मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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सौ साल की हुई अमृता प्रीतम
विदेह निर्मोही की लिखी यह कविताइस सच को बयां करती है।
--सुनो अमृता!
सुनो अमृता!अच्छा हुआजो तुम लेखिका थीक्योंकि अगर तुम लेखिका न होतीतो निश्चित तौर तुम्हें "चरित्रहीन "और"बदलचलन "की श्रेणी में रखा जाता...
रंजू भाटिया
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कहानी-
हैसियत
''इतनी महंगी साड़ी लेने की तुम्हारी हैसियत हैं क्या? क्या तुम्हारे माँ-बाप ने लेकर दिए थे तुम्हें कभी इतने महंगे कपड़े?'' साड़ी की किंमत 4000 रुपए देख कर प्रदीप ने उपेक्षा से शिल्पा से कहा,,,
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पहली रचना और उसकी पृष्ठभूमि
"काँटों को मैं अपनालूं या मृदु कलियों को प्यार करूँ
ये दोनों जीवन के पहलू किसको मैं स्वीकार करूँ .
कितने कितने तूफानों में , डगमग यह जीवन नौका .
पहले आश्वासन देकर ,मांझी फिर देता है धोखा .
कभी किनारा मिल जाता है , और कभी मंझधार परूँ .
काँटों को.....
गिरिजा कुलश्रेष्ठ
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625.
कश
"मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया
हर फ़िक्र को धुँए में उड़ाता चला गया"
रफी साहब ने बस गा दिया
देवानंद ने चित्रपट पर निभा दिया
पर मैं ? मैं क्या करूँ ?
कैसे जियूँ ? कैसे मरुँ ?
हर कश में एक-एक फ़िक्र को फेंकती हूँ
मैं ऐसे ही मेरे ज़ख्मों को सेंकती हूँ
मेरी फ़िक्र तो धुँए के छल्ले के साथ
मेरे पास वापस लौट आती है...
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मैंने आहुति बन कर देखा -
अज्ञेय
मैं कब कहता हूँ जग मेरी दुर्धर गति के अनुकूल बने,
मैं कब कहता हूँ जीवन-मरू नंदन-कानन का फूल बने?
काँटा कठोर है, तीखा है, उसमें उसकी मर्यादा है,
मैं कब कहता हूँ वह घटकर प्रांतर का ओछा फूल बने?...
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तुझको नमन
सबको राह दिखाने वाले
हे सूर्य! तुझको नमन
नित्य भोर नारंगी धार
आसमान पर छा जाते
खग मृग दृग को सोहे
ऐसा रूप दिखा जाते
आरती मन्त्र ध्वनि गूँजे
तम का हो जाता शमन...
हे सूर्य! तुझको नमन
नित्य भोर नारंगी धार
आसमान पर छा जाते
खग मृग दृग को सोहे
ऐसा रूप दिखा जाते
आरती मन्त्र ध्वनि गूँजे
तम का हो जाता शमन...
मधुर गुँजन पर
ऋता शेखर 'मधु'
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सुप्रभात सर 🙏 )
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सजा है चर्चा मंच एक से बढ़ कर एक रचनाएँ, मुझे स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार
प्रणाम
सादर
सुन्दर प्रस्तुति। आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक लिंक , हमारी पोस्ट विडीओ ब्लॉग पंच 4 को स्थान देने के लिए आदरणीय गुरुदेव जी का हृदय से धन्यवाद
जवाब देंहटाएं: enoxo multimedia
अच्छी रचनाएँ पढ़ने को मिली सर।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
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