मित्रों!
गुरुवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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Roshi: अपने पिता के
80 वें जनम दिन पर कुछ उद्गार
अपने पिता के 80 वें जनम दिन पर
कुछ उद्गार 80 वें जन्मदिन पर हम सबकी हार्दिक शुभ कामना
आपका अस्तित्व दिलाता है एहसास हम सबको बखूब मानो पूर्णतया सुरक्षित,महफ़ूज है हम सबका वजूद जिसके तले पली-बड़ी हैं ढेरों लताएँ ,पादप और वल्लरियाँ पाया था जिन्होने सम्पूर्ण आश्रय ,थी गूंजी जिनकी किलकारियाँ बट-व्रक्ष ने बांटी है समान धूप ,ज़मीन सबकी की हैं कम दुश्वारियाँ ढेरों परिंदे बनाते नव नीड़ और त्याग जाते निज बसेरा उस बृक्ष का कभी ना मांगा था उसने हिसाब उनसे साथ अपने बिताए लम्हों का हाथ फैला समेटा था सबको बखूबी अपनी शाखों में...
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जश्न ए दोस्ती की कविताएँ

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मेरा हिन्दुस्तान, जग में बहुत महान है -
सोरठे
मेरा हिन्दुस्तान, जग में बहुत महान है।
हिन्दी इसकी जान, मिठास ही पहचान है।।
व्यक्त हुए हैं भाव, देवनागरी में मधुर।
होता खास जुड़ाव, कविता जब सज कर मिली...
हिन्दी इसकी जान, मिठास ही पहचान है।।
व्यक्त हुए हैं भाव, देवनागरी में मधुर।
होता खास जुड़ाव, कविता जब सज कर मिली...
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सपनें ....
ओ अधमुँदी सी पलकोंढुलक भी जाओकि नींद आ जायेनींद से सपनों काकुछ तो नाता हैऔर ...सपने ही तो देखने हैंशायद ...मुंदी पलकों तले के सपनेतुम्हारी झलक लायेंगेऔर मैं जी उठूंगी ...
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शुरुआत भी अभी बाकी है
भोर हुई है अभी अभी
अलसाई हैं आँखे अभी अभी
करना है बहुत कुछ आज
इक खूबसूरत से दिन की
शुरुआत भी अभी बाकी है...
Rekha Joshi
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मंच पर सदैव की तरह ही विविध विषयों का सुंदर संगम, प्रणाम ..
ReplyDeleteअपने चर्चा-मंच के इस इंद्रधनुषी अंक में मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार और नमन आपको ...
ReplyDeleteसुप्रभात आदरणीय
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर चर्चा प्रस्तुति
सादर
Thank You for this useful information. It's very useful for everyone-THANKS
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को स्थान देने के लिये आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वंदे !
ReplyDeleteसुंदर चर्चा अंक सुंदर लिंक चयन सभी रचनाकारों को बधाई।
ReplyDeleteअति उत्तम चर्चा अंक आप सभी रचनाकारों को बधाई!
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