स्नेहिल अभिवादन
शनिवार की चर्चा में आप का हार्दिक स्वागत है|
शनिवार की चर्चा में आप का हार्दिक स्वागत है|
देखिये मेरी पसन्द की कुछ रचनाओं के लिंक |
- अनीता सैनी
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ग़ज़ल
भौंहें वक्र-कमान न कर"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
उच्चारण
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यथार्थ
चिड़िया
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ख़ुदा के वास्ते !
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एक मुठ्ठी उजाला
अग्निशिखा
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"ठौर"
मंथन
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जाने चले जाते हैं कहाँ .....
मेरी नज़र से
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अब इन लफ़्ज़ों का पीछा क्यूँ … जॉन एलिया
ग़ज़ल
भौंहें वक्र-कमान न कर"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
उच्चारण
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यथार्थ
चिड़िया
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नश्वर जग
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ख़ुदा के वास्ते !
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एक मुठ्ठी उजाला
अग्निशिखा
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"ठौर"
मंथन
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जाने चले जाते हैं कहाँ .....
मेरी नज़र से
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अब इन लफ़्ज़ों का पीछा क्यूँ … जॉन एलिया
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ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे
ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे
मुकुल का मीडिया
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थोड़ा सा उगने लगी हूँ
प्रतिभा की दुनिया …
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ब्रह्म सत्यं जगत मिथ्या
डायरी के पन्नों से
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"माँ"
nayisoch
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ब्रह्म सत्यं जगत मिथ्या
डायरी के पन्नों से
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"माँ"
nayisoch
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विविधता से परिपूर्ण सूत्रो का संकलन अनीता जी ..मेरी रचना को इस प्रस्तुति में स्थान देने के लिए तहेदिल से आभार ।
जवाब देंहटाएंनया एक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम
जवाब देंहटाएंबिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम
ये मक्ता मेरी गली के बच्चे बच्चे के जबान पर रहता है.
सारे लिंक्स शानदार हैं... बाकि सुधार के प्रयास जारी रखें.
आभार.
सुप्रभात...उम्दा सूत्रों का संचयन..आभार मुझे भी आज की चर्चा में शामिल करने के लिए..
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा एक से बढ़कर एक लिंक
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद अनीता जी , मेरे लेख को चर्चामंच पर साझा करने के लिए ,सादर स्नेह
जवाब देंहटाएंविविधता को एक सूत्र में पिरोये बहुत शानदार चर्चा सभी सामग्री पठनीय और उम्दा।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
मैं चर्चामंच और अनिता सैनी जी का तहेदिल से शुक्रिया अदा करती हूँ। मेरी रचना का चर्चामंच पर आना मेरी मृतप्राय लेखनी में प्राण फूँकने को बाध्य कर रहा है। कोशिश करूँगी कि पुनः ब्लॉग जगत में सक्रिय हो सकूँ। हृदयतल से आभार। सुंदर अंक और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए बधाई अनिता जी।
जवाब देंहटाएंलाजवाब प्रस्तुति के साथ शान चर्चामंच उम्दा लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी !
पठनीय लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनीता सैनी जी।