मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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हमसे तुम मिल लिए, तुमसे हम मिल लिए
प्रीति का व्याकरण बाँचने के लिए।
हमसे तुम मिल लिये, तुमसे हम मिल लिये।।
दीप तुमने छुए, वे सभी जल गए।
रोप तुमने दिए, पुष्प सब खिल गए...
मेरी दुनिया पर
विमल कुमार शुक्ल 'विमल' -
,,अल्लाह करे वोह कामयाब हो ,
चाँद पर गए यान से टूटे सम्पर्क
फिर से स्थापित हों ,
हमारे देश के वेज्ञानिकों की
मेहनत रंग लाये ,
कामयाब हो
आपका अख्तर खान अकेला
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सब का अलग व्यवहार है
पर कोई बहुत समझदार है
रेत में लिखने के फायदे समझाता है
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
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What is the vedic plaster/
वैदिक प्लास्टर क्या है
वैदिक प्लास्टर ( Vedic Plaster) भारतीय संस्कृति वैज्ञानिकता पर आधारित थी। यदि बात करें रहन-सहन की तो वो भी वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित थी। लकड़ी, मिट्टी एवं गाय के गोबर से बने घरों को शुद्ध घर माना जाता था ये हर मौसम के अनुरूप सुरक्षित होते थे। इन घरों के अन्दर की दीवारों एवं फर्श वातावरण के प्रभाव को नियंत्रित करते थे। इस तकनीकी पर आधारित आजकल बाजारों में वैदिक प्लास्टर बिक रहा है आईये जानते हैं इस वीडियो वैदिक प्लास्टर क्या है...
राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
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प्रयास
एक मिशन....एक वैज्ञानिक प्रयास । इसरो का एक बेहतरीन प्रयास....जिसके अंतिम कदम पर हम फिसल गये । जब प्रयास किये जाते है तो हम लागातार सफलता की ओर कदम दर कदम बढ़ते है , लेकिन सफलता या असफलता के परिणाम को सोच कर कभी प्रयास नहीं किये जाते, इसरो ने भी नहीं किये थे। हम पहले भी रोवर को चाँद तक पहूँचा चुके है, सफलता का स्वाद हम चख चुके है । इस बार कुछ चुक हुई होगी या कुछ परिस्थितियां ऐसी बन गई होगी कि हमारा संपर्क टूट गया...
आत्ममुग्धा
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मुस्कुराइये ?
कि आप लखनऊ में हैं
*लखनऊ की तहजीब, नफासत, पूरतकल्लुफ़, उसकी जुबान, उसकी भव्यता का जिक्र तो बचपन से ही सुनते आए हैं ! शानो-शौकत, सुंदरता से भरपूर, आदिगंगा के नाम से जानी जाने वाली गोमती नदी के किनारे बसे इस शहर की तुलना कश्मीर से की जाती थी। कहा जाता था कि जो **सुकून **यहां है वह कहीं और नहीं ! पर लखनऊ जंक्शन पर उतरते ही यह सारी बातें, सारी धारणाएं, सारे ख्यालात धराशाई होते नजर आए....
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
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चन्द्रयान 1 या 2
मेरी सोच !! कलम तक पर अरुणा
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इश्क़ में बदनामी।
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मेरी रचना
पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
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छोटी सी ग़ज़ल -
अरुण कुमार निगम
चुटकुलों से हँसाने लगे हैं।
मंच पे खूब छाने लगे हैं...
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दोहे
"सोच अरे नादान"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत सुंदर एवं सार्थक प्रस्तुति सर...
जवाब देंहटाएंअनेक जानकारियों, भावनाओं और उम्मीदों को समेटे हुये।
प्रणाम।
बहुत सुंदर चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार आदरणीय
प्रणाम
मुझे सतत इस मंच पर स्थान देकर मेरा मान बढ़ाने हेतु आदरणीय मयंक जी का सदैव आभारी हूँ ।
जवाब देंहटाएंविविध रचनाकारों और विविधताओं से भरी रचनाओं का यह सम्मेलन स्थल सही में हमें एक मंच प्रदान करता है।
अगर इस मंच से जुड़े रचनाकार आपसी विचार विमर्श के लिए भी इसका उपयोग करे तो और भी अच्छा हो।
पुनः धन्यवाद् ।
सुन्दर प्रस्तुति। आभार आदरणीय।
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