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शनिवार, सितंबर 21, 2019

" इक मुठ्ठी उजाला "(चर्चा अंक- 3465)

स्नेहिल अभिवादन   
शनिवार की चर्चा में आप का हार्दिक स्वागत है|  
देखिये मेरी पसन्द की कुछ रचनाओं के लिंक |  
 - अनीता सैनी 
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ग़ज़ल 
भौंहें वक्र-कमान न कर" 
 (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’) 

 उच्चारण 
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यथार्थ  
My Photo
चिड़िया  
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नश्वर जग 

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ख़ुदा के वास्‍ते ! 
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एक मुठ्ठी उजाला 

अग्निशिखा 
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"ठौर"  
My Photo
 मंथन 
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जाने चले जाते हैं कहाँ .....

 मेरी नज़र से 
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अब इन लफ़्ज़ों का पीछा क्यूँ … जॉन एलिया 

9 टिप्‍पणियां:

  1. विविधता से परिपूर्ण सूत्रो का संकलन अनीता जी ..मेरी रचना को इस प्रस्तुति में स्थान देने के लिए तहेदिल से आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  2. नया एक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम
    बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम

    ये मक्ता मेरी गली के बच्चे बच्चे के जबान पर रहता है.

    सारे लिंक्स शानदार हैं... बाकि सुधार के प्रयास जारी रखें.
    आभार.

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात...उम्दा सूत्रों का संचयन..आभार मुझे भी आज की चर्चा में शामिल करने के लिए..

    जवाब देंहटाएं
  4. शानदार चर्चा एक से बढ़कर एक लिंक

    जवाब देंहटाएं
  5. सहृदय धन्यवाद अनीता जी , मेरे लेख को चर्चामंच पर साझा करने के लिए ,सादर स्नेह

    जवाब देंहटाएं
  6. विविधता को एक सूत्र में पिरोये बहुत शानदार चर्चा सभी सामग्री पठनीय और उम्दा।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।

    जवाब देंहटाएं
  7. मैं चर्चामंच और अनिता सैनी जी का तहेदिल से शुक्रिया अदा करती हूँ। मेरी रचना का चर्चामंच पर आना मेरी मृतप्राय लेखनी में प्राण फूँकने को बाध्य कर रहा है। कोशिश करूँगी कि पुनः ब्लॉग जगत में सक्रिय हो सकूँ। हृदयतल से आभार। सुंदर अंक और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए बधाई अनिता जी।

    जवाब देंहटाएं
  8. लाजवाब प्रस्तुति के साथ शान चर्चामंच उम्दा लिंक संकलन...
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी !

    जवाब देंहटाएं
  9. पठनीय लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा।
    धन्यवाद अनीता सैनी जी।

    जवाब देंहटाएं

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