चर्चाकारा :वन्दना गुप्ता
दोस्तों
सबसे पहले तो बाल दिवस की शुभकामनाएं और कुछ पोस्ट बाल दिवस पर ही,
सबसे पहले तो बाल दिवस की शुभकामनाएं और कुछ पोस्ट बाल दिवस पर ही,
उसके बाद आपकी पसंद आपकी नज़र ..........
आज वक्त ज़रा कम है इसलिए ना ज्यादा बात और ना ही ज्यादा लिंक्स ..............
तो आइये मेरे साथ ............
"बाल-दिवस" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
यहाँ हम क्या बोलें?
बालदिवस पर जया 'केतकी' का आलेख- आइए बचपन सँवारें . .
तभी तो भविष्य सुरक्षित होगा .
हम भी कभी बच्चे थे | बाल दिवस के अवसर पर |
और वो बच्चा आज भी कहीं ना कहीं छुपा है अन्दर ही
"बाल-दिवस" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
यहाँ हम क्या बोलें?
बालदिवस पर जया 'केतकी' का आलेख- आइए बचपन सँवारें . .
तभी तो भविष्य सुरक्षित होगा .
हम भी कभी बच्चे थे | बाल दिवस के अवसर पर |
और वो बच्चा आज भी कहीं ना कहीं छुपा है अन्दर ही
बाल दिवस पर सीखो आज
बिलकुल ..........आज की जरूरत है येआज बाल दिवस है.
शायद है तो ?
प्याज बन कर रह गया है आदमी
यही तो आदमी की पहचान है परत दर परत डाले घूम रहा है
क्या कहें
एक प्रश्नचिन्ह ?
"मौन "
कैसे अभिव्यक्त हो ?
मेरा नन्हा सा घोसला
इसके सिवा जाना कहाँ ?
अग्निकुंड , अग्नि और मैं !..........
होम करने पर ही हवन पूर्ण होता है
मालिनी गौतम की कविताएँ - क्या हुआ जो नहीं हूँ मैं सफेद लिली सी सुन्दर, गुलाबी कमल सी मादक…
जो डूबा उसी ने जाना
भारत माता की बेटी -- 'किरण बेदी' -- एक आदर्श
नाम ही पहचान है
शबनमी होंठ ने छुआ - देवी नागरानी की ग़ज़ल
और ग़ज़ल बन गयी
पासपोर्ट बनवाने के चक्कर में घनचक्कर… सरकारी दफ़्तर… वेबसाईट पर कानून कुछ ओर और दफ़्तरों में कुछ और ?
बच के रहना रे बाबा इन सरकारी बाबुओं से
मानव की नई सभ्यता
कितनी भयावह ?
मंगल कामना
बहुत जरूरी है
एक कविता दोस्तों के नाम !
दर्द की फेहरिस्त के साथ
ऐसा भी क्या, कि ...
बहुत कुछ होता है
मैं चाँद-सा अक्सर हुआ......
घटता भी रहा बढ़ता भी रहा
सुवासित --(आशु रचना )
शायद है तो ?
प्याज बन कर रह गया है आदमी
यही तो आदमी की पहचान है परत दर परत डाले घूम रहा है
क्या कहें
एक प्रश्नचिन्ह ?
"मौन "
कैसे अभिव्यक्त हो ?
मेरा नन्हा सा घोसला
इसके सिवा जाना कहाँ ?
अग्निकुंड , अग्नि और मैं !..........
होम करने पर ही हवन पूर्ण होता है
मालिनी गौतम की कविताएँ - क्या हुआ जो नहीं हूँ मैं सफेद लिली सी सुन्दर, गुलाबी कमल सी मादक…
जो डूबा उसी ने जाना
भारत माता की बेटी -- 'किरण बेदी' -- एक आदर्श
नाम ही पहचान है
शबनमी होंठ ने छुआ - देवी नागरानी की ग़ज़ल
और ग़ज़ल बन गयी
पासपोर्ट बनवाने के चक्कर में घनचक्कर… सरकारी दफ़्तर… वेबसाईट पर कानून कुछ ओर और दफ़्तरों में कुछ और ?
बच के रहना रे बाबा इन सरकारी बाबुओं से
मानव की नई सभ्यता
कितनी भयावह ?
मंगल कामना
बहुत जरूरी है
एक कविता दोस्तों के नाम !
दर्द की फेहरिस्त के साथ
ऐसा भी क्या, कि ...
बहुत कुछ होता है
मैं चाँद-सा अक्सर हुआ......
घटता भी रहा बढ़ता भी रहा
सुवासित --(आशु रचना )
अंतस सारा महक जाए
ऐसे मगर हम साथ तो हैं
ऐसे मगर हम साथ तो हैं
वो ही होना चाहिए
दंश
कैसे कैसे ?इसके अलावा और कुछ हाथ में है भी तो नहीं
डरता हूँ मेरे बच्चे
क्यों और किससे ? भूत से या भविष्य से?
आज के लिए बस इतना ही ............आपके विचारों के लिए प्रतीक्षारत
डरता हूँ मेरे बच्चे
क्यों और किससे ? भूत से या भविष्य से?
आज के लिए बस इतना ही ............आपके विचारों के लिए प्रतीक्षारत
बाल दिवस की यह चर्चा बहुत सुन्दर लग रही है!
जवाब देंहटाएं--
बाल दिवस की शुभकामनाएँ!
सुंदर, संक्षिप्त और बेहतरीन लिंक के साथ सारगर्भित चर्चा!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदरता से सजाई है चर्चा ....अच्छे लिंक्स का चयन ....
जवाब देंहटाएंवंदना जी,
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मेरी रचना को शामिल करने के लिए...काफी सामग्री उपलब्ध कराई आपने शुक्रिया .
sankshipt per poorn charcha
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा वंदना जी... सरल भी और सुन्दर भी... बाल दिवस विशेषांक बना दी आपने ये चर्चा ..
जवाब देंहटाएंऔर मेरी पोस्ट को इसमें शामिल किया .. आभार वंदना जी..
बहुत ही रुचिकर और अच्छे लिंक्स से सज्जित इस चर्चा में मेरे ब्लॉग को भी शामिल करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया.
जवाब देंहटाएं5.5/10
जवाब देंहटाएंसुन्दर चयन - सुन्दर चर्चा
कई लिंक्स बेहतरीन हैं और सारगर्भित भी.
एक हल्का सा सुझाव है : आप शीर्षक के साथ ही उसकी विधा भी स्पष्ट कर दिया करें. जिससे पाठक को यहीं से पता चल जाए कि पोस्ट कविता है, कहानी है, लेख है, संस्मरण है या और कुछ.
बेहतरीन लिंक की सुन्दर चर्चा ....शुक्रिया
जवाब देंहटाएंBahut sundar charcha. Shukriya mujhe bhi drawn dene ka....
जवाब देंहटाएंमुझे शामिल करने के लिए आभार. बाकी लिंक्स भी अच्छे हैं . बहुत सारे अच्छे लेखकों तक पहुँच सका. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंवंदना जी,
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम मेरी रचना को चर्चा- मंच पर जगह देने के लिए आभार. रचनाओं के बेहतरीन संग्रह एवं संयोजन के लिए ह्रदय से शुभकामनाएं . सारी रचनाएँ,खासकर अरुण जी की रचना "डरता हूँ ..." बेहद पसंद आयी. "प्याज की परत में प्याज बन कर रह गया है आदमी
आवरण ही आवरण बस आवरण". सच का आइना दिखाती रचना.सभी रचनाओं का अलग-अलग रंग,अलग-अलग स्वाद पर उद्देश्य एक.
.
जवाब देंहटाएंवंदना जी,
बहुत सुन्दर चर्चा ! सभी लिंक्स पर गयी , पढ़ा और प्रतिक्रिया भी दी। बढ़िया रचनाएँ पढवाने तथा मेरे लेख को स्थान देने के लिए आपका आभार।
.
सार्थक चर्चा। बहुत सी चीज़े एक ही स्थान पर पढ़ने को मिल गयीं। सुन्दर प्रयास के लिए अनेकानेक धन्यवाद और मुझे स्थान देने के लिए भी।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति.. शास्त्री जी, राजीव जी की कविता, जाया केतकी का आलेख, दिगंबर नाशवा जी की ग़ज़ल.. उल्लेखनीय पोस्ट...
जवाब देंहटाएंबाल दिवस की यह चर्चा भी सुन्दर रही.
जवाब देंहटाएं‘बाल’ की खाल निकाल कर रख दी :) बाल दिवस की बधाई॥
जवाब देंहटाएंachhi rahi charcha....
जवाब देंहटाएंachhi rahi charcha....
जवाब देंहटाएंआदरणीय चर्चा मंच :-
जवाब देंहटाएं९.२५ / १०
सुन्दर चयन - सुन्दर चर्चा
कई लिंक्स बेहतरीन हैं और सारगर्भित भी अतः नंबर काटने की जगह नहीं है !
क्या आप जानते हैं कि उस्ताद जी वास्तव में बाल कलाकार हैं ?
sundar charcha!!!!
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen!
अच्छे लिंक्स ..
जवाब देंहटाएंआभार!
बेहतरीन चर्चा और बेहतरीन लिंक्स देने के लिये शुक्रिया ! आज की चर्चा बहुत सार्थक लगी !
जवाब देंहटाएंअति सुंदर चर्चा।
जवाब देंहटाएं---------
जानिए गायब होने का सूत्र।
बाल दिवस त्यौहार हमारा हम तो इसे मनाएंगे।
वाकई शानदार बाल-चर्चा...बधाई.
जवाब देंहटाएं_________________
'शब्द-शिखर' पर पढ़िए भारत की प्रथम महिला बैरिस्टर के बारे में...
बाल दिवस की शुभकामनाएँ! अच्छे लिंक्स दी आपने.
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स , अच्छी चर्चा, मुबारकबाद।
जवाब देंहटाएंवंदना जी,
जवाब देंहटाएंमेरे आलेख को चर्चा में शामिल करने के लिए धन्यवाद. चर्चा बहुत सार्थक रही . दिवस पर लिखित आलेख आपने एक ही जगह पर पढ़ने के लिए दिशा दे दी. ढेर सी नई लिंक मिली जिनसे प्रथम परिचय हुआ. ये सेतु का कार्य भी बहुत ही पुण्य कार्यहै.
सार्थक और बेहतरीन चर्चा.
जवाब देंहटाएंबाल दिवस की यह चर्चा भी सुन्दर रही.
जवाब देंहटाएंबाल दिवस स्पेशल चर्चा के लिए हार्दिक बधाईयॉं।
जवाब देंहटाएंchulbuli-chanchal-chahakti hui sarthak charcha ! aabhar
जवाब देंहटाएंvandana ji ,
जवाब देंहटाएंprastuti aisi ki ,ranj hai dansh ko /
shukriya bhi na kahoon ye,mumkin
nahin .
udaya veer singh .
15.11.2010
vandanaji
जवाब देंहटाएंnamaskar
CHARCHAMANCH me meri rachanao ko shamil karane ke liye dhanyavad.charcha bahut prabhavi rahi.
अच्छे लिंक्स दिखाने के लिये आभार।
जवाब देंहटाएंvandnaji
जवाब देंहटाएंabhar charcha me shamil karne ke liye aur fir se achi charcha ke liye
Vandana ji thanx for accomodating me in the charcha manch, Infact it is an applause for my writings which insire me to write much better. -kishore Diwase, Bilaspur,Chhattisgarh Mob-09827471743
जवाब देंहटाएंरोचक व उपयोगी लिंक का चयन है।
जवाब देंहटाएंमुझे शामिल करने हेतु आभार।
इस श्रमसाध्य कार्य के लिए साधुवाद!