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मंगलवार, फ़रवरी 22, 2011

दिल का पागलपन देखा है ….साप्ताहिक काव्य मंच – 35 .. चर्चा मंच -- 435 ..

नमस्कार , एक ब्रेक के बाद हाज़िर है मंगलवार की साप्ताहिक चर्चा … प्रयास रहा है काफी कुछ बटोरने का ..पर फिर भी आप लोगों के लिए ज्यादा लिंक्स नहीं संजो पायी …वक्त की तलाश थी और आज कल वक्त मुझे कम मिलता है …आप कहेंगे कि होते तो चौबीस घंटे ही हैं फिर ? …अब इन घंटों में मेरे कुछ और काम शामिल हो गए हैं ..इस लिए कम समय में मेरे द्वारा कुछ चुनी हुई रचनाओं का आनंद लीजिए ….आज की चर्चा हम तलाश से ही प्रारंभ करते हैं ….
मेरा परिचयडा० रूपचन्द्र शास्त्री जी आज कल सिकंदर की तलाश के साथ साथ बहुत कुछ तलाश रहे हैं ….. आप भी सहभागी बनिए उनकी तलाश में --- पढ़िए उनकी एक खूबसूरत गज़ल --
मेरा फोटोराजभाषा  हिंदी ब्लॉग पर अरुण चन्द्र राय जी की एक अनमोल रचना पढ़िए  --बाबा
यह कविता बाबा नागार्जुन जी को भेंट की थी और इस पर उन्होंने स्वयं हस्ताक्षर कर अरुण जी को शुभकामनायें दीं थीं …
बाबा
अपनी दिव्य दृष्टि मेरी ओर भी डाल
मैं तुम्हारा हूँ 'जय किशुन
मनोज जी श्यामनारायण मिश्र जी का एक नवगीत पढवा रहे हैं गीत कालातीत पर्वत के ..

घाटियों में,
लाल-पीली माटियों में,
ढल रहे हैं नील-निर्झर-गीत पर्वत के
My Photoअजय जी मुहब्बत में बहुत कुछ लिखना चाहते हैं …कहाँ से शुरू करें यही दुविधा है ---जानिये इनकी परेशानी ---लिखना तो बहुत कुछ है ..
आँखों को कमल ,ज़ुल्फ़ को नागिन या लता लिख दूं ?
लिखना तो बहुत कुछ है , क्या बात बता लिख दूं ?
गिरीश पंकज जी ज़िंदगी के फलसफे को बता रहे हैं कि आज जो है कल क्या हो जाए नहीं मालूम …. उनके विचारों को जानना है तो पढ़िए उनकी यह गज़ल -
आज दिखाता है जो बौना , कल बड़ा हो जायेगा
क्या खबर है ज़िंदगी में कल को क्या हो जायेगा
जिनसे है नफ़रत उन्हीं से प्यार-सा हो जायेगा
मेरा फोटोसाधना वैद जी एक खूबसूरत गज़ल में कह रही हैं कि आये थे मेहमान की तरह लेकिन गुमनाम बन कर रह गए …..पढ़िए उनकी रचना --आये थे तेरे शहर में

आये थे तेरे शहर में मेहमान की तरह,
लौटे हैं तेरे शहर से गुमनाम की तरह !
My Photoमहेंद्र वर्मा जी अपनी गज़ल से प्रेरणा देते हुए कह रहे हैं --उतना ही सबको मिलना है , जिसके हिस्से में जितना है
 मेरा फोटोअनुप्रिया प्राकृतिक सौंदर्य को निहारती हुई क्या सोच रही हैं ..पढ़िए उनकी पुरानी डायरी के एक पन्ने में
दिगंबर नासवा  जी विश्वास टूटने की अनुभूति को बताते हुए कह रहे हैं कि विश्वास को फिर से कायम करने के लिए क्या प्रयास हों ---मन को छूने वाली उनकी रचना पढ़िए - विश्वास
My Photo जोशी कविराय  के चुटीले  व्यंग पढ़िए

गठबंधन की मजबूरी
उतना दोषी हूँ नहीं जितना समझे आप ।
सबको पड़ता भोगना गठबंधन का पाप ।
मेरा फोटोमुकेश तिवारी लाये हैं एक भावप्रवण रचना --कुछ देर ठहरना चाहता हूँ जब, तक हम साथ थे
उस एक रास्ते पर चलते हुये
मुझे हरपल लगता था कि
हम एकदूसरे के लिये ही बने है
My Photoअदा जी न जाने कहाँ जाने की बात कर रही हैं ..और जाते जाते बहुत कुछ छोड़ कर जाने की बात कर रही हैं …पढ़िए उनकी खूबसूरत रचना --मैं ज़िंदगी जला कर , बार बार छोड़ जाउंगी

इक ज़ुनून,  / कुछ यादें,  /  थोड़ा प्यार,  / छोड़ जाऊँगी,  /  इन हवाओं में मैं  /  इंतज़ार,  /  छोड़ जाऊँगी
My Photoसांझ लायी हैं एक खूबसूरत गज़ल , और पूछ रही हैं कि -चाँद में दाग न होता तो चाँद क्या होता ? My Photoशाहिद मिर्ज़ा एक महकती हुई गज़ल लाये हैं -दिल का पागलपन देखा है ..
मेरा फोटोपूनम जी के मौन को पढ़िए तीन अलग अलग रूप में ….मौन ( तब १९८४ )  मौन ( अब २००८ )  और मौन ( आज )

मेरी  आँखों  की  भाषा   / कभी  पढ़  न  सका  वो,  / क्योंकि......... / उसे  दूसरों की /   आँखों  में  झांकने  से  /  फुर्सत  न  मिली !
My Photoमीनू भागिया जी की  एक खूबसूरत गज़ल पढ़िए --
मुझे यकीं आ गया
कैसे मालूम हो कि हवा हवा है
आज वो चल रही बेसदा बेनवा है
My Photoयशवंत माथुर ज़िंदगी के विभिन्न आयाम बता रहे हैं पर्दे  के माध्यम से , आप  भी जानना चाहते हैं तो उनकी क्षणिकाएं पढ़ें -पर्दा
रचना श्रीवास्तव को पढ़िए आखर कलश  पर
भारत के लखनऊ शहर में जन्मी रचना श्रीवास्तव की लेखन, अभिनय, और संगीत में गहरी रूचि है। उन्होंने विज्ञान में स्नातक शिक्षा प्राप्त करने के बाद कानपुर विश्वविद्यालय से हिन्दी में परा स्नातक शिक्षा प्राप्त की है।
बाकी परिचय यहाँ--
झांकते हैं सपने
जिस्म की दरारों से
झांकते हैं सपने
जैसे फटे मोंजे से
झांकता है अंगूठा
मेरा फोटोआकांक्षा यादव खामोशी में भी शब्दों से अपने वजूद को तलाश रही हैं …पढ़िए उनकी खूबसूरत रचना तुम्हारी ख़ामोशी
अरविन्द जी अपनी रचना में ऐतिहासिक घटना से सच और त्याग  को प्रस्तुत कर रहे हैं ..
श्रीमती ज्ञानवती सक्सेना \ज्ञानवती सक्सेना जी की प्रतीक्षा की घड़ियाँ कैसे बीतीं जानिये उनकी खूबसूरत रचना प्रतीक्षा  पढ़ कर ..
आगमन सुन प्राणधन का
भर गया उल्लास मन में मिट गया सब क्लेश तन का !
आगमन सुन प्राणधन का !
My Photoसौम्या  अपने ख्वाब को ख्वाब ही बना कर रखना चाहती हैं …क्यों ?? जानने के लिए पढ़ें उनकी रचना - एक छोटा सा  ख्वाब
हिन्दुस्तान के दर्द को महसूस कर रहे हैं अख्तर खान अकेला … इस दर्द से रु- ब - रु होइए -मेरे आंसू पोंछ दो यारों , मैं हिन्दुस्तान हूँ
My Photoअशोक व्यास बता रहे हैं कि स्मृति भी नए खेल खेलती है …नए को पुराना और पुराने को नया करती हुई … उनकी रचना पढ़िए ..बिना किसी पूर्व घोषणा के ..
My Photoसिद्धार्थ बता रहे हैं कि वो पिता की भावनाओं को समझे हैं स्वयं पिता बन कर …पढ़िए उनकी रचना ---पिता
My Photoकुश्र्वंश जी अपनी रचना में बता रहे हैं कि आज लोगों के मन में प्रेम कि लौ बुझ  चुकी है …पढ़िए उनकी एक प्रश्न उठती रचना --
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संवेदना मर जायेगी
 My Photoगुस्ताख मंजीत जी प्यार को कुछ अलग ही अंदाज़ में बयाँ कर रहे हैं …जानिये उनके लिए प्यार क्या है ? उनकी रचना -मेरे लिए प्यार में
प्यार है जीवित,  /  हठ की तरह,  /  जैसे मचलना बच्चे का,
 मेरा फोटोशारदा अरोरा जी सीख दे रही हैं कि जब करना ही है तो विश्वास के साथ काम करना चाहिए . ..पढ़िए उनकी खूबसूरत रचना --बिना शिकन डाले My Photoशेखर सुमन  अपने ब्लॉग पर लाये हैं राग तेलंग की एक रचना --
आतंक के साये में चश्मा उतारता हूं
धुंधली हो जाती है दुनिया
मेरा फोटोआज चर्चा का समापन कर रही हूँ वंदना गुप्ता जी की रचना से जो सोचने पर विवश कर रही है कि --क्या होती है माँ ?
वक्त की सलीब पर लटकी
एक अधूरी ख्वाहिश है माँ
बच्चे के सुख की चाह में पिघली
एक जलती शमा है माँ
वंदना जी की इस पोस्ट को पढने के बाद कुछ देर चिंतन भी कीजियेगा …लिंक पर पहुँचने के लिए चित्र पर भी क्लिक कर सकते हैं …आपकी प्रतिक्रियाएं हमेशा हमारा मनोबल बढ़ाती हैं …आपके सुझाव प्रेरणा देते हैं …मेरे पास एक सुझाव आया था कि ऐसी रचनाएँ चुना कीजिये जिसमें वर्तनी शुद्ध हो …इस बार मेरा प्रयास रहा है कि रचनाओं में अशुद्धियाँ कम से कम हों ….मेरा विनम्र निवेदन है कि रचनाकार अपनी रचनाएँ पोस्ट करने से पहले एक बार देख लें कि अशुद्धि तो नहीं है …इससे हिंदी की हम सच्ची सेवा कर सकेंगे …. तो फिर मिलते हैं अगले मंगलवार को …. आभार … नमस्कार

36 टिप्‍पणियां:

  1. साप्ताहिक काव्य मंच पर आकार कई लिंक्स मिलीं |आप इतनी लिंक्स् कैसे खोज लेती हैं |यह पोस्ट पढ़ कर उत्सुकता बढ़ गयी है जल्दी से लिंक्स देखने की |बधाई
    आशा

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  2. बहुत ही सार्थक और खूबसूरत चर्चा है । आभार संगीता दी !

    " सितारा कहूँ क्यूँ ? चाँद है तू मेरा "

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  3. priya maidam

    pranam ,

    aaj ke kavy punj jhakrit kar gaye man ke taron ko .sundar sanklan .
    achha prayas .badhayiyan.

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  4. संगीता स्वरूप जी के मंगलवार के साप्ताहिक काव्य मंच की बहुत दिनों से प्रतीक्षा थी!
    मुझे खुशी है कि अब यह चर्चा मंच के पाठकों को हर मंगलवार को सुलभ होगा!
    सुन्दर चर्चा करने के लिए आभार!

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  5. इतने सारे अच्छे लिंक एक साथ मिल गये ,आभार

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  6. साप्ताहिक काव्य मंच की अधीरता से प्रतीक्षा रहती है ! बहुत खूबसूरत लिंक्स से सजा है आज का मंच ! मेरी रचना को इसमें सम्मिलित किया आपने आभारी हूँ ! धन्यवाद एवं शुभकामनायें !

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  7. संगीता जी ,
    इतने बढ़िया लिंक्स के लिये आभार

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  8. सुन्दर प्रस्तुति, बेहतरीन लिंक्स. आभार...

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  9. आदरणीया संगीता जी,
    सारे लिंक्स बहुत ही अछे हैं ...सभी पर जाने की कोशिश कर रहा हूँ.
    मेरी क्षणिकाओं को स्थान देने के लिए तहे दिल से शुक्रिया.

    सादर

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  10. आपकी चर्चा का इंतज़ार रहता है ...सुन्दर

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  11. दी,
    सबसे पहले तो मेरे लेख को प्रमुखता देने के लिये आपकी हार्दिक आभारी हूँ ………यही इच्छा थी कि ये संदेश जन जन तक पहुँचे कि माँ हमारे लिये किस हद तक जा सकती है और हम उसके क्षणांश तक भी नही पहुंच पाते………काश हम सब उसे भी उसी तरह सहेज सकें तो शायद जीना सार्थक कर सकें……………बाकी आज जितने भी लिंक्स लगाये है एक से बढकर एक हैं……………ज्यादातर लिंक्स पर हो आई हूँ…………बाकी बाद मे……………आभार्।

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  12. बहुत ही खूबसूरत चर्चा है ... मुझे शामिल करने का बहुत शुक्रिया ...

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  13. बहुत ही सुंदरता से आपने चर्चा मंच सजाया है,एक से बढ़कर एक लिंक्स है..बहुत सा ज्ञान अर्जन हो गया,धन्यवाद और आभार।

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  14. काफी समय के बाद आपकी चर्चा आई ..पर मन को भाई
    बहुत सुन्दर लिंक्स से सजाई है चर्चा आपने .

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  15. संगीता जी,
    नमस्कार

    आज के चर्चामंच के गुलदस्ते में अनेक रंगों के फूल महक रहे हैं।
    आपके परिश्रम को नमन।
    मेरी रचना सम्मिलित करने के लिए आभार।

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  16. बहुत ही सार्थक और खूबसूरत चर्चा है, बेहतरीन ! आभार संगीता दी !

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  17. संगीताजी....

    "चर्चामंच" पर मेरा "मौन" शामिल किया आपने !!

    धन्यवाद !!

    "चर्चामंच" में एक साथ इतनी अच्छी रचनाएं पढ़ने के लिए मिल जाती हैं !!

    इसलिए भी आपका धन्यवाद !!



    आपके लिए हाज़िर है.....

    "फूल ही फूल बिखरा दिए हैं आपने....

    जिधर भी देखिये !

    माला बनाऊं या फिर

    गूंथ लूं जुड़े में

    समझ नहीं पा रही हूँ मैं......"

    shukriyaa !!

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  18. संगीता जी का चर्चा मंच बहुत ही जोरदार वसंत की तरह सजा अत्यन्त रोचक लगा। आभार।

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  19. charcha manch dwara
    abhivyakti sumano kee sundar mala
    banaane ke is pawan karya ke liye
    dhanywaad aur naman.
    Anand wardhak dharaon ke saath sampark karva kar charcha manch ne mujhe aur samraddha kiya.
    shubhkaamnayen

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  20. बहुत सुन्दर चर्चा..सुन्दर लिंक्स..आभार

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  21. aap ki mehnat ko naman.
    itne sare achchhe logon ko padhne ka mouka mila aap ka dhnyavad .meri kavitayen isme shamil karne ke liye aap ka bahut bahut dhnyavad.
    rachana

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  22. आदरणीया संगीता जी,
    सार्थक और खूबसूरत चर्चा की बहुत दिनों से प्रतीक्षा थी,आभार

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  23. बहुत अच्छे लिंक दिए हैं संगीता जी
    मेरी रचना को शामिल करने, और सुर्खियों में रखने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया.

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  24. बढ़िया लिंक्स देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.

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  25. महत्वपूर्ण लिंक्स के साथ पेश की गयी चर्चा के liye सादर नमन आदरणीया संगीता जी

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  26. संगीता जी .... आपने बहुत सुन्दर चर्चा पेश की .,.. नवागंतुक शिशु की देखबाल के साथ साथ चर्चा की जिम्मेदारी भी बखूबी संभाली.. आपका आभार ..सुन्दर लिंक्स के लिए..

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  27. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  28. नमस्कार संगीता जी....बहुत दिनों से आपके चर्चा की प्रतीक्षा थी,जो आज पूरी हो गयी....कल व्यस्तता के कारण मै यहाँ ना आ सका.....बहुत ही सुंदरता से सजाया है आपने चर्चा मंच....आभार।

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