जी हाँ!
आज फिर...लिंक ही लिंक...
Author: Akhilesh | Source: Sahaj Samachar
खाद बीज लेने में किसानो को आ रहा पसीना कटनी / पिछले तीन सालो से सूखे की मार झेल रहे किसानो की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है. इस समय मंडी में धान लेकर पहुच रहे किसानो को उचित भाव नहीं मिल रहे है. मंडी में धान की जमकर आवक हो रही है और मंडी में धान लेकर आये किसान उचित दाम की आस लगाये हुए है जबकि व्यापारी औने पौने दाम बता रहे है.
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Author: Swarajya karun | Source: मेरे दिल
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| Author: Akhilesh | Source: Sahaj Samachar
कटनी / लगातार हो रही विद्युत् कटौती से रीठीवासी परेशान है. चौबीस घंटे में मात्र चार घंटे भी थ्री फेस की बिजली उपलब्द्ध न होने से आटा चक्की, बेल्डिंग मशीन, फोटो कापी, कम्पुटर, स्टूडियो जैसे विद्युत् संचालित यंत्र ठप्प पड़े है. बिजली के अभाव में इलेक्ट्रानिक उपकरण सो पीस बनकर रह गए है,
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Author: ताऊ रामपुरिया | Source: ताऊ डाट इन
प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम
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Author: ज्ञानदत्त पाण्डेय Gyandutt Pandey | Source: मानसिक हलचल
गूगल महान है। मैं गूगल न्यूज का हिन्दी संस्करण अपने होमपेज की तरह प्रयोग करता हूं। कल यह नभाटा की खबर गूगल ने पकड़ी - मेट्रो के महिला कोच में घुसे युवक को महिलाओं ने धुना|
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Author: वन्दना | Source: ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र
मद्धम- मद्धम सुलगती आँच और सीली लकड़ियाँ चटकेंगी तो आवाज़ तो होगी ही लकड़ियों का आँच की तपिश से एकीकृत होना और अपना स्वरुप खो देना आँच की सार्थकता का प्रमाण बन जाना हाँ , आँच का होना जीवंत बनाता है उसे सार्थकता का अहसास कराता है आँच पर तपकर ही कुंदन खरा उतरता है फिर चाहे ज़िन्दगी हो या रिश्ते ...
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Author: मनोज कुमार | Source: मनोज
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Author: खुशदीप सहगल | Source: देशनामा
टाइटल पढ़कर चकराइए मत...सब बताता हूं...ज़रा सब्र तो रखिए...प्रवासी परिंदें इसी मौसम में सबसे ज़्यादा भारत का रुख करते हैं...वो जहां डेरा डालते हैं, वहां की बहार देखते ही बनती है...आबोदाना इनसान को बेशक सात समंदर पार ले जाए, लेकिन वतन की सौंधी मिट्टी की खुशबू कभी उसके दिलो-दिमाग से दूर नहीं होती...स्वदेश की कसक उन्हीं से पूछो जो इससे दूर आशियाना ...
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Author: दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi | Source: अनवरत
इन दिनों अपने आसपास लगातार कुछ ऐसा घटता रहा है कि ब्लाग लेखन की गति बाधित होती रही है। पिछले दस दिनों में एक दिन छोड़ कर शेष दिनों बरसात होती रही। मैं नगर के जिस क्षेत्र में रह रहा हूँ वहाँ की सड़क के किनारे पिछले दिनों ही सीवर लाइन के लिए पाइप डाले गए। निकली हुई मिट्टी वापस भर दी गई। लेकिन बहुत सी मिट्टी बाहर थी। बीच-बीच में जहाँ चैम्बर बनाए ग ..
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| Author: shalini kaushik | Source: kaushal
बढ़ते भ्रष्टाचार पर बोलें सारे दल,
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Author: Aashu | Source: ENDEAVOUR, एक प्रयास
कमरे के कोने में बैठा शायद घंटों बीत गए थे, एक और शाम यूँही ढल गयी थी शायद बाहर अँधेरा हो आया था.
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| Author: Arvind Mishra | Source: क्वचिदन्यतोअपि..........!
सुबहे बनारस
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Nov 26, 2010 | Author: Ratan Singh Shekhawat | Source: ज्ञान दर्पण
साहित्य के ज्यादातर विद्वानों का मत है कि राजस्थानी साहित्य वीर रस का साहित्य है क्योंकि राजस्थानी साहित्य में वीर रस की प्रचुरता है फिर भी उसे केवल वीर रस का साहित्य मानना हमारी भूल है क्योंकि राजस्थानी साहित्य में हमें जहाँ वीर रस का विषद का वर्णन मिलता है वहां श्रंगार ,करुणा,वात्सल्य इत्यादी अन्य सभी रसों का वर्णन भी पर्याप्त मात्रा में मिलत ..
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Author: चंद्रभूषण | Source: पहलू
कृष्ण को राधा से प्यार था, लेकिन जब वे गोकुल छोड़कर गए तो फिर लौटकर नहीं आए। बाद में उन्होंने बहुत सी शादियां कीं और आठ तो उनकी पटरानियां थीं। राधा का नाम उनकी ब्याहताओं में नहीं था, न ही इस बात की कोई जानकारी है कि लड़कपन के उस दौर के बाद फिर कभी राधा से उनकी मुलाकात भी हुई या नहीं। लेकिन आज भी अपने यहां प्रेम का श्रेष्ठतम रूप राधा और कृष्ण के ......................
| Author: babanpandey | Source: " 21वीं सदी का इंद्रधनुष "
( समाप्त हुए चुनाब में बिहार के लोगो ने जाति से हटकर वोट दिया । प्रस्तुत है एक आम बिहारी की मनोभावना )
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Nov 26, 2010 | Author: अरविन्द जांगिड | Source: Arvind Jangid
देखों, बादल आए हैं,बरस कर जलाने को,भटक रहें, ढूंढते किसी को,जान बूझ कर भिगोने को,बेशक काले हैं,मगर दिल से नहीं,आदमी की तरह,अहसान फरामोश नहीं,जो रोज बटोरता है,मगर बांटता कुछ नहीं,किसी कवि कि तरह,दिल में इनके भी,टिकता कुछ नहीं,आवारा हैं, शायद चल पड़े,अभी तुम्हारे शहर को,हो सके तो,कुछ तुम्हारे बारे में,इनको बताना,जिस के सहारे,कट जाये नीरस ज़िंदगी, ..
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Author: beena | Source: नुक्कड़
| मनुष्य का पूरा जीवन सीखने और सिखाने के अनुभवों से भरा हुआ है | जन्म से लेकर मृत्यु तक हम सीखते और सिखाते रहते है| कभी-कभी हम सीखते हुए भी सिखा रहे होते है इस द्रष्टि से प्रत्येक व्यक्ति अध्यापक है और अपने जीवन काल मेंकभी ना कभी शिक्षकके संपर्क में अवश्य आया होता है| याद कीजिए आपकी स्मृति में किस अध्यापक की यादे आज भी ताजा हैं |
हो सकता है वक ..
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आज के लिए केवल इतना ही...........
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Dikhave ki charcha bhi achhee rahi ...
जवाब देंहटाएंकाफी लिंक्स को समेटे है यह दिखावे की चर्चा ....कहने को दिखावे की पर उपयोगी चर्चा ...
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार!
bahut achhi prastuti,links ke sath lekhak ka nam bhi itni kushalta se liya gaya hai ki man dikhawe ko hi nahi vastav me bhi charcha manch ki aur mud jata hai.badhai...
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा....
जवाब देंहटाएंआजकल मौसम का मिजाज बहुत नरम गरम है |इस कारण यदि बिजली भी नखरे दिखाने लगे तो कोई आश्चार्य नहीं होता |आज की चर्चा अच्छी लगी |पर सुबह जल्दी पोस्ट नहीं लगने से बहुत इन्तजार करना पड़ा
जवाब देंहटाएंआशा
ये दिखावा तो बहुत पसन्द आया…………काफ़ी बढिया लिंक लगाये हैं।
जवाब देंहटाएंopcharikta to naam hi dikhave ka hai.aapne to dugna dikhawa kar diya link hi link lagakar mahnet to ki hi manoranjan bhi kar diya.mere blog ko sthan dene ke liye hardik dhanyawad...
जवाब देंहटाएंकई लिंक बहुत अच्छे लगे! आपको शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंbahut hi acchi lagi charcha...
जवाब देंहटाएंaabhaar..
रोचक शीर्षक, रोचक लिंक्स, रोचक चर्चा...धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंbhut acchi chercha hai....aabhar
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक्स से सजी सुंदर एवं सार्थक चर्चा. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
अच्छे लिंक्स हैं । धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक मिले .......धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंLIC JEEVAN
जवाब देंहटाएंBATHROOM NEAR ME
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