
जवाब देंहटाएंअच्छे लिन्क्स , अच्छी चर्चा !!!
जवाब देंहटाएंशिखा कौशिक जी चर्चा मंच पर चर्चाकार के रूप में आपका स्वागत करता हूँ!
जवाब देंहटाएं--
आपका शुभागमन अच्छा रहा!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति, सार्थक चर्चा. बढ़िया लिंक्स देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
बहुत सुन्दर चर्चा की शिखा जी ने और लिंक्स भी सुन्दर थे.. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंmeri pratham prastuti ki sarahna karne v protsahit karne ke liye aap sabhi ka hardik dhaywad
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा...
जवाब देंहटाएंसुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल 'समीर'
वाह! सभी बेहतरीन लिनक्स.....
जवाब देंहटाएंसभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!
bahut acha likha h aapne shikha ji....sath hi sabhi ko diwali ki bahut bahut shubkamnaye....
जवाब देंहटाएंशिखा जी आपने अच्छी चर्चा कराई , बधाई हो बधाई ।
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